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“पीरियड के वक्त कपड़े के इस्तेमाल से मेरे जननांग पर बुरा असर पड़ा”

problem during first period

कुसुम अपनी बेटी से लॉकडाउन के दौरान माहवारी के विषय पर बात करते हुए

मैं अपनी दुनिया में मस्त थी, वो दिन मेरे लिए बहुत खुशनुमा थे और खेलने-कूदने के थे। खेलते-कूदते मैं बड़ी हो रही थी। मैं कक्षा 9वीं में थी। इसी बीच एक दिन अचानक से मुझे कुछ अजीब-सा एहसास हुआ।

मैंने देखा कि मेरी पैंटी पर खून था और यह मेरी माहवारी का पहला दिन था। पेट में बहुत दर्द हो रहा था, यह देखकर मैं थोड़ी डर गई थी कि ये क्या हो रहा है? बहुत सारे सवाल थे मेरे मन में कि खून कहां से आ रहा है? ऐसे में मैं किसकी मदद लूं ? कुछ समझ नहीं आ रहा था कि किससे बात की जाए ?

मैं घर में बड़ी बहनें, भाभी और माँ तीनों में से चुन नहीं पा रही थी कि आखिर इस बारे में किसको बताऊं? क्योंकि कभी बड़ों से इस बारे में कोई चर्चा नहीं की थी इसलिए मन में हिचकिचाहट थी।

बहुत हिम्मत करके मदद के लिए मैं अपनी बड़ी बहन के पास गई। मेरी बहन को भी इस बारे में बहुत ज़्यादा तो पता नहीं था लेकिन जितना उन्हें पता था उन्होंने मुझे बताया। दीदी ने मुझे कपड़ा इस्तेमाल करने को बोला और उन्हीं ने माँ को भी बताया की मुझे पीरियड्स आने शुरू हो गए हैं।

कुसुम अपनी बेटी से लॉकडाउन के दौरान माहवारी के विषय पर बात करते हुए

मुझे कपड़ा उपयोग करने से बहुत बार स्किन पर चकत्ते आ जाते थे और कई बार खुजली भी होती थी। जब मैंने स्कूल में पढ़ाना शुरू किया तब मुझे माहवारी के बारे में थोड़ी और जानकारी मिली कि माहवारी के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करने से कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं, जैसे जननांगों में खुजली, जलन और लाल चकत्तों का आना आदि। ऐसा बहुत लोगों के साथ होता हैं लेकिन वे एक-दूसरे के साथ साझा करने में हिचकिचाते हैं।

इसकी बेहतर समझ मुझे तब और हुई जब मैंने रूम टू रीड के द्वारा आयोजित जीवन कौशल की ट्रेनिंग ली और ‘पहेली की सहेली’ विडियो को देखा। उस विडियो से और कई गतिविधियों से मैंने ये भी सीखा कि हम अपने छात्रावास में रहने वाली बालिकाओं की सरल तरीके से कैसे मदद कर सकते हैं।

माहवारी के समय थोड़ी ज्यादा साफ-सफाई इसलिए भी जरुरी है क्योंकि कहीं-न-कहीं जननांगों में खुजली, जलन और लाल चकत्तों का आना अच्छे से साफ-सफाई नहीं रखने से भी होता हैं। आप चाहे कपड़ा उपयोग करें या फिर सेनिटरी पैड आपको साफ-सफाई अच्छे से रखनी चाहिए, क्योंकि छात्रावास में ऐसी बहुत-सी समस्याएं आती हैं जिनका हम सरल तरीकों से समाधान कर सकते हैं। हमने कोटा ट्रेनिंग में भी यह सीखा था, जो भी चीजें मैं सीखकर आई हूं, उनको मैं अपने छात्रावास में लड़कियों के साथ अपनाने और उनको नियमित रखने का अभ्यास कर रही हूं।

कुसुम, सहायक वार्डन

कस्तूरबा गाँधी आवासीय बालिका विद्यालय

मुखुन्दा, रायपुर, भीलवाड़ा, राजस्थान

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