बीते कई दिनों से दिल्ली को काफी कुछ देखना और उनसे जूझना पड़ रहा है। साल 2020 की शुरुआत से ही सीएए, एनआरसी, एनपीआर के खिलाफ दिल्ली की सड़कों पर लोगों का जमावड़ा था।
इसके बाद जनांदोलन देश के साथ विश्वभर में फैल गया। साल के दूसरे महीने में एक वर्ग, समुदाय को टारगेट करते हुए हिंसा भी दिल्ली को देखने को मिली। इस हिंसा के ज़ख्मों से दिल्ली संभली भी नहीं थी कि कोरोना महामारी ने दिल्ली के साथ-साथ पूरे देश को भी जकड़ लिया।
आतंकियों पर लगाई जाने वाली धारा UAPA का दिल्ली के स्टूडेंट्स पर इस्तेमाल
कोरोना महामारी के चलते ही नागरिकता कानून के खिलाफ प्रोटेस्ट में एक नया प्रकरण सामने आया है। देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान ही जामिया व जेएनयू के स्टूडेंट्स के खिलाफ आतंकियो पर लगाई जाने वाली धारा UAPA का इस्तेमाल हुआ। उन पर केस दर्ज़ होने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया।
UAPA के दायरे में कौन आता है?
गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तारी व सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। इस कानून के तहत आरोपी शख्स को 6 महीने तक बेल ना मिलने का भी कानून है।
UAPA की खास बात यह है कि इस कानून के तहत संस्थाओं को ही नहीं, बल्कि व्यक्ति को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकता है। इससे पहले केवल संस्थाओं को ही आंतकवादी संगठन घोषित किया जा सकता था।
UAPA के तहत चिंता की बात क्या है?
अधिक चिंता की बात यह है कि शक के आधार पर किसी को भी बिना सबूत के अब आतंकवादी घोषित किया जा सकता है। इस कानून के तहत व्यक्ति का आतंकी संगठन से संबंध स्थापित करने की भी कोई आवश्यकता नहीं है।
यानी निर्दोष साबित ना होने तक आरोपी पर आतंकी का टैग लग जाता है जिसे हटवाने के लिए सरकार की बनाई रिव्यू कमेटी के सामने ही जाना पड़ता है।
कार्रवाई पर उठते सवाल
दिल्ली पुलिस द्वारा ऐसे समय में जेएनयू के पूर्व स्टूडेंट उमर खालिद, जामिया के स्टूडेंट मीरान हैदर और सफूरा ज़रगार पर UAPA के तहत गिरफ्तारी और केस दर्ज़ होने के कारण सरकार की मंशा पर सवाल उठते दिखाई पड़ रहे हैं।
स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने एक इंटरव्यू में इस पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाया है। उन्होंने ने कहा, “यह साज़िश की जांच है या जांच की साज़िश है।”
जामिया के स्टूडेंट्स ने UAPA को एक फासिस्ट कानून बताते हुए इसके तहत कार्रवाई को विच हंटिंग कहा है। इसके खिलाफ खिलाफ उन्होंने ट्विटर पर हैशटैग जारी कर स्टूडेंट्स की रिहाई की भी मांग की है।
कपिल मिश्रा पर UAPA जैसी कोई कार्रवाई क्यों नहीं?
दिल्ली पुलिस ने नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर इन स्टूडेंट्स पर केस दर्ज़ किया। उसके बाद उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार भी किया गया। उसी हिंसा से एक दिन पहले भड़काऊ भाषण देने वाले बीजेपी नेता कपिल मिश्रा व प्रवेश सिंह पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई।
यहां तक कि नागरिकता कानून के खिलाफ आंदोलन के दौरान जामिया व शाहीन बाग में गोली चलाने वाले गोपाल और कपिल गुज्जर पर UAPA के तहत कार्रवाई नहीं हुई।