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आज से चलाई जाने वाली 15 ट्रेनों से जाने के लिए करना होगा इन नियमों का पालन

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ट्रेन में बैठने के लिए लाइन में लगे प्रवासी मज़दूर

विदेशों से भारतीयों को वापस लाए जाने के बाद अब भारत सरकार देश के अंदर जो प्रवासी मज़दूर देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए हैं उन्हें भी उनके घरों तक पहुंचाने के लिए तैयार है। वंदे भारत अभियान के तहत विदेशों में फंसे 14,800 भारतीयों को भारत वापस लाया जा रहा है जिसके लिए एयर इंडिया की 64 फ्लाइटों को उड़ान की अनुमति दी गई थी।

रेलवे चला रहा है 15 स्पेशल ट्रेनें

इसी की तर्ज पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लॉकडाउन खुलने से पहले ही रेलवे की 15 ट्रेनों को 12 मई से चलाने की योजना बनाई है। यह ट्रेनें नई दिल्ली से देश के अलग-अलग 15 शहरों में फंसे छात्रों और कामगारों के लिए चलाई जाएंगी। बीते रवीवार को अपने ट्विटर अकाउंट से रेल मंत्री ने इस बारे में जानकारी दी थी।

इस योजना के तहत नई दिल्ली से डिब्रुगढ़, अगरतला, हावड़ा, पटना, बिलासपुर, रांची, भुवनेश्वर, सिकंदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, मडगांव, मुंबई सेंट्रल, अहमदाबाद और जम्मू तवी के लिए ट्रेनें चलाई जाएंगी। बता दें की लॉकडाउन के चलते रेल सेवा 17 मई तक बंद थी लेकिन हजारों और लाखों की संख्या में प्रवासी मज़दूरों ने पैदल ही पलायन शुरू कर दिया था, जिस कारण से उन्हें बहुत-सी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।

यह मज़दूर भूखे-प्यासे ही बिना किसी यातायात सेवा के कई किलोमीटर पैदल चलकर अपने घरों तक पहुंचने पर मजबूर हो गए थे। लॉकडाउन के चलते ना तो इनके पास काम था और ना रहने के लिए घर था। साथ-ही-साथ इनके जेब में अब पैसे भी नहीं थे और ना ही अपने बच्चों का पेट भरने के लिए खाना था, इसलिए हालातों के मारे इन मज़दूरों ने अपने-अपने गांव जाने का फैसला कर लिया था।

ट्रेन की तस्वीर

मज़दूरों को हजारों किलोमीटर चलना पड़ रहा है पैदल

यातायात सेवा बंद होने के कारण कोई 800 किलोमीटर, तो कोई 1200 किलोमीटर पैदल चल रहा था। इस कारण ये लोग कई-कई दिनों तक अपने परिवारों और कंधे पर भारी सामान के साथ पैदल चल रहे थे। इसलिए मजदूर दिवस से सरकार ने इन प्रवासी मजदूरों की मुश्किल को थोड़ा हल करने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई थीं, जिनमें बिना किसी किराए का भुगतान किए ही सरकार इन्हें इनके घरों तक पहुंचा रही थी।

सरकार का कहना तो ये था कि इन ट्रेनों में यात्रा का 85 प्रतिशत केंद्र सरकार देगी और बाकी का 15 प्रतिशत राज्य सरकार को देना होगा। लेकिन फिर भी इन मज़दूरों से बहुत-सी जगहों पर टिकट के नाम पर 900-1000 रुपय तक वसूले गए तो कहीं कोई पार्टी अपनी राजनीति चमकाने में व्यस्त दिखाई दी।

अब श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के साथ-साथ 15 ट्रेनें भी चलाई जाएंगी, इसके लिए सरकार ने कुछ नियमों को जारी किया है:

