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Satire: “Online Exam देना है VC Sir अपना iPhone भिजवा दीजिये, आपने वादा किया था|”

 

आदरणीय वाइस चान्सलर महोदय,

            इस पत्र को लिखना शुरू करने से पूर्व एक भारी विपदा आन पड़ी थी| अपने जियो फोन पे यूट्यूब पर ‘प्रिपेयर फॉर डीयू एलएलबी’ से संबंधित विडियो देख रहा था कि मैसेज आ गया कि डाटा पैक 90% ख़तम हो गया है| मैंने सोचा कि 10% डाटा बचा ही लेना चाहिए, पता नहीं दिन भर क्या काम आन पड़े| वैसे आपको बता दूँ आजकल काम बंद हो गया है| बदरपुर की तरफ सवारी वाला ऑटो चलाया करता था, बदरपुर मेट्रो स्टेशन से मीठापुर चौक तक के 4 किलोमीटर सफर में ही सवारियों से दोस्ती हो जाती थी| दोस्ती भी कोई ऐसी नहीं कि बस ऑटो में बैठने-बैठाने वाली, पूराने दोस्तों की तरह जब तक 4 रुपये- 5 रुपये के लिए झिक-झिक न हो जाये, नौबत कॉलर पकड़ने वाली न आ जाये और सफर, ‘suffer’  न बन जाये हम दोनों के लिए तब तक याराना कैसा हुआ? ये भी बता दूँ की ये मेहनतकश भाई भी अभी मालिक से तंख्वाह के लिए लड़ कर ही आया हो शायद या कल सवारी के लिए रुपये बचा लेना चाहता हो?

            छोड़िए ये सब तो लॉकडाउन से पहले की बातें है जब ऑटो चला लिया करता था, तीन बहनों, एक भांजा- दो भांजी और प्यारी माँ के परिवार के लिये दिनभर मेहनत कर कुछ कमा लिया करता था, आज कल तो खैर काम ही बंद है, और चार दीवारी के एक कमरे के इस घर में कैद हूँ| काम बंद होने का मतलब आपके लिए तो घर पे बैठना होता होगा, मेरे लिए तो मुसीबतों का पहाड़ है| गिन-गिन कर पैसे खर्च कर रहे हैं, घर के खर्च में कमी करना तो एक बात थी लेकिन ये मुआ मोबाइल में इंटरनेट के रीचार्ज की समस्या आपको कैसा समझाऊँ, इस उलझन में हूँ| पिछली बार हाई-कोर्ट के आदेश के बाद जब आपके दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था| मीटिंग में जब मैंने आपको बताया कि मेरे पास ये छोटा बेसिक फोन हैं और बड़े प्रेम से आपने कहा कि “अरे चिंता क्यों करता है, जा मेरा फोन ले जा”, तब दिल में आपके प्रति अपार पित्र भाव उमड़ आया| उस दिन आपका महंगा आई-फोन लेने में संकोच कर गया, मुझे क्या पता था कि ऑनलाइन एक्जाम करवाने का फैसला सुना देंगे| मेरे 799 वाले जियो फोन की 1.5×3 इंच की स्क्रीन पर यूट्यूब पर ‘प्रिपेयर फॉर डीयू एलएलबी’ से संबंधित विडियो देखने में अपनी आँखें कमजोर कर ली हैं मैंने, ये ऑनलाइन एक्जाम भी जैसे-तैसे दे ही दूँगा| लेकिन आपने बताया नहीं आप question पेपर इमेज फॉर्म में भेजेंगे या PDF में। क्योंकि फोन में PDF खुलती नहीं हैं, और इतनी छोटी स्क्रीन से देखकर एक्जाम देना नामुमकिन जान पड़ता है| कहीं ईमेल पर question पेपर न भेजिएगा क्योंकि जियो फोन में जीमेल app है ही नहीं!

