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क्या वाकई टिकटॉक को बैन करने की मांग में कोई दम है?

TikTok

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लॉकडाउन के बाद देश में यदि कोई चर्चा गर्म है, तो वो है‌ टिकटॉक को लेकर। जो कई फसाद की जड़ भी रहा और कई लोगों के अभिनय को और तराशने वाला भी रहा। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, टीवी हो या मोबाइल या उसके एप्प जैसे फेसबुक या व्हाट्सएप्प, सबकी अपनी-अपनी सीमाएं हैं, अपनी -पनी विशेषताएं हैं।

मगर कब ये विशेषताएं गले की हड्डी बन जाएं पता नहीं चलता है। कई बार तो सोशल मीडिया या टिकटॉक हमारी सांसों से ज़्यादा महत्वपूर्ण लगने लगता है। वहीं, कई बार लोग इन्हें एक हल्का-फुल्का मनोरंजन करने के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

टिकटॉक की रेटिंग में गिरावट के बाद कैसे आया उछाल?

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Getty Images

आजकल हर कोई अपने मोबाइल फोन से टिकटॉक अनइंस्टॉल कर रहा है। आधे लोगों को तो वजह भी नहीं पता, जो सोच रहे हैं बहती गंगा में हम भी हाथ धो लें लेकिन इस विवाद की जड़ में जाकर देखने की ज़रूरत है।

अचानक से ऐसा क्या हुआ कि जो लोगों की दिलोजान का सुकून हुआ करता था, वह गले की फांस बन गया। देशभर में टिकटॉक की रेटिंग पहले 4.4 थी, जो खिसककर 1.2 पर आ पहुंची थी मगर अब एक बार फिर से टिकटॉक ने रेटिंग में बढ़त हासिल कर ली है।

गौरतलब है कि गूगल की टीम ने 80 लाख निगेटिव रिव्यूज़ डिलिट कर दिए हैं जिससे टिकटॉक की रेटिंग एक बार फिर 4.4 हो गई है।

टिकटॉक को लेकर अजीब-अजीब अफवाहें फैली हैं

कई लोग कह रहे हैं कि चीन हमारे यहां टिकटॉक के ज़रिये कोरोना भेज देगा। कुछ लोग बोल रहे हैं कि वह भारत से पैसे कमा रहा है और तो और कुछ लोगों को तो यह कहते भी सुना है कि चीन अपने चीनी सॉफ्टवेयर के ज़रिये भारत पर कब्ज़ा करना चाह रहा है।

कभी सुनने में आता था भारत के लोग बहुत ज्ञानी हैं जिनका दिमाग बहुत तेज़ है और ऐसा था भी जब आर्यभट्ट जैसे विद्वानों ने शून्य का अविष्कार किया था। अब बिल्कुल उलट स्थिति आन पड़ी है। लोग दिमाग से कम दिल से ज़्यादा काम लेने लगे हैं। इसी बीच अगर कैरी मिनाती जैसे लोग खबरों में तड़का लगाने आ जाएं तो फिर क्या ही कहने!

अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग जैसा हाल!

मुकेश खन्ना। फोटो साभार- Getty Images

भारत के सबसे मशहूर कैरेक्टर ‘शक्तिमान’ को जीने वाले मुकेश खन्ना ने कहा कि चाइना का वायरस भारत से विदा ले रहा है। वहीं, दूसरी तरफ अभिनेत्री कियारा आडवाणी उसका प्रमुख चेहरा बन गईं। इन्हीं सबके बीच फैसल सिद्दीकी ने आग में घी डालने का काम किया और वह बात वाकई में नाकाबिले-बर्दाश्त थी।

उनकी एसिड अटैक वाली वीडियो ने ऐसा तहलका मचाया कि पूछो मत। बहरहाल, इस वीडियो के पीछे उनका जो भी उद्देश्य रहा हो मगर था तो हिंसा को बढ़ावा देने वाला ही!

देश के चर्चित चेहरे भी टिकटॉक को बैन करने की मांग कर रहे हैं

पायल रोहतगी भी टिकटॉक बैन की मांग कर चुकी हैं। वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा भी ट्विटर पर टिकटॉक को पूरी तरह बैन लगाने की मांग कर चुकी हैं।

रेखा ने ट्विवर पर लिखा है, “इसमें ना सिर्फ आपत्तिजनक वीडियो हैं, बल्कि यह युवाओं को गलत दिशा में ले जा रहा है। लोग फॉलोवर्स के लिए जीने मरने को तैयार हैं।”

लेख को लिखने के पीछे मेरा उद्देश्य

मेरा सवाल बस इतना है और इस लेख को लिखने का उद्देश्य सिर्फ यही है कि क्या हम ऐसे टिकटॉक या किसी अन्य प्लेटफॉर्म को बैन कर अपने मन और व्यवहार को पवित्र कर सकते हैं? क्या इसको बैन करना या रोकना सार्थक साबित होगा? जिन लोगों को अपने मन की संतुष्टि करनी होगी तो वे कहीं से भी कुछ भी देख लेंगे।

सवाल यह है कि क्या आपको किसी ने कुएं में धकेल दिया? युवाओं को जो करना है वो तो करेंगे ही। सरकार ने कई पोर्न साइट पर बैन लगाया और परिणाम क्या निकला? लोग ऐसी साइट इस्तेमाल करने से नहीं चूके।

हाल ही‌ में ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ का विवाद हुआ जिसमें सोशल मीडिया को खरी-खोटी सुनाई गई। जबकि कमी इन सॉफ्टवेयर में नहीं, कमी है तो सिर्फ और सिर्फ मनुष्य के विचारों में जिसको दूर करना अति आवश्यक है।


संदर्भदैनिक भास्कर, द लल्लनटॉप

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