ट्रैक पर चलती ट्रेन की तस्वीर

कैसे करनी होगी टिकट बुकिंग

टिकट बुक करने के लिए सरकार ने ऑनलाइन प्लेटफोर्म का माध्यम चुना है, जिसके लिए केवल आई.आर.सी.टी.सी की वेबसाइट पर जाकर ही टिकट बुक की जा सकेगी। आई.आर.सी.टी.सी के अलावा किसी भी और साइट पर यह टिकट बुक नहीं की जा सकती है। यात्रियों को टिकट की कन्फ्रमेशन भी उनके फोन पर ई-टिकट के माध्यम से मिल जाएगी और उसी टिकट को दिखाकर वो स्टेशन के अंदर प्रवेश पा सकेंगें।

टिकट बुक करने की प्रक्रिया बीते सोमवार 11 मई शाम 4 बजे से शुरु की गई थी, जिस कारण से आई.आर.सी.टी.सी. की वेब साइट दो घंटे के लिए क्रैश हो गई थी और प्रक्रिया दोबारा से शाम को 6 बजे शुरु की गई। पहले ही दिन तकरीबन 54,000 से ज्यादा लोगों ने अपनी कन्फर्म टिकट बुक कराई और 12 मई को वे अपने घर जा सकेंगें।

रेलवे ने की है खास तैयारियां

कोरोना के चलते लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए रेलवे ने खास तैयारियां की हैं। यात्रा शुरू करने से पहले रेलवे ने सभी गंतव्य स्टेशनों पर सफाई और सैनीटाईजेशन की प्रक्रिया शुरु कर दी है।

लोगों के बीच सोशल डिस्टैंसिंग का पालन हो सके उसके लिए स्टेशन पर पांच-पांच फीट की दूरी पर बॉक्स बनाए गए हैं। स्टेशन पर सैनीटाइजर की व्यवस्था भी की गई है। यात्रियों द्वारा सबसे ज्यादा छुए जाने वाली जगहों की विशेषतौर से सफाई की गई है।

रेलवे के सामने क्या हैं चुनौतियां

रेलवे के सामने कई चुनौतियां भी हैं जिनके कारण इस पूरी प्रक्रिया में कई समस्याएं आ सकती हैं। रेलवे ने टिकट बुकिंग के लिए केवल एक ही वेबसाइट का सहारा लिया है। इसके कारण उस वेबसाइट पर लोड अचानक बड़ गया है और इसका सामना यात्रियों को करना होगा जो ऑनलाइन टिकट बुक कराएंगे।

साथ ही ऑनलाइन टिकट बुक होने के कारण कलाबाज़ारी करने वाले लोगों का गिरोह भी अब सक्रिय हो सकता है। वो ऑनलाइन टिकट बुक करने के लिए यात्रियों से ज्यादा पैसा भी मांग सकते हैं। लाखों मज़दूर और लोग इस वक्त देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे हैं। अकेले बिहार के 33 लाख मजदूर हैं तो दूसरे राज्यों के कितने मजदूर होंगे।

ऐसे में क्या सिर्फ कुछ श्रमिक स्पेशल ट्रेंनें चलाने से और 15 ट्रेनें चला देने से इन सब लोगों को इनके घर सही समय पर पहुंचाया जाना संभव हो पाएगा? क्या इस योजना से उन लोगों की तकलीफ हल हो जाएगी जो आज भी पैदल चल रहे हैं और थक कर रेलवे ट्रैक पर सोने को मजबूर हैं। पहले तो ट्रेंने चल नहीं रही थीं तब औरंगाबाद में इतने मज़दूर रेलवे ट्रैक पर कट कर मर गए, अब तो ट्रेनें भी चलने लगेंगी तो इन पैदल चलने वाले मजदूरों की सुरक्षा व्यवस्था का सरकार की तरफ से क्या इंतजाम किया गया है?

सरकार के सामने चुनौतियां

लॉकडाउन खुलने के बाद इन मजदूरों की आजिविका के लिए सरकार क्या योजना बनाएगी, कैसे इतने लाख लोगों को रोजगार उपल्ब्ध कराएगी। जिन राज्यों से मजदूर पलायन कर रहे हैं उन्हें आगे भविष्य में काम कराने के लिए मजदूर कहां से मिलेंगे?

इन लोगों द्वारा खाली की जाने वाली जगह को सरकार कैसे भरेगी? और सबसे बड़ा सवाल आखिर कब तक मज़दूर इसी तरह पलायन करते रहेंगे?

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