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लॉकडाउन अपने साथ लेकर आया है नीला आसमान

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नीला आसमान, शांत वातावरण, साफ पानी, और ताज़ी हवा सबको पसंद है, लेकिन मानव के अथक प्रयासों के बावजूद इसमें से कुछ भी प्राकृतिक रूप में मुहैय्या हो पाना मुश्किल है। जिस दिल्ली कि सड़कों पर सांस लेना मुश्किल था, जहां गाड़ियां चींटियों की तरह कतारबद्ध रहती थीं, आज वो दिल्ली की सड़कें शांत हैं, हवा साफ होकर पक्षियों का घर बनी हुई हैं।

लॉकडाउन के बीच पर्यावरण में आ रहा है तेज़ी से सुधार

कोरोना वायरस महामारी के चलते विश्व की लगभग 35 प्रतिशत जनसंख्या लॉकडाउन में है जो इतिहास का मानवीय जीवन पर सबसे बड़ा अंकुश है। लॉकडाउन के चलते लोग घरों में कैद हैं, काम बंद हैं, सड़कें खाली हैं, चारों तरफ का वातावरण शांत है। लॉकडाउन का सबसे अधिक सकारात्मक प्रभाव हवा पर पड़ा है, हवा साफ हो गयी है।

विश्वभर में लोग गाड़ियों, दफ्तरों और कारखानों से अधिक समय, घर पर व्यतीत कर रहे हैं। सैटेलाइट इमेज़री के ज़रिये मिली जानकारी के अनुसार, विश्व भर के प्रमुख शहरों जैसे लंदन, वुहान, न्यूयॉर्क, दिल्ली, पेरिस, मैड्रिड में मार्च महीने अंत में पीएम (हवा में मिश्रित अति सूक्ष्म प्रदूषक,पार्टिकुलेट मैटर) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा में गिरावट दर्ज़ की गयी है।

यूरोपियन स्पेस एजेंसी द्वारा जारी तस्वीरें बताती हैं कि वायुमंडल में जीवाश्म ईंधन से उत्सर्जित हानिकारक गैसों में भीषण बदलाव हो रहा है। ब्रिटिश वेबसाइट कार्बन ब्रीफ की रिपोर्ट में पाया गया है कि इस वर्ष के शुरुआती चार हफ्तों में चीन में कार्बन उत्सर्जन में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है। साथ ही अधिकांश देशों में वायु परिवहन भी पूरी तरह से ठप हो गया है।

प्रकृति अपने रंग में आ रही है वापस

वेनिस शहर की नहर इतनी साफ हो गयी है कि आप तल में पड़ी कंकड़ों को, छोटी सुंदर मछलियों को आराम से देख सकते हैं। सैलानियों की भीड़ ने इस नहर को दूषित कर दिया था। जानवरों और पंक्षियों की कई प्रजातियों को इस दौरान बड़े शहरों की सड़कों पर देखा गया। वेल्स के लेनदुदनों शहर में जंगली कश्मीरी प्रजाति की बकरियों को दिन में सड़कों में टहलते देखा गया।

जापान के नारा शहर में हिरनों का झुंड गलियों में फूल पत्ती खाते देखा गया। स्पेन के बार्सेलोना शहर में जंगली सुअर देखे गए, आम दिनों में ऐसे जानवरों का शहर में देखा जाना लगभग नामुमकिन है। चिली की राजधानी, सेंटिआगो में एक जंगली प्युमा रात के कर्फ्यू में वीरान सड़कों पर भटकता देखा गया।

जानवरों और पक्षियों की अनेक दुर्लभ प्रजातियों की वापसी हो रही है, उन्हें शहरों में या शहर के आसपास देखा जा सकता है। यातायात के ठप होने से शहरों में पक्षी फिर से जीवित हो उठे हैं।

भारत में दिख रहा है नीला आसमान

130 करोड़ की आबादी के साथ जब भारत ने मार्च के अंत में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का फैसला लिया, तो इसका पर्यावरण पर एक बड़ा प्रभाव पड़ना अपेक्षित था। वाहनों का आवागमन लगभग पूरे देश में प्रतिबंधित हो गया जो कि वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण का प्रमुख स्रोत है।
वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट के अनुसार, भारत के प्रमुख प्रदूषित शहरों के ऊपर नीला आकाश और प्रदूषकों में आकस्मिक गिरावट एक प्रभावशाली परिवर्तन की ओर संकेत कर रहा है।

देश की राजधानी, नई दिल्ली में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 में एक सप्ताह के दौरान 71 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज़ की गयी। 20 मार्च को इसकी मात्रा 91 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी जो 27 मार्च को 26 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रह गई। विश्व स्वस्थ्य संगठन इसकी मात्रा को 25 से ऊपर असुरक्षित समझता है।

दिल्ली में इसी एक सप्ताह में नाइट्रोजन-डाइ-ऑक्साइड की मात्रा 52 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 15 पर आ गई। मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, और बैंगलोर में भी वायु प्रदूषकों में भारी गिरावट दर्ज की गई है।

भारत श्वास संबंधी रोग से होने वाली मौतों में विश्व में पहले स्थान पर है। इस प्रकार के फेफड़ों से संबन्धित बिमारियां कोरोना वायरस को और भयावह रूप दे सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें, तो वृद्ध व्यक्ति, या किसी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति, या अस्थमा रोगियों को यह वायरस आसानी से अपना शिकार बना सकता है|

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