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क्या शराब पर टिकी हुई है देश की अर्थव्यवस्था?

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लॉकडाउन में खुली शराब की दुकानें (प्रतीकात्मक तस्वीर)

4 मई से लॉकडाउन का तीसरा चरण यानी लॉकडाउन 3.0 शुरू हो चुका है। इसके साथ ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई चीजों में ढील देने का प्रावधान किया गया है।

एक्साईज एक्ट के दायरें में आने वाली दुकानें खोली जा रही हैं

कई दुकानें जो एक्साईज एक्ट के दायरे में आती हैं, जैसे पान, गुटखा, बीड़ी उसे खोलने के भी निर्देश दिए हैं। लेकिन इसके साथ ही जिस चीज़ के खुलने पर सबसे ज्यादा विवाद हुआ वो है शराब के ठेके।

सरकार ने सभी राज्यों के ‘ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन’ के एल्कोहॉल की दुकानों को एक तय समय के अनुसार खोलने की इजाज़त दे दी है।

लॉकडाउन में खुली शराब की दुकानें (प्रतीकात्मक तस्वीर)

शराब की दुकानें खोलने के पीछे रेवेन्यू का तर्क दे रही है सरकार

इसके पीछे सरकार का तर्क है कि इससे राज्य को अधिक रेवन्यू मिलता है और इन दुकानों के खुल जाने पर सरकार को अच्छा रेवन्यू मिलेगा और अर्थव्यवस्था के हालात सुधरेंगे।

यह जानने की आवश्यकता है कि एल्कोहॉल की दुकानों से मिलने वाला टैक्स रेवन्यू अन्य टैक्स से अधिक होता है जो 2019-20 में तीसरा सबसे अधिक टैक्स रेवन्यू12.5 % रहा है।

यही कारण है कि राज्यों के सबसे अधिक राजस्व वाले स्रोत में होने वाले नुकसान से उबरने के लिए केंद्र सरकार ने ये छूट दी है।

लॉकडाउन के कारण शराब के दुकानों के बंद होने से देश के राज्यों को रोज़ 700 करोड़ का नुकसान हो रहा था। कई राज्यों को अपना 15-30% रेवन्यू यानी 2.48 लाख करोड़ रूपये एल्कोहॉल इंडस्ट्री से ही प्राप्त होता है।

राज्यों की डगमगाती अर्थव्यवस्था को संतुलित करने के लिए एल्कोहॉल इंटस्ट्री ने सरकार को सुझाव लिखकर दिया कि अर्थव्यवस्था में सुधार के ख़ातिर एल्कोहॉल की दुकानों और एल्कोहॉल की होम डिलीवरी की इजाज़त दे देनी चाहिए।

सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई गई धज्जियां

इसके बाद ठोस कदमों के साथ राज्यों में एल्कोहॉल की दुकानों को खोला गया और ये सुनिश्चित करने को आदेश दिया गया कि सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से ख़्याल रखा जाए।

लेकिन जिस तरह की तस्वीरों को कल देखने को मिली उसके सुरक्षा के सभी नियमों को ताक पर रख दिया। लोगों की बेकाबू होती भीड़ और सुरक्षा में सुराख होता देख दिल्ली जैसे जगहों पर असमय ही दुकानों को बंद कर दिया गया।

हालांकि दुकानों के खुलने का समय सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक था लेकिन लोग बजाय इसके सुबह 9 बजे से ही कतारों में खड़े हो गये।

सरकार के फैसले पर उठे कई सवाल

इस घटना के बाद सरकार के इस फैसले पर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। जहां ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया पर आम लोगों ने अपनी आपत्ती जताई, वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी दिल्ली सरकार पर सवाल करते हुए कहा है कि इस घटना के बाद कोरोना के केस में तेजी आ सकती है।

दिल्ली सरकार ने हालातों के मद्दे नज़र एल्कोहॉल पर  एमआरपी के मुकाबले 70% अधिक ‘कोरोना टैक्स’ लगा दिया है। अब देखना होगा कि ज़मीन पर इन नियमों और कानूनों का ठीक से पालन होता है या नहीं।

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