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आत्महत्या और होमोफोबिक मीडिया ट्रायल

क्या कर रहे है आप ? आप तो आत्महत्या के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे है न ? आप पहले अपना एक पॉइंट पकड़ कर रखिये। और मत भूलिए की जाने अनजाने में आप खुद किसी के लिए मरने जैसे हालात पैदा कर रहे हैं। आप आत्महत्या जैसी परिस्थितियों के खिलाफ लिखते लिखते नेपोटिसम पर आये..अच्छी बात है। नेपोटिसम पर लिखते लिखते आप कारण जोहर पर आये अच्छी बात है। कारण जोहर पर लिखते लिखते आप उसकी सेक्सुएलिटी पर आ गए। हिजड़ा-बीच का, जाने क्या क्या लिखने लगे। हत्यारा बता दिया। मर्डरर घोषित कर दिया। आत्महत्या से जुड़े मसले पर लिखते लिखते आप खुद सोशल मीडिया पर किसी को मर जाने लायक मटेरियल उपलब्ध करवा रहे हैं।

करीब करीब पूरी पंगत नेपोटिसम नेपोटिसम चिल्ला रही है। एक विलेन भी खोज लिया गया है। करन जौहर। हमे हर दिक़्क़त हर मसले में कोई न कोई चाहिए होता है जिसे ट्रोल किया जा सके। ट्रोलिंग के बिना मुद्दा, मुद्दा ही नहीं बन पाता…खबर बनकर रह जाता है।

कल एक जानीमानी लेखिका ने लिखा कि आलिया भट्ट नेपोटिसम से निकला एक एक्ससेप्सन हैं। फिर आज एक और पोस्ट में देखा किसी ने लिखा है कि श्रद्धा कपूर इज़ ओनली गुड प्रोडक्ट ऑफ नेपोटिसम। पढ़के मुझे आठवीं कक्षा के एक दोस्त की याद आ गयी। उसे फरदीन खान बहुत पसंद था। बड़ी संख्या में लोगो को सलमान पसंद है जो खुद स्टारकिड लांचर हैं। फिर आप किस हक से अकेले एक कारण जोहर के पीछे पड़े हैं? नेपोटिसम को करन जोहर ने नहीं बनाया। नेपोटिसम एक सिस्टम है। स्टार किड को लेकर फिल्में बनती हैं क्योंकि आप बागी जैसी फ़िल्म को 1 2 3 4 बार देखते हैं। टिकट आप खरीदते हैं। असली टैलेंट की दुकानों थियेटर या नाटक जैसी संस्थाओं को आपने खतम किया है। आप दर्शकों के पास बैलेस बनाये रखने के भरपूर अधिकार है पर आप खुद नेपोटिसम के पचास प्रतिशत पोषक बने बैठे हैं।

PS : फ्रीडम ऑफ स्पीच है। कुछ भी लिखिए। पर किसी की सेक्सुएलिटी पर हमले करना बंद कर दीजिये। ये पोस्ट करण जोहर से सिम्पैथी के लिए नहीं है। ये पोस्ट ..करण जोहर-एक अकेले को आत्महत्या का जिम्मेदार ठहरा कर आप जो होमोफोबिक मीडिया ट्रायल कर रहे हैं …उस ट्रायल के खिलाफ है। आपका ये सोशल मीडिया बेहेवियर किसी को मरने भर की तकलीफ़ देने के लिये काफ़ी है।

समझदार रहें। तमीज़दार रहें।

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