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My Period Story# मेरी पीरियड्स की कहानी: “पहली बार पीरियड्स के बारे में कैसे पता चला?”

मेरी पीरियड्स की कहानी: “पहली बार पीरियड्स के बारे में कैसे पता चला?”

मैं 28 वर्षीय अविवाहित और कामकाजी स्त्री हूं, वैसे तो बहुत से ऐसे विषय थे जिन पर मैं अपने विचारों को व्यक्त कर सकती थी परंतु मैंने यह विषय इसलिए चुना क्योंकि इसके ऊपर जो मेरे जीवन का अनुभव रहा है वह शायद इस दुनिया में बहुत-सी लड़कियों से जुड़़ा होगा।

आज से चौदह साल पहले, पहली बार मुझे पीरियड्स के बारे में पता चला या यूं कहें गलती से सुन लिया। मेरी कक्षा की कुछ लड़कियां मैं बता दूं मैं आठवी कक्षा की बात कर रही हूं, हां तो कुछ लड़कियां आपस में कुछ बातों को कहकर बहुत ज्यादा फुसफुसा रही थी और बीच-बीच में हंस भी रही थी मुझे ऐसा लगा जरूर कुछ ऐसी बात चल रही है जिसका पता मुझे भी होना चाहिए। उस वक्त तक मुझे किसी भी ऐसी बात का ज्ञान नहीं था जिसका ज्ञान अब होने वाला था, उसमें से कुछ बातें फर्स्ट नाइट से जुड़ी थी, तो कुछ प्यार-मोहब्बत से और कुछ जुड़ी थी मां बनने से और उसी में थी बातें पीरियड से जुड़ी हुुई। जब उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या तुझे हर महीने पीरियड आते हैं तो मुझे कुछ समझ नहीं आया कि वह किस बारे में बात कर रही हैं? तब तक तो हमारे विज्ञान के टीचर ने भी ऐसी कोई बात नहीं बताई थी। मैं सोच में पड़ गई कि क्या कुछ ऐसा हैं जो मुझे भी होना चाहिए, लेकिन अभी तक हुआ नहीं है। उन्होंने मुझसे कहा परेशान मत हो तू जब 14 वर्ष की हो जाएगी तो तुझेे भी आ जाएंगे पीरियड। मैं बड़ी उत्सुकता से इंतजार करने लगी क्योंकि मेरा जन्मदिन तो दिसंबर में ही था, इसके बाद कहीं-न-कहीं मुझे एक उत्सुकता भी रहती यह कब होगा और कब मैं इसे अनुभव कर पाऊंगी और मैं भी एक संपूर्ण स्त्री बन जाऊंगी जैसा कि सब कहते हैं कि जिस को पीरियड होते हैं उनकी शादी में कोई समस्या नहीं आती, शादी आराम से हो जाती है।

और एक दिन फरवरी के महीने में मुझे आज भी तारीख याद है 13 फरवरी क्योंकि उस वक्त हम अपने स्कूल के फंक्शन की डांस प्रैक्टिस में लगे थे और हुआ यूं कि छुट्टी होने से शायद एक या 2 घंटे पहले मुझे पीरियड आ गए जिसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता था। शुक्रवार का दिन था इसलिए ड्रेस भी सफेद थी और हुआ यूं कि मेरे अलावा शायद मेरी कक्षा के सभी लड़कों को यह चीज पहले दिख गई लेकिन किसी ने हिम्मत नहीं की कि कोई मुझे यह बात बताये। क्योंकि शायद उस वक्त के लड़के इतने बोल्ड नहीं थे। जब मैं घर जाने के लिए निकली तो मेरी एक फ्रेंड ने बोला कि तेरे पीछे से गंदा हो गया उस वक्त मुझे समझ नहीं आया कि मुझे हुआ क्या है लेकिन मुझे बहुत डर लग रहा था क्योंकि मैं घर कैसे जाऊंगी और मेरा घर कम से कम नहीं तो 15 से 20 मिनट की दूरी पर था।

जैसे-तैसे घर पहुंची और मम्मी को बताया उन्होंने सीधा मेरे हाथ में कपड़ा दे दिया और बोले इसे लगा लो। मेरे घर में मुझसे बड़ी दो बहने भी थी। और मुझे उस वक्त भी इस बारे में कुछ नहीं बताया गया, मैं उस वक्त यही सोचती रही कि इस विषय पर बात करना जरूरी क्यों नहीं लगता? पीरियड्स के बारे में पहले से क्यों नहीं बताया गया? आज अचानक पीरियड होने पर सिर्फ एक कपड़ा पकड़ा देना और कुछ चीजें करने या ना करने के निर्देश देकर बात खत्म कर दी गई मुझे कुछ आधे-अधूरे ज्ञान के साथ ही काम चलाना पड़ा।

आज मेरे घर में इन बातों पर चर्चा करने को लेकर इतनी झिझक नहीं है, जितनी मैंने अपने बचपन में देखी। पर सच कहूं तो शायद! उस समय मुझे जब पहली बार पीरियड आए थे तब मुझे मेरी मां के स्नेह और खुलकर इस विषय पर बात करने की बहुत जरूरत थी।

धन्यवाद!

सिल्की गोयल।

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