Site icon Youth Ki Awaaz

घंटों सैनिटरी पैड्स नहीं बदल पाने से कैसे प्रभावित होती है महिलाओं की कार्यक्षमता

अब महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सार्वजनिक जीवन में प्रवेश करने लगी हैं। हम स्कूलों से लेकर लगभग हर कार्यालयों तक महिलाओं की उपस्थिति देख रहे हैं।

महिलाओं को इन कार्यों में लगाया तो जा रहा है लेकिन उनकी कुछ मूलभूत आवश्यकताओं में से एक मासिक धर्म के दौरान होने वाली कठिनाइयों मसलन पैड बदलने के स्थान आदि को लेकर उतने प्रयासरत हम क्यों नहीं हैं?

कार्यालयों में कार्य करने वाली कुछ महिलाओं से मैंने इस सम्बंध में बात करने की कोशिश की। उनमें से बहुत सारी महिलाएं तो खुल कर इस विषय पर कुछ भी बताने को तैयार ही नहीं थीं। बस उन्होंने इतना कहा कि हां उन्हें पीरियड्स के दौरान बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

विद्यालय के शौचालय में पैड बदलने पर असहज महसूस करती हैं शिक्षिका

एक महिला नें बताया की वह जिस स्कूल में कार्यरत हैं वहां पर शौचालय तो है लेकिन उस शौचालय में पैड बदलने पर असहज महसूस करती हैं। ऐसे में वह पैड बदलने के लिए स्कूल के पड़ोस में स्थित एक घर पर जाती हैं। जहां उन्हें अपने प्राइवेट पार्ट की साफ-सफाई के बिना ही पैड बदलना पड़ता है।

उस महिला नें यह भी बताया कि जब उसने इस परेशानी को अपने घर पर बताया तो उसकी दादी माँ ने उसे डपटते हुए कहा कि उनके समय महिलाएं अंडर वियर नहीं पहनती थीं और पीरियड्स के दौरान अक्सर कपड़े का प्रयोग करती थी जिसे हमेशा गिरने का डर बना रहता था। उसे गिरने से रोकने के लिए वे अक्सर कपड़े के कुछ हिस्से को प्राइवेट पार्ट के अंदर डालती थीं। जिससे उन्हें बहुत मुश्किलें होती थी।

उस महिला ने‌ आगे बताया कि उसकी दादी ने कहा कि तुम लोगों की यह कठिनाई उस कठिनाई के सामने कुछ नहीं। यह कह कर उन्होंने हमें चुप करा दिया।

एक अन्य महिला नें कहा कि पीरियड्स के दौरान  एक ही पैड लम्बे समय तक प्रयोग करने के कारण जब वह खून से भर जाता है तो हमें काम करने में असहजता महसूस होती है। इससे हमारी कार्यक्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है।

महिलाओं की परेशानियों पर सर्वे की पुष्टि

विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत इन महिलाओं द्वारा बताई गई बातों की पुष्टि विभिन्न प्रकार के सर्वेक्षणों से भी हुई हैं। विभिन्न शहरों के 2000 से ज़्यादा महिलाओं पर किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि 60 प्रतिशत महिलाएं मासिक धर्म के दौरान तैराकी, योग आदि क्रियाकलाप नहीं कर पाती हैं। इस सर्वे में लगभग आधी महिलाओं ने कहा कि पीरियड्स के दौरान वे अपने काम पर ध्यान नहीं दे पाती हैं।

58 प्रतिशत महिलाओं ने यह माना कि पीरियड्स उनकी कार्य क्षमता पर कुछ असर डालता है। 8 प्रतिशत महिलाओं ने इस सर्वे के दौरान यह बताया कि उन्हें पीरियड्स के दौरान कार्यालयों में सिर्फ इस नाते आलोचना झेलनी पड़ती है क्योंकि इस दौरान वे ठीक से काम नहीं कर पाती हैं।

संक्रमण का खतरा

इस सर्वे और बहुत सारी महिलाओं से बात करने से इस बात की पुष्टि होती है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कार्यस्थल पर पैड बदलने का उपयुक्त स्थान न होने से उनकी सम्पूर्ण कार्यक्षमता का लाभ हमें नहीं मिल पाता है।

साथ ही साथ दिनभर एक ही पैड का प्रयोग करते रहने के कारण जब वह खून से भर जाता है तो महिलाओं के मूत्र मार्ग पर फंगल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।

इसके साथ-साथ त्वचा खुजलाहट के कारण लाल हो जाती हैं और कई बार फफोलों के साथ घाव भी हो जाते हैं। साफ-सफाई की कमी के कारण महिलाओं के बांझ होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

इन विभिन्न प्रकार की बहुत ही खतरनाक समस्याओं को देखते हुए ज़रूरी है कि हर कार्यस्थल पर पीरियड फ्रेंडली टॉयलेट की व्यवस्था की जाए साथ ही इन टायलटों की नियमित सफाई भी होती रहनी चाहिए।

आखिर जब महिलाएं सार्वजनिक जीवन में कार्य कर ही रही हैं तो उनकी एक अनिवार्य और मूलभूत आवश्यकता का ध्यान रखते हुए हमें उनकी सुविधाओं का ख्याल रखना ही होगा। ताकि वह अपने जीवन को सुरक्षित रख सकें और सहज होकर अपने कार्य में शत-प्रतिशत योगदान दे सकें।


नोट: विवेक YKA के तहत संचालिच इंटर्नशिप प्रोग्राम #PeriodParGyaan के मई-जुलाई सत्र के इंटर्न हैं।

Exit mobile version