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“किसी अजनबी की मौत का इतना दुख मुझे पहली बार हो रहा है”

Irrfan Khan

Irrfan Khan

दुनिया में जो सबसे सीधी, सरल और सच कहने लायक बात है, वो है मौत! फिर भी यह सबसे सहज बात स्वीकार करने में इतना कष्ट क्यों होता है?

जब सबको पता है कि यह होना है फिर भी इतना दर्द क्यों? शायद हमारी सभी चीज़ों को पाने और अपने पास रखे रहने की आदत की वजह से ऐसा होता है। दो दिन पहले ही कबीर का दोहा पढ़ा था-

पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जात।

एक दिना छिप जाएगा, ज्यों तारा परभात।।

बात सच है यह पता है लेकिन जब कल इरफान के जाने की खबर सुनी, तो इस दोहे पर विश्वास करने को मन नहीं हुआ क्योंकि हमें इससे मतलब नहीं है कि सच क्या है, बल्कि इससे मतलब है कि जिसे हम मानते-जानते हैं वो हमारे आसपास ही रहे।

हममें से सबने कभी ना कभी अपने जीवन में मृत्यु भी देखी होगी। किसी परिवार के सदस्य, किसी पड़ोसी की, किसी दूर के जानने वाले की।

लेकिन ऐसा भी होता है कि आप जिससे ना कभी मिले हो, ना बात हुई हो, बस किसी माध्यम से आप उसके काम को जानते हैं और उसके सहारे उससे जुड़ते हैं और जुड़ते ही जाते हैं। एक वक्त में उसकी हर कही-सुनी बात से आपको फर्क पड़ने लगता है।

ऐसे ही थे इरफान जो अपनी अदाकारी, अपनी आंख की बातचीत, अपनी मुस्कान और अपने व्यक्तित्व के सहारे मेरे और मेरे जैसे लाखों के ज़हन में उतर गए।

हर दफा वो हम सबको एक नया अनुभव देते गए और इसके सहारे उनको चाहने और प्यार करते जाने की एक और वजह भी देते गए। जीवन में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी ‘अजनबी’ के जाने पर इतना दुःख और अंदर तक खालीपन महसूस हुआ हो।

पूरा दिन तस्वीरें, लोगों की प्रतिक्रियाएं देखते हुए बीत गया। पता नहीं क्यों इतना अजीब-सा महसूस हो रहा था, मुझे खुद इस बात पर अजीब लग रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है? होना चाहिए या नहीं? आखिर जुड़ाव क्या था?

लेकिन इसमें अजीब कुछ नहीं है, यह संवेदना है। यह मन का जुड़ाव है, अच्छी बातों का जुड़ाव है। इससे यह भी पता चलता है कि संवेदना बची हुई है और किसी के इस दुनिया को छोड़कर चले जाने पर दुखी और शांत होना अजीब नहीं है, चाहे वो कोई अनजान ही क्यों ना हो?

दो साल पहले जब इरफ़ान बीमार हुए तभी से सबको उनके लौट आने और फिर से कुछ अच्छा काम कर दिखाने का बेसब्री से इंतज़ार था।

बीच में उन्होंने अपनी फिल्म अंग्रेज़ी मीडियम के माध्यम से यह आशा भी जगाई कि वो लौटेंगे फिर से और उन्होंने एक मेसेज में कहा भी था, “वेट फटर मी।” लेकिन सब इंतज़ार करते रह गए और वो चल दिए।

मुझे लगता है हमें जितना बुरा इस बात का लग रहा है कि अब इरफान और उनके बेहतरीन काम को परदे पर नहीं देख पाएंगे, उससे ज़्यादा ऐसे दिलफेंक, ज़मीनी और शानदार इंसान के चले जाने का है। इरफान लाखों की हंसी की वजह थे।

दर्शन के लिहाज से देखें तो यह एक अदृश्य और आत्मिक जुड़ाव है, जब कोई अनजान आपको इतनी गहराई से जोड़ता है, बनाता-संवारता है और आप उसकी बातों, उसकी हरकतों से प्रभावित होते हैं और उसके अचानक से चले जाने पर खालीपन महसूस करते हैं। इरफान के लिए भी ऐसा ही हो रहा है।

वक्त लगेगा इस बात को पचा पाने में, बार-बार दोहराना पड़ेगा कि ऐसा हुआ है लेकिन अब तो हो ही गया है।

इरफान तुम बहुत कुछ देकर गए और बहुत कुछ खाली भी कर गए। कहने को बहुत कुछ है लेकिन सारी बातें शब्दों में नहीं बांधी जा सकती हैं, सिर्फ महसूस की जा सकती हैं और सोची जा सकती हैं, फिलहाल वही कर रहा हूं।

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