Site icon Youth Ki Awaaz

My Period Story: मेरी कहानी मेरा अनुभव

Period Virginity blood

अच्छा लगता है की लड़कियां और महिलाएं पीरियड्स के बारे में खुलकर बात करने लगे है और इसके बहुत सारे माध्यम है जिसके जरिए यह अपनी बात को दूसरों के सामने और अपने जो अनुभव है दूसरों के सामने शेयर कर रहे हैं पहले कि अगर मैं देखूं तो इस चीज को बहुत छुपा कर रखा जाता था और अपनी लड़कियों से साझा नहीं किया जाता था ना ही उन्हें इसके बारे में कुछ बताया जाता था इसी तरीके की इसी प्रकार की एक कहानी में अपनी भी बताना चाहती हूं कि जब मेरा पहला पीरियड हुआ था तब मैंने कैसा महसूस किया और मुझे कैसा लग रहा था।

मार्च का महीना था जब हमारी वार्षिक परीक्षा हो रही थी उसी वक्त जब सुबह मैं अपने परीक्षा के लिए तैयार होने लगी तो मैंने ध्यान नहीं दिया और मैंने जल्दी-जल्दी अपनी स्कूल की ड्रेस चेंज की और मैं ऐसे ही स्कूल चली गई जब मैं परीक्षा देने बैठी तो मुझे बहुत अजीब सा फील हो रहा था और मुझे बहुत चिपचिपा सा महसूस हुआ और मैं बार-बार टीचर से पूछ कर wash रूम जा रही थी जब मैंने देखा तो मेरे सलवार पर रेड कलर के स्पोर्ट्स लगे हुए थे उस टाइम में बहुत घबरा गई और मुझे लगा मैं अपनी परीक्षा कैसे दूं । जैसे-तैसे मैंने अपनी परीक्षा पूरी की और फौरन में अपने घर की तरफ दौड़ी मुझे लगा कि कोई कुछ बहुत बुरा हुआ है जिसकी वजह से यह मुझे इतना खून आ रहा है । घर आकर मैंने अपनी मम्मी से बात नहीं की मैंने जल्दी से कपड़े बदल लिए जो कपड़े में उतार कर गई थी मम्मी ने मुझे एक पेंटी और उसमें कपड़ा लगा कर दिया कि सलवार पहनने से पहले इसको पहन लेना और कपड़ा लगाकर केस को इस तरीके से लगा लेना जिससे कि तुम्हारे कपड़ों पर कोई भी दाग ना आए तो मैंने ऐसे हीकिया । पहले कपड़े का इस्तेमाल होता था और उन्होंने मुझे भी कपड़ा इस्तेमाल करने की सलाह दी। उस समय मेरे बहुत दर्द हो रहा था मैंने जब उनसे कहा कि मेरे दर्द हो रहा है और ऐसा क्यों हो रहा है उन्होंने कहा कि ये सभी को होता है कोई नई बात नहीं है उन्होंने एक बात कही ज्यादा बाहर मत जाना और ना ही ज्यादा उछल कूद करना ।तो उस वक्त में लेट गई थी और मेरे बहुत ज्यादा दर्द होने लगा उस वक्त मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा था पर मेरे मन में सिर्फ एक ही सवाल था कि मैं बाहर जाकर ऐसे में खेल क्यों नहीं सकती उस वक्त पैड का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होता था बस कपड़े का इस्तेमाल था मेरी मम्मी द्वारा कहा गया कि जब यह खराब हो जाए इसको बदल लेना।और एक जगह उन्होंने कपड़े रख दिए बहुत सारे उन्होंने कहा कि इसमें से कपड़े ले लेना उस वक्त किसी ने हमें बताया नहीं था यह माहवारी क्या है क्या नहीं है क्यों होता है तो वह सवाल ऐसे के ऐसे ही हमारे मन में रहे लेकिन आज जब मैं खुद एक सोशल मोबिलाइजर हूं और खुद सभी लड़कियों को इस पीरियड के बारे में बताती हूं कि किस तरीके से उन्हें अपनी साफ सफाई रखनी है कैसे हमें पेड़ इस्तेमाल करने हैं तो मुझे अच्छा लगता है कि जो हमारे साथ हुआ यह जिसकी जानकारी हमें नहीं थी आज हमारी सभी लड़कियों को उसकी जानकारी अच्छे से है और जब उनके साथ यह पीरियड्स होते हैं तो उन्हें इस बात की कोई भी घबराहट नहीं होती क्योंकि उन्हें पहले से इस जानकारी होती है।
मुझे लगता है मेरी ही तरह न जाने कितनी लड़कियों के साथ यह सब घटित हो चुका है कि शायद मेरी तरह बहुत सी लड़कियों को पीरियड के बारे में जानकारी नहीं थी लेकिन आज मुझे खुशी होती है कि आज हमारे महिलाएं लड़कियां घर में अपने खुलकर इस बारे में बात कर पाती हैं और अपनी बात को दूसरों के सामने रख पाते हैं आशा करती हूं कि आपको मेरी कहानी मेरा अनुभव पसंद आएगा।

Exit mobile version