Site icon Youth Ki Awaaz

My Period Story : कुछ किस्से मेरी माहवारी के

हैलो दोस्तो,

मेरा नाम अनुष्का झा है। मेरे पापा का नाम श्री आनंद मोहन झा है ।मैं बिहार  की रहने वाली हूँ। अभी मैं नॉएडा के सदरपुर गाँव में रहती हूँ।आज मैं आप सबको बताऊंगी कि पीरियड्स को लेकर मेरे क्या ख़्याल हैं? और अपने कुछ अनुभव भी साझा करुँगी!

 

 

पहली बार!

 

जब मुझे पहली बार पीरियड्स हुए थे उस समय मैं केवल 11 साल की थी। और आपको पता है कि “मुझे खून से बहुत डर लगता है।” पीरियड्स के बारे में पता होने के बावजूद भी जब मुझे पीरियड्स हुए तो मैं डर गई थी और मैंने अपनी मम्मी को बताया और रोने लगी । मम्मी ने मेरी बहन को बताया और मेरी दीदी ने मुझे पैड इस्तेमाल करना सिखाया। फ़िर मम्मी और दीदी ने मुझे बताया कि यह तो आम बात है और यह कोई बीमारी नहीं है यह तो हर लड़की को हर महीने होता है और मेरा बहुत ध्यान रखा जैसे याद दिलाना कि 4-6 घंटे में पैड बदलना है, कपड़े गंदे तो नहीं हो गए, और मेरा पेट बहुत ही दर्द होता था इसलिए गरम पानी देना, और मुझे खुश रखना।मानो मम्मी की जिममेदारियां दो गुनी हो गई हो।

 

जब स्कूल में  मुझे अचानक एक दिन मुझे पीरियड्स हो गए-

 

उस टाइम मैं कक्षा 6 में  थी, मुझे मेरी पीरियड्स की डेट याद नहीं रहती थी जो कि बहुत जरूरी है क्यूंकि डेट याद रहने से आपको कहीं  भी शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा । एक दिन अचानक से स्कूल में मुझे सुबह-सुबह टीचर के अटेंडेंस लेते समय ही पीरियड्स हो गए और पेट दर्द होने लगा ।वो तो मेरा सौभाग्य मानो कि मेरी बहन उसी स्कूल में ही  पढ़ती थी तो मेरी क्लास टीचर ने उनको बुलवाया और मुझे उनके साथ छुट्टी दिलवाई और घर भेज दिया । मेरी बेवकूफी की वजह से  बुरा यह हुआ कि दीदी की एक दिन की पढ़ाई खराब हो गई और स्कूल में तमाशा हुआ वो  अलग।लेकिन इससे कुछ अच्छा भी हुआ – वो यह कि उस घटना के बाद सभी लड़कियां अपने बैग में एक-एक सेनेट्री पैड रखने लगी और मेरी क्लास टीचर भी अपने लॉकर में  एक पैड का पैकेट रखने लगी। अब मेरे बैग में भी हमेशा एक पैड होता है और आप सबसे यही कहना चाहूंगी कि प्लीज आप सब भी अपने बैग में एक-एक पैड जरूर रखें।

 

