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#MyPeriodStory:मैं बड़ी हो गयी थी

मुझे याद नहीं है कि कौनसा साल या महीना रहा होगा? जब मैंने पहली बार अपने कपड़ों में खून देखा था।

एक दिन जब मैं सुबह उठी तो मैंने देखा मेरी सलवार खून से लाल थी। मैं खून देख कर बहुत डर गयी। मुझे लगा कि मैं बच्चों के साथ सड़क पर खेलती हूँ शायद इसी कारण से मुझे कुछ हो गया है। मैंने सोचा अब घर जाऊंगी तो मेरी पिटाई होगी।

फिर मैंने पिटाई के डर से बचने के लिए तरकीब निकाली और खून आने वाली जगह पर काग़ज़ डाल कर खून रोकने की कोशिश। लेकिन मेरे द्वारा बहुत कोशिश करने के बाद भी जब खून रुका नहीं तो मैंने हर घंटे नहाना शुरू किया।
मेरी ये समस्या बढ़ती ही जा रही थी। स्कूल की बेंच पर बैठने से बैंच गंदी हो जाती थी, सड़क पर चलते हुए कपड़े खून से गंदे हो जाते थे और मैंने डर की वजह से खेलना बंद कर दिया था।
मैं इस चीज़ से बहुत ज्यादा डर गयी थी और मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं यह बात अपने घर में किसी को बता सकूँ। फिर कुछ दिन बाद मुझे खून आना बंद हो गया और मैंने राहत की साँस ली।
फिर दिन ऐसे बीतने लगे और मैंने फिर बच्चों के साथ खेलना शुरू कर दिया। लेकिन अचानक फिर एक दिन मुझे दोबारा से खून आना शुरू हो गया। खून देख कर मैंने दोबारा से खून को रोकने का प्रयास शुरू कर दिया।
लेकिन जाने-अनजाने में इस बार अम्मी ने मुझे सलवार छुपाते हुए देख लिया। फिर उन्होंने मुझे कपड़े से एक गद्दी जैसा कुछ बना कर दिया और इशारा करते हुए मुझे खून वाली जगह पर रखने को कहा।
फिर मैंने हिम्मत करके अम्मी से पूछा कि यह क्या है? और खून क्यों निकल रहा है? उन्होंने बस एक लाइन का जवाब देते हुए कहा “अब तुम बड़ी हो गयी हों।” अम्मी का जवाब सुन कर मेरा मन उदास हो गया क्योंकि बड़ी लड़कियाँ खेलती नही थी। उन्हें बाहर लड़कों के साथ खेलने से मना किया जाता था और वो बस घर में रहती थी।
फिर धीरे-धीरे खून आने वाले डर की जगह बड़े हो जाने के डर ने ले ली थी। मुझे याद है कि उस दिन जब सड़क पर मेरे साथ वाले बच्चे चोर-सिपाही खेल रहे थे तब मैं दरवाज़े पर खड़ी होकर उन्हें देख रही थी।

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