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“कैरी मिनाटी, अपने तमाशे के बीच होमोफोबिया फैलाना बंद करिए”

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कैरीमिनाटी की तस्वीर

प्रिय कैरी/अजेय नागर,

जिस वक्त आप और आपकी उम्र के युवाओं को संबोधित करते हुए यह चिट्ठी लिख रही हूं, गोवा में एक 21 साल की क्वीयर लड़की ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। उसका अपराध कुछ भी नहीं था लेकिन उसने जीवन पर मृत्यु को चुना। वह कमज़ोर नहीं थी लेकिन शायद थक गयी थी।

आपकी हमउम्र ही कही जाएगी। आपका वो पोस्ट देखा जो आपने अपना वीडियो यूट्यूब से डाउन किए जाने के बाद डाला है, उससे समझ आता है कि आप दुखी थे। उस लड़की के बारे में भी हमें यह पता चला है कि वह भी दुखी थी और उसका दुःख इतना बड़ा हो गया था कि उसने एक अनंत नींद को चुन लिया।

मैं यह सब क्यों बता रही हूं आपको या आप जैसे लोगों को जो शायद यह देखने और समझने की ज़हमत भी नहीं करेंगें। मैं उस जगह से आती हूं जहां उम्मीद की रौशनी को बचाए रखना होता है, शायद किसी को ये बात समझ आएगी।

कैरी जिस वक्त आप या आपके जो भी प्रशंसक इस बात से दुखी हैं कि टिक टॉक बनाम यूट्यूब की लड़ाई में आपका एक सफल वीडियो इस लड़ाई की भेंट चढ़ गया है। उसी वक्त आपके द्वारा प्रयोग की गई भाषा ने किसी को मरने के लिए मजबूर कर दिया और उसको यह एहसास दिला दिया कि यदि वह इस समाज के दायरों में फिट नहीं है तो वह मज़ाक का पात्र भर है।

यह बात सिर्फ LGBTQ+ व्यक्तियों के लिए नहीं हैं, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए हैं जिन्हें आप अपनी भाषा के निशाने पर रखते हैं। वे मोटे, काले या वे लोग हैं जिन्हें कभी प्रशंसा का एक शब्द भी नहीं मिला है जो रोज़ सुबह बिस्तर से जागते ही आपने आप से एक युद्ध शुरू करते हैं, सिर्फ यह सोच कर कि आज कोई उन्हें यह एहसास ना कराए कि वे प्रेम और इज्ज़त के हकदार ही नहीं हैं।

आपने बड़े आराम से अपनी कमी को छुपाने के लिए देशभक्ति की आड़ ले ली जबकि यह पूरा मामला ऑनलाइन साइबर सेकशुअल बुलिंग और हैरसमेंट का था। जब कुछ गलत होता है तो करोड़ों लोगों की हामी के बावज़ूद भी वो गलत ही होता है। आपने अपने कई पुराने वीडियो में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया है जो किसी व्यक्ति की पहचान को चोट करते हैं और ऐसा करना यह बताता है कि आप उन तमाम व्यक्तियों और इंसानों का सबसे बेसिक दर्ज़ा जो कि उनके होने का दर्ज़ा है, वह भी छीन लेना चाहते हैं।

होमोफोबिया फैलाने का कैरीमिनाटी पर है आरोप

आपको यह लगता होगा कि ऐसे मज़ाक भला किसी का क्या नुकसान करते हैं? दरअसल ऐसे मज़ाक के जड़ में समाज की परिभाषाओं के हिसाब से फिट ना होने वाले लोगों के लिए हिंसा और नफरत छिपी होती है। ऐसे मज़ाक स्कूल में उनका जीना दूभर कर देते हैं। ऐसे मज़ाक से उनका होना उनके लिए चुनौती हो जाता है।

कुछ लोग इस चीज़ से निकल पाते हैं जैसे मैं, मगर मुझे भी मेरे भीतर से लड़ने में 25 साल लगे। 25 साल भी यह सोचते-सोचते बीते कि यह होगा कैसे? इलाहाबाद जैसे छोटे शहर में आखिर किसको बोलूं! मेरे जैसे आज भी बहुत हैं इन छोटे बड़े शहरों, गाँवों और कस्बों में जो अपने होने के लिए अपने को ही कसूरवार मानते हैं।

