राघव ने यूज़ किया हुआ कॉन्डम पेपर में लपेटकर बेड के नीचे रख दिया। वह कमरे में लेटा हुआ था कि मम्मी कमरे की सफाई करने आ गईं। अचानक राघव की नज़र मम्मी के हाथ पर गई।
कॉन्डम वाला पेपर उनके हाथ में था फिर क्या हुआ? राघव ने अपनी कहानी लव मैटर्स इंडिया को बताई।
नए रोल
दो साल पहले मेरी और पूनम की शादी हुई थी। उसके आने से पहले मेरे परिवार में मेरी मम्मी और मैं सिर्फ दो ही लोग थे। जब मैं कॉलेज में था तभी पापा की मौत हो गई थी।
अब जब मैं और पूनम अपने काम पर चले जाते हैं तब मम्मी घरेलू कामगार महिला के साथ घर पर रहती हैं।
सब कुछ अच्छा चल रहा था मगर अचानक लॉकडाउन हो गया
ऐसे में अब घरेलू कामगार महिला घर पर आ नहीं सकती थी तो हम सभी ने एक-एक काम खुद करने का फैसला किया। ना चाहते हुए भी मम्मी ने यह कहते हुए घर की साफ-सफाई की ज़िम्मेदारी ली कि इससे थोड़ी कसरत हो जाएगी और रोज़ ना टहल पाने की कसर भी पूरी हो जाएगी।
पूनम खाना बनाने के लिए तैयार हो गई। मेरे ज़िम्मे कपड़े और बर्तन साफ करने का काम आया। हमने सभी घरेलू ज़रूरी सामानों को जमा करके रख लिया जिसमें ढेर सारे कॉन्डम्स भी शामिल थे।
नया प्लान
सेक्स के समय कॉन्डम का इस्तेमाल करना लगभग हमारी आदत में शामिल था। चूंकि आमतौर पर मेरी मम्मी ही घर के कूड़े का डिब्बा खाली करती थीं, इसलिए हम इस्तेमाल के बाद कॉन्डम को पेपर में लपेटकर अपने रुम में रखते थे और ऑफिस जाते समय मैं अपनी बिल्डिंग के सार्वजनिक कूड़ेदान में उसे डाल दिया करता था।
लॉकडाउन के बाद हमें जो सबसे पहली दिक्कत आई, वह इस कॉन्डम को फेंकने से जुड़ी थी। मम्मी के ज़िम्मे साफ-सफाई और कूड़ा फेंकने का काम था। ऐसे में उसी डस्टबिन में कॉन्डम डालने के बारे में सोचना भी मुश्किल था।
जब मम्मी मान गईं
तब मैंने एक प्लान बनाया। मैंने मम्मी से कहा कि डस्टबिन खाली करने का काम मैं करूंगा। शुक्र है कि वो मान भी गईं। इसी दौरान मुझे बिल्डिंग से नीचे उतरे बिना कचरे वाले ट्रक में कचरा डालने का एक उपाय सूझा। हम पहले फ्लोर पर रहते हैं।
मैंने डस्टबिन के हैंडल में एक रस्सी बांध दी और कूड़े वाला ट्रक आने पर मैं रस्सी के सहारे डस्टबिन को ट्रक में पलट देता था। उसमें इस्तेमाल किया हुआ कॉन्डम भी चला जाता था। मेरा यह प्लान अगले कुछ दिनों तक बहुत अच्छा काम किया।
लेकिन फिर?
