एक कहावत है कि बड़ो की लड़ाई में नुकसान अक्सर बच्चों का ही होता है। ऐसा ही होता है जब राजनीतिक पार्टियां या सरकारें लड़ती हैं। राज्य की जनता इसमें बच्चों की तरह पिसती रहती है।
कोरोना संकट के बीच भी चल रहा है राजनीति का बाज़ार
कोरोना संकट के इस दौर में केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बहस के बीच जनता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
ममता बनर्जी केंद्र सरकार पर कोरोना वायरस के दौरान भी राजनीति करने का आरोप लगा रहीं हैं। वहीं केंद्र सरकार ममता की राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रही है। आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है लेकिन इस बीच जनता की सुध लेना वाला कोई नहीं है।
एक ओर जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर राज्य में होने वाली मौत के आंकड़ों को छिपाने का आरोप लग रहा है, वहीं दूसरी तरफ ममता बनर्जी केंद्र सरकार पर भेदभाव करने का आरोप लगा रही हैं।
ममता बनर्जी उन मुख्यमंत्रियों में से हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री की मुख्यमंत्रियों से विडियो कांफ्रेसिंग के ज़रिए हुई मीटिंग में लॉकडाउन के दौरान ट्रेन चलाने के केंद्र के फैसले का विरोध किया था।
गृह मंत्रालय ने लगाया ममता पर आरोप
ममता बनर्जी पर लगातार ये आरोप लगाये जा रहे हैं कि वो इस महामारी से लड़ने में केंद्र सरकार का सहयोग नहीं कर रही हैं। बीते मंगलवार को ही गृह मंत्रालय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाते हुए कहा कि बंगाल पहुंची स्वास्थ्य टीम के साथ राज्य सरकार ने सहयोग नहीं दिया जो कि आपदा प्रबंधन कानून का उल्लंघन है। गृहमंत्रालय ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान की सरकारों ने जिस तरह का सहयोग मिला वह बंगाल सरकार से प्राप्त नहीं हुआ।
दरअसल पश्चिम बंगाल में केंद्र की एक टीम को फील्ड विजिट के लिए जाने से रोका गया था। गृहमंत्रालय के ज्वांइट सैकरेट्ररी पुण्य सलील श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें वहां स्वास्थ्य कर्मियों से मिलने से भी रोका गया और साथ ही साथ ग्राउंड लेवल पर जांच करने की अनुमति भी नहीं दी गई थी।
क्या कोरोना के मामले छिपा रही है बंगाल सरकार?
इसके साथ ही बंगाल सरकार पर कोरोना से होने वाली मौत के आंकड़े छुपाने का भी आरोप लग रहा है। बंगाल सरकार ने बीते दो दिन के जो आंकड़े पेश किए हैं उसके मुताबिक राज्य में 80 मौतें हुईं हैं जिनमें से 72 लोगों की मौत अन्य बीमारियों के कारण हुई है।
इसके साथ ही बंगाल में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़कर 1,344 हो गई है। सेंट्रल टीम के आंकड़ों के अनुसार बंगाल में कोरोना से होने वाली मौतों को मृत्युदर सबसे अधिक है। लेकिन सोचने वाली यह बात है कि इन सब के बीच केंद्र और राज्य के बीच बहस का सीध प्रभाव आम जनता पर पड़ रहा है।
राज्य और केंद्र की राजनीति के बीच राज्य की जनता सुविधाओं से वंचित होती जा रही है। उन्हें पर्याप्त सुविधाएं तक नहीं नहीं मिल पा रहीं हैं। जिसके कारण राज्य में रोज़ संक्रमितों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। यह ज़रुरी हो गया है कि केंद्र और राज्य अपनी पुरानी लड़ाई और अहम को त्याग कर जनता के बारे में सोचें और मिलकर समस्या के समाधान की ओर आगे बढ़े।