मैंने आपके बाकी सारे रोस्ट वीडियो देखे और फिर अपने आस-पास के युवाओं की बातों पर गौर किया। वे आपस में कमज़ोर को बेटी बुला रहे थे, एक पुरुष का कमज़ोर होना उसको स्त्री नहीं कर देता है। ऐसी भाषा का प्रयोग करने वाले 20 से 22 साल के युवा हैं। वे आपको बचा भी रहे हैं। फेमिनिज़्म और बाकि लोगों को गलियां भी दे रहे हैं। करोड़ों लोग आपको अपना हीरो मानते हैं मगर मेरी नज़रों में आप सिर्फ एक बुली हो।

आज आप सबको बेहद तकलीफ है लेकिन आपकी ही हमउम्र के क्वीयर बच्चे अपने घरों में अटके हुए हैं और उनके लिए एक-एक पल बेहद मुश्किल हैं। हाल ही में होमोफोबिया और ट्रांसफोबिया के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया गया लेकिन आप क्या कर रहे हैं? एक बार सोचिएगा।

कैरीमिनाटी की तस्वीर

आपकी लड़ाई यह है कि टिक टॉक अच्छा है या यूट्यूब। हमारी लड़ाई है कि हम अपनी तरह से जीने का अधिकार मांग रहे हैं। हमारी लड़ाई आपकी लड़ाई से बहुत बड़ी है और इस लड़ाई को हम किसी को भी पीछे ले जाने का अधिकार अब नहीं दे सकते हैं। हमारा तो कोई आदर्श मुल्क नहीं जिसकी आड़ में हम छुप जाए और कहे कि ये दिन बड़ा बोझिल था। हमारा हर दिन ऐसा ही है जहां हम किसी से बिलॉग नहीं करते हैं।

यदि किसी को लग रहा हो कि सिर्फ आप ही एक 20 साल के युवा हैं जो नाम कमा रहे हैं, तो इस उम्र से बहुत पहले बहुत सारे ट्रांसजेंडर बच्चे अपने घरों से बाहर फेंक दिए जाते हैं और बहुत-सी लेस्बियन बच्चियों के साथ करेक्टिव रेप होते हैं जो कभी कहीं भी दर्ज़ नहीं होंगे। बहुत से ट्रांसमेन अपने शरीर को लेकर जूझ रहे होते हैं। पीरियड उनके लिए सबसे कठिन वक्त होता है। इसलिए आपको जो मिला है उसके प्रति आपको ज़िम्मेदार होने की ज़रूरत है।

मुझे नहीं पता यह आप तक पहुंचेगा या नहीं पर यह हमारी ज़िन्दगी का सच है। वो सच जो आपके और आपके समर्थकों के लिए एक मज़ाक है। हमें तो बहुत उम्मीद थी कि आने वाली दुनिया अधिक संवेदनशील होगी जो कि है भी, लेकिन फिर एक ऐसे लड़के का वीडियो आता है जो शायद ये समझता भी नहीं है कि वो गलत कर रहा है लेकिन वो गलती करता जा रहा है।

यह सिर्फ एक उसका सच नहीं है बल्कि पूरे समाज का सच उज़ागर कर देता है कि क्यों बॉयज़ लॉकर रूम जैसी घटना आम हो चली है। क्यों बच्चियों के शरीर पर कमेंट करने वाले 20 साल के लड़के हैं और पकड़े जाने के बावजूद भी उनमें यह घमंड है कि वे बच निकलेंगे।

इस पूरे तमाशे में मुझे किसी से कोई निजी दिक्कत नहीं हैं लेकिन शायद यह घटना बेहद ज़रूरी थी। जिससे आपको और आपके हमउम्र लोगों को यह समझ आए की कुछ भी करने की छूट का अर्थ किसी का उपहास और बेइज्ज़ती करना नहीं हो सकता है। यह दुनिया तभी बेहतर होगी जब हम विभिन्नता का सम्मान करना सीखेंगे और यह भी समझेंगे कि हमें कब चुप हो जाना चाहिए।

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