            अब भी अगर जियो फोन इस्तेमाल करने की तकलीफ आप नहीं समझे तो जरा अपने माली से पूछ लीजिएगा| लॉकडाउन में भी मालियों का काम कहाँ बंद हुआ होगा, लॉकडाउन में आप और बाकी बड़े अधिकारी जब शाम को घूमने-फिरने निकले, तो आँखों को सुकून और मन को ठंडक मिले इसके इसके लिए माली अंकल भी मेहनत में लगे होंगे, वो आपको लॉन में ही कहीं मिल जाएँगे| पिछले बार फ्लावर शो में गया था तो वहाँ तरह-तरह के फूलों और पेड़ो को देखते-देखते आपके वीसी लॉन के माली से टकरा गया था| मैंने फूलों और उनकी मेहनत की तारीफ, वो भी थके हुए चेहरे से मुस्कुराए| ये भी पता चला कि सारे मालीयों कि नौकरी पक्की नहीं है, बातों के बीच उनका फोन आया और वो बात करते करते निकल गए| मैंने ध्यान दिया था कि उनके पास भी मेरा जैसे ही जियो फोन है, आप उनका फोन देख लीजिएगा| वो जरूर आपको जियो फोन की लंबी बैटरी के फायदे बताएँगे, लेकिन सर मेरी तरह बैटरी के लालच में इसकी छोटी स्क्रीन पर गौर करना मत भूल जाईएगा, वरना मेरी तरह पछताएँगे की इतनी छोटी स्क्रीन में देखकर एक्जाम कैसे दें| ये खैर बाद की बात है की हमारे परीक्षा विभाग के डीन विनय सर ने कहा है “कोई भी लेटैस्ट स्मार्टफोन” काम करेगा, अब उन्हें कौन बताए मेरा पूरा परिवार इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए इस 1.5×3 इंच स्क्रीन के जियो फोन के भरोसे बैठा है, जिसमें question पेपर खुलेगा भी नहीं, लगातार की इंटरनेट connectivity आयगी या नहीं, और स्कैन का तो फिचर ही नहीं है| रही answer शीट की फोटो खीच कर सेंड करने की बात तो बता दूँ की इस फोन की फोटो quality माशाल्लाह है ऐसी जैसे मेरे सिंगल रूट डीटीसी  बस पास पर मेरी फोटो हो, कोई उसमे देख कर भी मुझे पहचान नहीं पाता इसमे खीच कर आन्सर शीट भेजूँगा तो पेपर चेक करने वाले सर पढ़ नहीं पाएंगे|

वैसे सर आजकल आप ऑनलाइन मीटिंगों की झड़ी में फंसे हुए होंगे, लगातार ये मीटिंग-वो मीटिंग, कितना बिजी रहते होंगे न आप| इधर सुनने में आया कि आपकी और बाकी डीन के साथ हो रही मीटिंग इंटरनेट कनैक्शन के कारण बाधित हुई और ये भी कि मीटिंग में मौजूद 16 में से 12 डीन द्वारा ऑनलाइन परीक्षाओं का विरोध किया, लेकिन आपको और विनय सर को मेरा सैल्युट है, आपने करना वही था जो ठानी थी| काश मैं भी आपके जैसा दृण-निश्चय और पक्का-इरादा रख पाता, और कहता कि “वीसी सर का हुक्म सर-आँखों पर, ऑनलाइन एक्जाम का फैसला आया है, तो एक्जाम ऑनलाइन ही दूँगा”, लेकिन क्या करू इस 1.5×3 इंच के जियो फोन की ही औकात है मेरी| ऊपर से मेरा घर! इस एक कमरे वाले घर में पढ़ने के लिए एक टेबल भी नहीं लगा पाया, जगह ही नहीं थी| 4 दीवारी के 4 कोनों वाले इस घर में एक दीवार के साथ बेड लगाया हुआ है, जिसके अंदर परिवार के ठंड के कपड़े, रज़ाई-गद्दा और बोन-चाइना की कुछ महंगी प्लेटें हैं| आप कभी हमारे घर आए तो बेड के अंदर से ये ही बर्तन निकालकर खाना खिलाऊंगा| कमरे के एक कोने पर दरवाजा है और एक कोने पर अलमारी, जिसमें पूरे परिवार के कपड़े भर के रखे जाते हैं, जो दो फिट की जगह बचती है वहाँ दिन में मेरी बहन के बच्चे खेलते हैं| रात में हम यहाँ भी बिस्तर लगा लेते हैं, बड़ी बहन और उसके बच्चे बेड पर सोते हैं माँ और छोटी बहन का बिस्तर इसी 2 फीट की जगह में लगता हैं और मैं, ठंड हो या गर्मी घर के बाहर दरवाजे के बाहर सोता हूँ| आप गलत न समझे दरवाजे के पास मैं घर का ‘मर्द’ होने या परिवार के ‘प्रहरी’ होने के कारण नहीं सोता, एक कमरे के घर में जगह ही नहीं तो क्या किया जाये|

            जब पिताजी जीवित थे तब वे और माँ कई बार बात किया करते थे कि दो कमरे का घर किराए पर ले लिया जाये, मैं छोटा था, कभी समझ नहीं आता था इसकी जरूरत क्या है| माँ-पिताजी हम तीनों बच्चों को ऊपर बेड पर सुलाते थे और अपना बिस्तर जमीन पर लगाते थे| पिताजी हमारे लिए मेहनत करते-करते चल बसे, उनका सपना आज मैं ढो रहा हूँ| ‘ढोना’ शायद गलत लगे आपको, मुझे भी लगता है, क्योंकि एक अलग कमरा होना मेरी पढ़ाई के लिए जरूरी हैं, लेकिन आप अपने माली से पूछिएगा कितना मुश्किल होता हैं, मजदूर परिवारों के लिए सपनों को पूरा करना| हमारे सपने हमारी जिंदगी की तरह ही ढोये जाते हैं| आपको अंदाजा हो रहा होगा कि नहीं लेकिन कसम खा कर कह रहा हूँ कि इधर एक कमरे के, गूफ़ा जैसे घर के बंद माहौल में रहना मुश्किल है, पढ़ाई-लिखाई तो दूसरी बात है| रात में परिवार अपनी थकान मिटाना चाहता है, तो रात में पढ़ाई करना मतलब उनकी नींद खराब करना| परीक्षाओं के समय न चाहते हुए भी उनकी नींद ख़राब करनी पड़ ही जाती है| अभी लॉकडाउन में काम बिलकुल बंद है तो खाने पीने के इंतजाम की चिंता में पढ़ाई में भी मन नहीं लगता| जब कभी इस चिंता में रात को नींद नहीं आती तो रात बहलाने के आपके घर के बारे में सोच लिया करता हूँ| आपका घर तो बड़ा होगा न सर, बड़े-बड़े कमरे वीथ attached बाथरूम, अलग किचन और सामने लॉन| हमारे फ्लोर पर तो ऐसे कूल 10 कमरे हैं, हर एक कमरे में ही पूरा एक परिवार रहता हैं| बाथरूम के हाल तो पूछिये मत करीब 40 लोगों के लिए 2 बाथरूम हैं| कभी-कभी लगता है कि सरकार से बोलकर हर फ्लोर को मोहल्ला घोषित करवा दिया जाये, सोच के बड़ा अजीब लगता है “150 गज की जमीन पर रह रहे हैं 5 मोहल्ले…”|

