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क्या 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की ज़रूरतमंदों तक पहुंचने की कोई गारंटी है?

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मज़दूरों की तस्वीर

बीते मंगलवार रात आठ बजे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के चलते देश के नाम अपना पांचवां संदेश दिया। इस संदेश से लोगों को बहुत-सी उम्मीदें थीं कि शायद अब देश में 17 मई के बाद लॉकडाउन खुल जाएगा। छोटी-से-छोटी और बड़ी-से-बड़ी सभी आर्थिक गतिविधियां फिर से चलने लगेंगी, लोगों को अपने दफ्तर खुलने की आशा थी, तो कहीं छात्र इस आशा में बैठे थे कि अब उनके स्कूल और कॉलेज खुल जाएंगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

कोरोना से लड़ाई होता जा रही है मुश्किल

लगभग सभी को इस बात का अंदाजा हो गया है कि कोरोना की वैक्सीन आने तक हमें कोरोना के साथ जीना सीखना होगा क्योंकि लॉकडाउन इसका स्थायी समाधान नहीं है और साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा खतरा भी है।

रिपोर्ट्स की मानें तो कोरोना के चलते साल 1931 के बाद पहली बार वैश्विक अर्थव्यवस्था को सबसे बड़ा नुकसान हो सकता है। इसी को देखते हुए बहुत से देश जो कोरोना की मार भारत से ज्यादा झेल रहे हैं उन्होंने अपने यहां लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से खोलने का फैसला ले लिया है।  

आगे भी लॉकडाउन रहेगा जारी

प्रधानमंत्री मोदी जब से सत्ता में आए हैं उनका इतिहास रहा है कि जब-जब वो राष्ट्र के नाम रात 8 बजे कोई संदेश देने आते हैं तो कुछ बड़ा ही ऐलान करते हैं जैसे जी.एस.टी, नोटबंदी और हाल ही में सम्पूर्ण लॉकडाउन का फैसला। यही कारण था कि पूरा देश इस उम्मीद में बैठा था कि लॉकडाउन के सिलसिले में कोई बड़ा ऐलान हो सकता है लेकिन कल के भाषण में पीएम ने देशवासियों से लॉकडाउन को बढ़ाने की बात  कही।

चौथा लॉकडाउन कैसा होगा इसकी जानकारी भी 18 मई तक मिल जाएगी साथ ही पीएम ने ये भी कहा की ये लॉकडाउन बाकी तीनों लॉकडाउन से अलग होगा। जो सबसे बड़ा ऐलान पीएम ने लॉकडाउन के अलावा किया, वो था एक बहुत बड़े आर्थिक पैकेज का। पीएम ने देश को बताया कि सरकार देश की जी.डी.पी का करीब-करीब 10 प्रतिशत हिस्सा राहत पैकेज के रूप में देश को देगी।

‘आर्थिक पैकेज’ की हुई है घोषणा

पीएम ने कहा कि कोरोना की मार को झेलने के लिए जिन आर्थिक राहतों और फैसलों को पहले लिया गया था उस राहत पैकेज और इस नए राहत पैकेज को मिलाकर करीब 20 लाख करोड़ का पैकेज तैयार किया गया है। इस पैकेज की विस्तृत जानकारी देश की वित्तीय मंत्री निर्मला सीतारमंण आज एक प्रेस कॉफ्रेंस के माध्यम से देंगी।

अब देखना ये होगा कि उस पैकेज में किसके हिस्से में क्या आता है और उससे भी ज्यादा ज़रूरी सवाल ये है कि योजना को जमीनी स्तर के  लोगों तक सफलतापूर्वक सरकार कैसे पहुंचाएगी। भारत से पहले दूसरे बड़े देशों ने भी इस प्रकार के राहत पैकेज का ऐलान कर चुके हैं।

अगर पीएम संदेश से अंदाजा लगाए तो यह कहा जा सकता है कि यह पैकेज पीएम द्वारा दिए गए ‘मेक इन इंडिया’ के कॉन्सेप्ट पर आधारित हो सकता है। पीएम का पूरा संबोधन आत्मनिर्भर भारत और चुनौतियों को अवसर में कैसे बदला जाए, इसी पर आधारित रहा। 

पूरे भाषण में सिर्फ तीन बार किया गरीबों का ज़िक्र

पीएम ने अपने संबोधन में तीन जगह गरीबों का ज़िक्र करते हुए कहा, ‘‘गरीब हों, श्रमिक हों, प्रवासी मजदूर हों, पशुपालक हों, हमारे मछुआरे साथी हों, संगठित क्षेत्र से हों या असंगठित क्षेत्र से हर तबके के लिए आर्थिक पैकेज में कुछ महत्तवपूर्ण फैसलों का ऐलान किया जाएगा।”

साथ ही पीएम ने उद्योगों के लिए भी कहा “यह आर्थिक पैकेज हमारे उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग, हमारे एम.एस.एम.ई. के लिए है, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है, जो आत्मनिर्भर भारत के लिए संकल्प का आधार हैं।” 

इसके अलावा उन्होंने लोकल उत्पादों को खरीदने के लिए भी लोगों को प्रोत्साहित भी किया। देखा जाए तो पीएम का संबोधन यही इशारा कर रहा है कि भविष्य में मेक इन इंडिया के तहत गरीबों को बहुत से अवसर प्राप्त हो सकते हैं, लेकिन क्या ऐसा सच में हो पाएगा?

सरकार के सामने हैं कई चुनौतियां

पीएम के इस सपने को साकार करने के रास्ते में बहुत से रोड़े हैं और चुनौतियां भी और यह चुनौतियां भारत की व्यवसायिक और सरकारी दफ्तरों की व्यवस्था से जुड़ी हैं। भारत में वन विंडो सिस्टम न होना भी इस राह का सबसे बड़ा रोड़ा है। ऐसी कुछ और भी चुनौतियां हैं, जैसे:

आर्थिक नुकसान, लोगों में जानकारी का आभाव, सरकारी सिस्टम की जटिल प्रक्रिया, भ्रष्ट अधिकारियों की उपस्थिति और राज्य सरकारों से तनाव इन चुनौतियों के चलते आखिर सरकार गरीबों तक इस पैकेज का सम्पूर्ण फायेदा कैसे पहुंचाएंगी? ये एक बड़ा सवाल है।

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