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कैसे अभिनेता सोनू सूद बने प्रवासी मज़दूरों के हीरो

Sonu Sood Is Helping The Migrant Labourers

Sonu Sood Is Helping The Migrant Labourers

कल तक ऐसे बहुत सारे लोग थे जो सोनू सूद को नहीं जानते थे लेकिन आज पूरा हिंदुस्तान उन्हें जान चुका है और पहचान भी चुका है। फिल्मों में विलेन का किरदार करने वाले सोनू अब रियल लाइफ के हीरो बन चुके हैं।

लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मज़दूरों के लिए सोनू सूद ‘भगवान’ साबित हो गए हैं। लॉकडाउन की वजह से ऐसे लाखों प्रवासी मजदूर हैं, जो इधर-उधर, जहां-तहां फंस गए हैं जिनके लिए ज़िंदगी गुज़ारना बहुत मुश्किल हो गया है।

प्रवासी मज़दूर अपने घर जाने की कोशिश में पैदल ही हज़ारों  किलोमीटर चलने को तैयार हैं और इसी पैदल चलने की वजह से कितने मज़दूरों को जान तक गंवानी पड़ गई है।

बिहार, झारखंड, यूपी और कर्नाटक जैसे राज्यों के मज़दूरों को सोनू सूद बसों के ज़रिये पहुंचा रहे हैं घर

बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद। फोटो साभार- सोशल मीडिया

इन प्रवसियों के लिए सोनू सूद ‘देवता’ बनकर आए हैं। इन प्रवसियों को घर पहुंचाने की ज़िम्मेदारी अब सोनू सूद ने ले ली है। सोनू सूद की इस कोशिश और काम की तारीफ आज पूरा हिंदुस्तान कर रहा है। जो सरकार नहीं कर पाई, सोनू सूद ने बेहद आसानी से करके दिखाया है।

सिस्टम से हताश प्रवासी मज़दूरों के लिए सोनू सूद ने बसों का इंतज़ाम करके मज़दूरों को अपने राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और कर्नाटक तक पहुंचाने का काम किया है। यही नहीं, इससे पहले भी सोनू ने पंजाब के डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 1500 पीपीई किट भी दान किया था।

साथ ही उन्होंने मुंबई में अपने होटल को स्वास्थ्यकर्मियों को रहने के लिए भी दिया है। कुछ लोगों ने तो सोनू सूद को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने तक की मांग कर दी है। आज सही मायनों में सोनू सूद सरकार से भी ज़्यादा ऊपर नज़र आ रहे हैं।

ट्विटर पर प्रवासी मज़दूर मांग रहे हैं सोनू सूद से मदद

प्रवासी मज़दूर के ट्विट पर सोनू सूद का जवाब।

एक मजदूर ने सोनू सूद से मदद मांगते हुए लिखा, “सर हम 5 आदमी हैं, दरभंगा बिहार भेज दो ना सर मुम्बई सेंट्रल के पास से।” इसका जवाब देते हुए सोनू सूद ने लिखा, “परसो माँ की गोद में सोएगा मेरे भई, सामान बांध।”

एक और मज़दूर ने सोनू सूद से मदद मांगते हुए कहा, “सर हमलोग 10 बिहार किशनगंज के नालासोपारा वेस्ट में फंसे हैं प्लीज़ घर भेजने का कोई इंतज़ाम कीजिए प्लीज़।” इस ट्वीट का सोनू सूद ने जवाब देते हुए कहा कि फंसे हुए थे। अब नहीं, चल डिटेल्ज़ भेज।

जब एक एक्टर इतना कुछ कर सकता है। इतने प्रवासी मज़दूरों को आसानी से घर भिजवा सकता है, तो ये मंत्री, सांसद और विधायक क्यों नहीं कर सकते हैं?

क्या देश के विधायक और सांसद मज़दूरों को घर नहीं भिजवा सकते?

अपने गाँव जाते प्रवासी मज़दूर। फोटो साभार- Getty Images

देश में कुल लोकसभा के 545 सांसद हैं। अगर ये 545 सांसद एक दिन में मात्र एक हज़ार भी प्रवासी मज़दूरों को पहुंचाने की ज़िम्मेदारी ले तो कुल संख्या 5 लाख 45 हज़ार मज़दूरों को आसानी से घर पहुंचा सकते हैं।

देश में कुल राज्यसभा के सांसदों की संख्या 245 है। अगर ये सभी सांसद एक दिन में 1000 मज़दूरों को घर पहुंचाएंगे तो कुल मज़दूरों की घर पहुंचने की संख्या 2 लाख 45 हज़ार होगी।

पूरे भारत में विधान सभा के सदस्यों की संख्या 4123 है और अगर ये 4123 विधायक एक दिन में सिर्फ़ 500 मज़दूरों को घर भेजने का काम करेंगे तो 20 लाख 61 हज़ार 500 लोग अपने अपने घर को लौट जाएंगे।

अगर इन सभी लौटने वालों की संख्या मिला दिया जाए तो एक दिन में 28 लाख 51 हज़ार 500 लोगों को घर पहुंचाया जा सकता है और एक हफ्ते में कुल 1 करोड़ 99 लाख 60 हज़ार 500 प्रवासी मज़दूरों को उनके घर पहुंचाया जा सकता है।

लेकिन जो काम आज सरकारों को करना चाहिए, उसे आम नागरिक कर रहे है। लोगों की मदद से लेकर हर वह चीज कर रहे हैं जिसे इंसानियत का नाम दिया जा सके।

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