क्वारनटीन में पीरियड्स –

अब मैं 10 वी कक्षा में हूँ और लोकडाउन में  फसी हुई हूँ बिल्कुल आप सब की तरह । मुझे मेरी स्कूल की बहुत ही याद आ रही  है ।  जब पीरियड्स मंथली साइकिल होते हैं तो  लोकडाउन में भी होंगे तो जरूर ही  पीरियड्स के लिए कोई लोकडाउन नहीं है  तो प्लीज आप सब अपना पहले से अधिक व बेहतर ध्यान रखें। क्योंकि कोरोना  एक ऐसी बीमारी है जिसमे हमें हर हाल में साफ सफाई का बहुत ध्यान रखना है। तो मुझे जब लोकडाउन में पीरियड्स हुए तो मैं सेनेटरी पैड लेने दुकान पर गई  । सारी दुकानें बंद थी बस एक  मेडिकल स्टोर खुला हुआ था जिस मेडिकल पर एक भैया बैठे हुए थे । मैंने उनसे थोड़ा हिचकिचाते हुए बोला,“भैया आपके पास पैड है ?”  तो  उन्होंने बड़े ही प्यार से पूछा – कोन सा ? तो मैंने कहा ‘नाइन” तो उन्होंने मुझे पैड पैक करके दे दिया।फिर उन्होंने मुझे कहा बेटा पॉली-बैग्स बंद हो गए है तो  घर से कुछ लेकर आया करो ।  मैंने कहा ओके भैया आगे से ध्यान रखूंगी।मन तो था कि बोलूं पॉली-बैग्स नहीं भी हैं तो भी क्या हुआ,इसमें शर्म कैसी पर फिर सोचा रहने दो।फिर उन्होंने मुझसे कहा बेटा आप मुझे  भैया बोल रहे हो इसलिए एक बात बोलूं आप पैड लेने आए हो कुछ गलत नहीं तो हिचकिचाहट क्यों ,अच्छे से बोलो । फिर जब मैं वापिस आ रही थी तब मुझे मेरी पड़ोस की लड़की मिली तो उसने मुझसे कहा,  “कुछ तो शर्म कर वो एक लड़का है जिससे तूने पैड लिया है।”  तो मैंने कहा शर्म मुझे नहीं आपको करना चाहिए क्योंकि वो एक लड़का होकर मुझे कह रहें है कि पैड कुछ गंदा नहीं है और तुम कह रही हो कुछ तो शर्म करो।

 

अगले दिन

 

मैंने वाइट कलर की ड्रेस पहन रखी थी तो जब मैं मॉर्निंग में उठी तो मेरे कपड़े गंदे हो चुके थे । मैंने ध्यान नहीं दिया और दुकान जा रही थी  तो मेरे पापा की नजर गई  । तो पापा ने मम्मी को बताया और मेरे कपड़े बदलवा दिए। और मम्मी से पापा ने पूछा घर में पैड

नहीं है क्या? कहीं अनुष्का कपड़ा तो इस्तेमाल नहीं करती है? मुझे बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि जिसके पास मेरे मम्मी-पापा जैसे मां-बाप हैं, वे बहुत  खुश किस्मत होंगे।

 

पीरियड्स में याद रखने योग्य बातें :

  1. 4-6 घंटे पर पैड या कपड़ा बदलना ।
  2. यदि कपड़े का इस्तेमाल कर रहें हैं तो उसको अच्छे से धोकर धुप में सुखाएं व कपड़ा सूती हो तो बेहतर है ।
  3. साफ सफाई का ध्यान रखें।
  4. लोग पीरियड्स में चिड़चिड़े हो जाते है इसलिए उन्हें खुश रहने दें व खुद भी खुश रहे।
  5. फल और हरी सब्जियों का सेवन करे।
  6. पेट दर्द ,कमर दर्द के लिए योगासन करें व गर्म पानी का सेवन करें और गरम पानी का सेक लें।

7.सबसे जरूरी बात आप जिस बैग को बाहर लेकर जाते है उसमे एक पैड जरूर रखें।

  1. पीरियड्स की डेट याद रखें और यदि याद न रहे तो ये याद रखें कि पीरियड्स आने से पहले आपको वाइट पानी जैसा बहाव होगा,पेट के निचले हिस्से में ऐठन महसूस होगी तो समझ जाना पीरियड्स आने वाले है।( इसमें आपके सबके अलग-अलग लक्षण भी हो सकते हैं।)
  2. यदि 11 से 16 की उम्र में होते हैं तो ठीक है यदि आपको लेट होते है पीरियड्स तो डॉक्टर से मिले । कभी कभी ऐसा भी होता है हम 18-25 तक होते हैं तब तक पीरियड्स नहीं होते तो चेक करवाएं।कभी कभी बहुत लडकियों को 11 साल से भी पहले हो जाते हैं पीरियड्स, यह हमारे शरीर पर निर्भर करता है ।
  3. यदि आपका खून का बहाव ज्यादा या बहुत कम है तो चेक करवाएं।
  4. पीरियड्स 28 दिन के अंतराल में होता है ।
  5. पीरियड्स में यदि अधिक समय का अंतराल आए या बहुत कम समय का अंतराल आए तो  डॉक्टर की सलाह ले।

 

मेरे मन में बहुत सारे प्रश्न थे पीरियड्स को लेकर,शायद आपके मन में भी हो ।मेरे सारे प्रश्नों के उत्तर तो मिल गए । मेरी रीतिका दीदी ने दिए जो मेरी S.M. यानि Social Mobiliser दीदी हैं रूम टू रीड में। शायद आपके मन में भी प्रश्न हो,आशा करती हूँ कि कुछ प्रश्नों के उत्तर मिल जाएंगे :

  1. पीरियड्स में इतना दर्द क्यों होता है?