उस रोज़ मैंने और पूनम ने देर रात में सेक्स किया। मैंने कॉन्डम को एक अखबार में लपेटा और उसे हमेशा की तरह बेड के नीचे रख दिया।
उसके बाद मुझे अपने ऑफिस का काम खत्म करना था, इसलिए मैं काम में जुट गया। मैं काफी देर से सोया और मेरी नींद तब खुली जब फर्श पर किसी के झाड़ू-पोछा करने की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी। मैं तुरंत घबरा गया लेकिन सोने का नाटक करता रहा।
आखिर मम्मी के हाथ लग ही गया कॉन्डम
मेरी चिंता ज़ायज थी, पेपर में लिपटा बेड के नीचे पड़ा वो इस्तेमाल किया हुआ कॉन्डम मम्मी के हाथ लग गया। फिर तो कुछ पल के लिए कमरे में भयानक सन्नाटा छा गया।
मैंने तिरछी नज़र से देखा कि मम्मी ने पेपर खोला और तुरंत कमरे से बाहर निकलकर उसे कॉमन बालकनी के डस्टबिन में डाल दिया।
उन्होंने तो कुछ नहीं कहा लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं कुछ गलत करते हुए पकड़ा गया हूं। मैंने खुद को कोसा कि मैं इतना लापरवाह कैसे हो सकता हूं।
फिर हम रोज़मर्रा के कामों में वैसे ही जुट गए जैसे कुछ हुआ ही ना हो। उस शाम डिनर के बाद जब मम्मी सोने चली गईं तब मैंने पूनम को उस घटना के बारे में बताया।
सेक्स और संस्कार
पूनम ज़ोर से हंसते हुए बोली, “ओह, अब मुझे समझ में आया कि वो आज दोपहर से अपना काम क्यों बदलना चाहती थीं। उन्होंने कहा कि वो खाना बनाएंगी और उनकी जगह मैं घर की साफ-सफाई करूं।”
पूनम आगे कहती है, “अब तक तो मैं यह सोच रही थी कि उन्हें मेरे हाथ का खाना पसंद नहीं आ रहा है मगर अब जाकर मुझे समझ आई कि बात तो कुछ और ही है। बेशक, माँ को पता है कि हम सेक्स करते हैं। इसमें चिंता की क्या बात है।”
दरअसल कल ही जब हम रामायण देख रहे थे तो माँ ने पूछा, “तुम लोग बच्चे की प्लानिंग कर रहे हो क्या? फिर तुरन्त ही बोलीं कि इस लॉकडाउन के दौरान प्रेगनेंसी का जोखिम उठाना ठीक नहीं होगा।”
और आज उनके हाथ कॉन्डम लग गया। वाह क्या संयोग है। पूनम तो हंसते-हंसते बिस्तर पर गिर ही गई। जब उसकी हंसी रुकी तो वो बोली, “हालांकि मुझे लगता है कि हमें अपनी पर्सनल लाइफ को प्राइवेट रखना चाहिए और बेहद सावधानी से कॉन्डम फेंकना चाहिए।”
इस छोटे से परिवार में हम किसी से कुछ नहीं छिपाते
वाकई में हम थोड़े लापरवाह हो गए थे, खासकर मैं। पूनम ने कहा हमें अपने बाथरुम में एक अलग डस्टबिन रखना चाहिए और हर रोज़ खुद ही उसे खाली करना चाहिए। मुझे उसका आइडिया अच्छा लगा और तुरन्त ही मैं बाथरुम में डस्टबिन रखने निकल पड़ा।
बाथरुम में नया डस्टबिन रखते हुए मैं संस्कार और सेक्स के कॉम्बिनेशन के बारे में सोचकर मुस्कुराया जिसने पूनम और मम्मी को जोड़े रखा था। तीन सदस्यों के इस छोटे से परिवार में हम एक-दूसरे से कुछ भी नहीं छिपाते हैं। इस बात की मुझे बेहद खुशी हुई।
अगले दिन माँ ने मेरा कंधा थपथपाया
अगले दिन माँ ने आकर मेरा कंधा थपथपाते हुए कहा, “बेटा, कचरे के डिब्बे को खाली कर दो। इसमें जो भी है मैं नहीं देखना चाहती।” यह सुनकर हम सभी जोर से हंस पड़े।
नोट: 31 वर्षीय राघव, भोपाल में एक बैंक में काम करते हैं। गोपनीयता बनाए रखने के लिए नाम बदल दिए गए हैं।