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“मेरी जाति जानने के लिए मुझसे सरनेम पूछा गया”

सौम्या ज्योत्स्ना

सौम्या ज्योत्स्ना

मैं अपना निजी अनुभव आप सभी के साथ साझा करना चाहती हूं कि कैसे लोग नाम से जाति और धर्म का पता लगाने की कोशिश करते हैं।एग्ज़ाम की वजह से मैं बाहर थी। सेंटर पर काफी भीड़ थी इसलिए अपनी किताब लेकर मैं ऑटो के साइड में जाकर बैठ गई। वहां कुछ लोग पहले से मौजूद थे। थोड़ी देर बाद बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ।

एक अंकल ने मेरा नाम पूछा, तो मैंने बताया सौम्या ज्योत्स्ना। इसके बाद उन्होंने कहा, “बंगाली हो?” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं अंकल।” इसपर उन्होंने कहा, “मुझे ऐसा लगा कि तुम बंगाली हो क्योंकि ज्योत्स्ना नाम बांग्ला में काफी लोग रखते हैं।”

मैंने कहा, “नहीं अंकल। कुछ लोगों को तो मैं पंजाबी भी लगती हूं। भारतीय हूं और भारत विविधताओं से भरा देश है इसलिए शायद आपको लगा होगा।” इसके बाद उन्होंने मेरे पिता का नाम पूछा लेकिन उनके सवालों से मैं समझ गई थी कि वह मेरी जाति जानना चाहते हैं। चूंकि मेरे नाम के बाद सरनेम नहीं है इसलिए उन्हें मेरी जाति जानने में परेशानी हो रही थी।

नाम से जुड़े सरनेम से जाति की पहचान होती है

जब मैं स्कूल में थी तो अक्सर अपने दोस्तों के नामों में लगे सरनेम को देखकर आकर्षित होती थी लेकिन मेरे नाम में कोई सरनेम नहीं था इसके बाद मैंने माँ-पापा से कहा था कि मुझे भी सरनेम चाहिए। उसके बाद अपने पैरेन्ट्स से मुझे काफी प्रेरणादायक जवाब मिला, “नाम में लगे सरनेम से जाति व्यवस्था की पहचान होती है लेकिन हम किसी जाति को नहीं मानते इसलिए तुम्हारे नाम में कोई सरनेम नहीं है। हालांकि हमारे नाम में सरनेम है लेकिन आने वाली पीढ़ियों में सरनेम नहीं होंगे।”

सौम्या ज्योत्स्ना।

वाकई में यह जवाब आज के जातिवाद वाले माहौल में बेहद ही प्रासंगिक है। यदि हम सच में जातिवाद का खात्मा चाहते हैं तो हमें मज़बूती के साथ इस बुराई का सामना करना होगा। जातिवाद के संदर्भ में तमाम भ्रांतियों को तोड़ते हुए आने वाले कल के लिए एक बेहतर माहौल देना होगा ताकि आने वाली नस्लें जब हमसे इस संदर्भ में सवाल करें, तो हम खामोश ना रहे।

जातिवाद खत्म करने के कुछ ज़रूर सुझाव-

मैं समझती हूं कि जातिवाद को खत्म करने के लिए सिर्फ सुझाव पर ही बात करने की ज़रूरत नहीं है बल्कि जाति के आधार पर भेदभाव करते वक्त हमारी आवाज़ में जो अकड़ आ जाती है, उसे भी खत्म करनी होगी। तो आइए इस जाति व्यवस्था के खिलाफ ना सिर्फ हम अपनी आवाज़ बुलंद करें बल्कि एक बेहतर माहौल बनाने के लिए प्रगतिशील सोच को जन्म दें।

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