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लॉकडाउन में महिलाओं को सैनिटरी पैड का इंतज़ाम करने में आ रही हैं दिक्कतें

sanitary pads

Representational image.

पीरियड में होने वाली ब्लीडिंग के लिए कॉटन पैड्स अथवा सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल किया जाता है। मासिक धर्म लड़कियों के लिए अद्वितीय है हालांकि यह हमेशा से ही वर्जनाओ और मिथकों से घिरा रहा है।

कोरोना संक्रमण काल में जारी लॉकडाउन के कारण सेनेटरी पैड की आपूर्ति पर भी प्रभाव पड़ा है। पिछले महीने इस कठिन परिस्थिति का सामना मुझे भी करना पड़ा था जो मेरे लिए काफी कठिन रहा था। मुझे मासिक धर्म के दौरान कपड़ा यूज़ करना पड़ा क्योंकि दुकानों में स्टॉक खत्म हो चुका था।

मैंने अपनी माँ को बोला और मेरी माँ ने इसकी जानकारी मेरे पिता को दी। मैं अपने पिता से आज भी पीरियड्स के बारे में चर्चा करने की पहल नहीं कर पाई हूं। मेरे पिता ने नजदीकी दुकानों में पता लगाया पर खरीदने मे सक्षम नहीं रहे और हुआ यह कि मुझे बहुत अधिक पीड़ा का सामना करना पड़ा क्योंकि मुझे पैड्स की जगह इस बार कपड़े का यूज़ करना पड़ा।

लॉकडाउन में सैनिटरी पैड्स की हो गई है कमी

इसके कारण मुझे इन्फेक्शन और तनाव का सामना करना पड़ा। जब पिता को मेरे इस पीड़ा का एहसास हुआ तो मेरे पिताजी को किसी अन्य मोहल्ले की दुकान जाकर पैड्स खरीद कर लाना पड़ा। यही कारण है कि पीरियड्स के दौरान महिलाएं फिर से पैड की जगह कपड़े का इस्तेमाल करने पर मजबूर हैं जिसके कारण महिलाओं को कई सारे बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इंफेक्शन हो रहा है, साथ ही साथ पीरियड्स साईकल भी अफेक्ट हो रहा है।

कठिन परिस्थिति में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। फिर दिमाग में उन मज़दूर औरतों का चेहरा सामने आता है जो कई हजार किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर जाने को विवश हैं। जिनके पास खाने को नहीं है उनके पास पैड्स कहां होंगे? वे कैसे पैदल चलते हुए भी इस दर्द का सहती होंगी?

कोविड-19 की वजह से हुए इस लॉकडाउन के कारण सैनिटरी पैड्स का निर्माण भी कम हो गया है। दुकानों में भी स्टॉक खत्म हो गया है। सरकार को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सैनिटरी पैड घर-घर पहुंचाने का कार्य करना चाहिए जिससे महिलाएं अपने घर पर सुरक्षित रह सके और इस महामारी से भी बच सकें।

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