Site icon Youth Ki Awaaz

हमें कोरोना के साथ जीना सीखना होगा: WHO

corona virus, Who, india, lockdown, world,

कोरोना वायरस प्रतीकात्मक तस्वीर

कोरोना वायरस को पूरे विश्व में फैले हुए लगभग छह महीने हो गये हैं। कोरोना वायरस का पहला केस चीन के वुहान में दिसंबर महीने में सामने आया था और भारत में इस वायरस ने अपनी दस्तक जनवरी महीने के अंत में दे दी थी।

भारत में पहला केस केरल में पाया गया था जो वुहान से लौटा एक छात्र था और तब से अब तक इस वायरस के कारण दुनिया भर में बहुत से लोगों जानें गंवानी पड़ी हैं। इटली और अमरीका जैसे विकसित देश भी इसके प्रहार से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन

कोरोना वायरस कभी खत्म नहीं होगा? 

अभी हाल ही में डब्ल्यू.एच.ओ ने एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी देशों को कुछ सुझाव दिए हैं और कहा है कि कोरोना वायरस संभव है कि कभी हमारे बीच से जाए ही ना और एच.आई.वी जैसे वायरसों की तरह हमारे साथ ही रहे इसलिए हमें इसके साथ जीना सीखना होगा। हम इससे पूरी तरह छुटकारा नहीं पा सकते।

डब्ल्यू.एच.ओ के ये शब्द साफ संदेश दे रहे हैं कि हमें कोरोना को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाना होगा और उसके साथ रहकर ही इससे बचते हुए अपनी आगे की ज़िंदगी को जीना होगा। डब्ल्यू.एच.ओ ने यह भी कहा कि जन-जीवन सामान्य होने में अभी और समय लग सकता है सब एकदम से सामान्य नहीं होगा। डब्ल्यू.एच.ओ ने उन देशों को अभी भी खासा सतर्क रहने को कहा है जो अपने यहां लॉकडाउन को धीरे-धीरे खोल रहे हैं।

डब्ल्यू.एच.ओ. के मुताबिक, किसी भी देश का ये सोचना कि अब सब ठीक है और उन्होंने अपने देश में कोरोना को नियंत्रित कर लिया है। सिर्फ इसलिए वो लॉकडाउन को खोल सकते हैं तो वो शायद किसी ‘जादुई सोच’ के आधार पर चल रहे हैं। लॉकडाउन खोले जाने और वायरस को नियंत्रित करे जाने के बाद भी देशों को सतर्कता बरतनी होगी वरना ये वायरस फिर से नियंत्रण से बाहर हो सकता है।

वैक्सीन न बन पाना है सबसे बड़ी चुनौती

इस वायरस के कारण विश्व के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस वायरस के लिए वैक्सीन बनाना है। इन छह महीनों में अभी तक ना तो डब्ल्यू.एच.ओ और ना ही किसी देश के वैज्ञानिक इस वायरस के लिए कोई वैक्सीन बना पाए हैं। यहां तक की चीन जिस देश को इस वायरस का जनक माना जा रहा है वो भी वैक्सीन बनाने में सफल नहीं हो पाया है।

इस वायरस की शुरुआत में ही डब्ल्यू.एच.ओ ने कह दिया था कि इसकी वैक्सीन आने में कम-से-कम दो साल का समय तो लग ही सकता है उससे पहले वैक्सीन की उम्मीद करना बेकार होगा। इसलिए जिन-जिन देशों में यह वायरस फैलता गया उन देशों ने इस वायरस को रोकने के लिए अपने यहां लॉकडाउन विकल्प को अपनाया।

वैक्सीन बनाने की कोशिश में लगे हैं कई देश के वैज्ञानिक

इसके पीछे का यह तर्क दिया गया कि कोरोना वायरस मानव से मानव में फैलता है तो अगर इसके फैलने की चेन को तोड़ दिया जाए तो इसके संक्रमण को रोका जा सकता है। ऐसा कहा गया कि एक संक्रमित व्यक्ति के कारण 40 लोगों को यह वायरस अपनी चपेट में ले सकता है इसलिए लोगों को आपस में मिलने से रोकना होगा जिसके लिए उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा और घरों में रहना होगा। फिर भी इस वायरस का प्रकोप जारी है।

लॉकडाउन को केवल अस्थायी समाधान बताया जा रहा है इस वायरस से सम्पूर्ण बचाव के लिए वैक्सीन का बनना बहुत ही ज़रुरी हो गया है लेकिन इसके कोई आसार अभी दिखाई नहीं दे रहे हैं। हांलाकि बहुत से देश यह दावा भी कर रहे हैं कि उन्होंने इसकी वैक्सीन निर्मित कर ली है और दिसंबर तक इस वायरस की वैक्सीन आ भी जाएगी, भारत में भी इस वैक्सीन के लिए वैज्ञानिक लगातार काम कर रहे हैं।

कोरोना वायरस लगातार बदल रहा है अपना रूप

कोरोना वायरस की वैक्सीन अगर अब तक नहीं आ पाई है तो उसका सबसे बड़ा कारण है कि यह वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है। इस वायरस से संक्रमित लोग ठीक होने के बाद भी संक्रमित हो जा रहे हैं जिस कारण से वैज्ञानिकों को यह पता नहीं चल पा रहा है कि असल में यह वायरस है क्या?

इस वायरस के बारे में पता लगने में करीबन 14 दिन का समय लगता है और इस बीच यह दूसरों तक भी पहुंच जाता है इसलिए यह ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है। यह वायरस उन लोगों को ज्यादा प्रभावित कर रहा है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है और इस वायरस के कारण उनके रैस्पिरेट्री सिस्टम के साथ-साथ सूंघने और सोचने की शक्ति पर भी असर पड़ता है।

जैसे-जैसे इस वायरस का रूप लगातार बदल रहा है वैसे-वैसे इसके लक्षणों में बदलाव भी आ रहा है। यह लगातार शरीर में अलग-अलग ऑर्गन्स को प्रभावित कर रहा है। ऐसा लग रहा है मानो हर शरीर के साथ मिलकर इसका प्रभाव और इसके लक्षण अलग-अलग हों जा रहे हैं और यह भी संभव है कि इसका यह बदलाव शायद इसे लगातार और मजबूत बना रहे हो। 

 अर्थव्यवस्था को भी संक्रमित कर रहा है कोरोना वायरस

इस वायरस के कारण जिस सम्पूर्ण लॉकडाउन का पालन इस वक्त पूरे विश्व में हो रहा है उससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है। सभी देशों में आर्थिक गतिविधियों पर रोक के कारण उस देश की अर्थव्यवस्था तो खतरे में जा ही रही है।

साथ-ही-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था के कदम भी अब डगमगाने लगे हैं। यही कारण है कि बहुत से देश अपने यहां चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खोलकर पूरी सतर्कता बरतते हुए आर्थिक गतिविधियों की इजाजत दे रहे हैं।

बीते मंगलवार को भी जब पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपना पांचवा संबोधन दिया तो उसमें उन्होंने भी चौथे लॉकडाउन को जारी करने की बात तो कही लेकिन साथ में यह भी कहा कि यह लॉकडाउन बाकी तीनों लॉकडाउन से अलग होगा और अगले ही दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ आर्थिक नीतियों के बारे में देश का बताया। मतलब देश की सरकार भी अब समझ चुकी है कि कोरोना के साथ ही जीना होगा, उससे बचने के लिए अब घरों में रहना ही नहीं होगा बल्कि बाहर निकलने पर भी सावधानी बरतते हुए सब कुछ करना होगा।

Exit mobile version