 

हमें दर्द इसलिए होता है क्यूंकि जब हमारा अंडाणु निषेचित नहीं होता हैं तो वह गर्भाशय के माध्यम से शरीर से बहार निकल जाता है और योनी से गर्भाशय की अंदरूनी परत अलग हो जाती है।यह अंदरूनी परत खून के साथ निकलती है।जब खून का निकास होता है तब हमारे  पेट में खींचाव होता है  जिसके कारण पेट में दर्द व ऐठन होती है।

 

2.पीरियड्स सिर्फ लडकियों को ही क्यों होते हैं?

पीरियड्स सिर्फ लडकियों या महिलओं को ही होतें हैं क्यूंकि एक पुरुष व महिला की शारीरिक संरचना अलग होती है व अलग अलग अंगो के अलग अलग कार्य होते हैं । पुरुषों में अंडाशय व गर्भाशय न होने के वजह से उन्हें पीरियड्स नहीं होते ।

 

  1. इसमें हमें कमज़ोरी क्यों महसूस होती है ?

हमें कमज़ोरी इसलिए महसूस होती है क्यूंकि हम फास्ट फूड खाते है और ग्रीन वेजिटेबल व दाल नहीं खाते व दूध भी नहीं पीते।यदि हम अपने खान पान का ध्यान रखेंगे तो कमजोरी कम महसूस होगी ।

 

  1. क्या इस प्रक्रिया के बाद हमारी हाईटबढ़नी बन्द हो जाती है ?

नहीं ,इससे हाईट बढ़नी बन्द नहीं होती यदि 18 साल तक हमारा खान पान ठीक रहे तो।

अभी मैं आप सभी से अलविदा लेती हूं ।

धन्यवाद।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

खुशी

मेरा नाम खुशी है। मैं नॉएडा के सदरपुर गाँव में रहती हूँ व कक्षा 7 में पढ़ती हूँ ।मैं पीरियड्स से जुड़े अपने अनुभव साझा करना चाहती हूँ ।मेरी माँ जॉब करती हैं तो वे शाम में ही घर लौटती हैं इसलिए पापा हमे हमारी ज़रूरत की हार चीज़ दिलाते हैं। जब भी मुझे पीरियड्स होते हैं तो मेरे पापा मेरे लिए मेरी डेट आने से पहले ही पैड ले आते हैं,वे बहुत अच्छे हैं व मेरा ख्याल भी रखते हैं । वे स्कूल से लेकर घर के सभी कामों में मेरी सहायता करते हैं । जब मुझे पहली बार पीरियड्स हुए थे तब भी मुम्मी घर पर नहीं थी तो पापा ने ही मुझे समझाया पीरियड्स के बारे में व उन्होंने मुझे पैड लाकर भी दिया। वे मेरी हर परेशानी को समझते हैं, मेरे हर सुख दुःख या बीमारी में मेरा साथ देते हैं व मुझे भी उनसे बात करने में फिर हिचकिचाहट महसूस नहीं होती ।वे मुझे माँ की कमी महसूस नहीं होने देते और एक माँ की तरह ही मेरा ध्यान रखते हैं ।इसलिए मैं आप सबसे कहना चाहूंगी आप भी हिचकिचाएं नहीं,यदि घर में कोई भी भरोसेमंद व्यक्ति है तो उन्हें अपनी बात बताएं ताकि हमें चीजों की सही समझ हो और हमारी माँ यदि घर में नहीं हैं तो हम अपने पिता को भी बता सकते हैं,वह भी हमारी माँ की तरह हमारी देखभाल कर सकते हैं ।

धन्यवाद।

Exit mobile version