            छोड़िए सर अपनी, दुख तकलीफ का रोना लेकर बैठ जाता हूँ, मैं भी कितना मतलबी हूँ| इतनी बड़ी University के आप एकलौते वाइस-चान्सेलर हैं ऑनलाइन एग्जाम करवाने का फैसला आपने लिया होगा तो कुछ सोच कर ही लिया होगा| ये स्टूडेंट्स इतने नादान बिना मतलब हंगामा कर रहे हैं, अभी किसी सर्वे में देखा कि लगभग 75% स्टूडेंट्स कह रहे हैं कि उनके पास घर पर ऐसा माहौल नहीं है जहां परीक्षाओं के लिए पढ़ाई हो सके, करीब 85% स्टूडेंट्स ऐसे हैं जो अलग-अलग कारणों से ऑनलाइन परीक्षा देने में सक्षम नहीं ही हैं| मेरे भी कुछ ऐसे ही हालात हैं, जैसे मैं आपको ऊपर बता भी रहा था, लेकिन हो सकता हैं इस फैसले के पीछे का रहस्य हम नादान छात्र समझ न पा रहे हों, क्योंकि जरूर इसमें हमारी ही भलाई छिपी होगी| हो सकता है आपको हमारे SOL के जबरदस्त स्टडी मटिरियल की बढ़िया क्वालिटी पर पूरा भरोसा हो| आपको हम SOL स्टूडेंट्स पर भरोसा है कि छात्र इतिहास के स्टडी मटिरियल में गलत लिखे हुए ‘संगम आयु’ को सही ‘संगम युग’ ही लिखेंगे या फिर गलत “Karl Marks” को सही “Karl Marx” ही लिखेंगे| बाक़ी जो chapter गायब हैं, या पेज गायब हैं उसकी कमी पूरी करने के लिए तो हमारे पास कल्पना करने कि दैवीय शक्ति तो है ही, facts कि गलती भी सुधारने के लिए हम इसी शक्ति का प्रयोग करेंगे| मुझे आपके बनाये हुए स्टडी मटिरियल पर पूरा भरोसा है इसलिए मैंने कभी इस तथ्य को जांचा ही नहीं की “सुप्रीम कोर्ट में 25 जज होते हैं”, आपके द्वारा बनवाए गए स्टडी मटिरियल में लिखा था, मैंने उसे वैसे का वैसा ही मान लिया| अरे मेरी तो एक स्टूडेंट से जबरदस्त बहस भी हो गयी इसपर| ये तो कहिए उसके दोस्तों ने उसे बचा लिया वरना बात खून-खराबे तक पहुच जाती| उस दिन उस छात्र से बहस करके मैंने ऐसा गर्व महसूस किया कि मैं खुद से फूला ही नहीं समा रहा था| इस बहस का अंत ये हुआ कि मैंने अब वकील बनने कि ठान ली है| मैं भी अब ‘सच को झूठ’ और ‘झूठ को सच’ मनवा कर ही मानूँगा| सुप्रीम कोर्ट को शायद पता नहीं कि वहाँ कितने जज होने चाहिए, एसओएल के स्टडी मटिरियल के अनुसार अगर सुप्रीम कोर्ट में 25 जज होते हैं, तो वहाँ 25 ही होने चाहिए| इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट अगर जज की संख्या कम करना चाहे तो बहुत अच्छा है, वरना कम से कम वो स्टडी मटिरियल जरूर पढ़ लें|

आपका,

सर्वेश

 

Postscript : सर पिछली बार आप अपना वो आई-फोन दे रहे थे, मैं आपसे संकोच में ले नहीं पाया, कृपया अब भिजवा दीजिये| छोटा सा आग्रह ये भी है कि मेरे जैसे इस विश्वविद्यालय में और भी लाखों छात्र हैं उनकी भलाई के लिए उन्हें भी भिजवा दीजिये|

 

 

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