एक दिन मैंने देखा कि मौसम बहुत अच्छा था, और बहुत ठंडी ठंडी हवाएं चल रही थी, उस का लुफ्त उठाने के लिए मैं अपने घर के छत पर गई ,थोड़ा थोड़ी सी मस्ती थोड़े थोड़ी सी मौसम का लुफ्त उठाया ,अचानक मेरे दिमाग में एक बात आई थी ,मैं अपने आसपास और अपने घर में देखती हूं ,कि महावारी को लोग शर्म मानते हैं, इसे इसे गंदा व इसे छुपाने की बात क्यों की जाती है, जो एक लड़की की तकलीफ और महावारी के समय का दर्द को क्यों नहीं समझा जाता ,और इस पर बात करने के बदले छुपाने के लिए बोला जाता है ,’आखिर क्यों’
क्या महावारी एक शर्म है ,छुपाने की बात है, हमें किसी से बताना नहीं चाहिए!
मैंने तो यहां भी देखा कि जब एक लड़की की शादी हो जाती है, तो ससुराल में सास ससुर पति भी इस पर बात नहीं करना चाहते ,और बोलते हैं शर्म की बात है ,और यहां छुपा कर रखने वाली बात होती है, शांत रहें अपना दर्द किसी को ना दिखाएं पेट में जब दर्द होता है तो मुझे पैड लाकर और दवाई भी दी जाती है ,और बोला जाता है कि समय से सारा काम हो जाना चाहिए घर की जिम्मेदारी संभालना एक बहू का धर्म होता है और वही जो पति जो शादी करके लेकर आया है ,और बच्चे की मांग करते हैं वह यह नहीं समझता कि उस मेरा दुख दर्द उसका भी है ,बच्चे भी तो महावारी से पैदा होते हैं, साथ ही कभी भी महावारी को लेकर बात ना करने की वजह से मुझे कई बार संक्रमण हो जाता है जिस परेशानी का सामना मैं करती हूं मगर किसी से नहीं बोल पाती क्यों कि मुझे बचपन से ही सिखाया गया है कि महावारी एक शर्म है!
मैं आप लोगों से जानना चाहती हूं कि क्या महावारी एक शर्म है क्या हमें इस पर बात करने की जरूरत नहीं है या बात करने की जरूरत है!