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भारत मे सामाजिक समता और सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक सदगुरु कबीर साहेब

आज सदगुरु कबीर प्रकट दिवस है इसलिए सदगुरु कबीर के मार्मिक विचार को रखना अति आवश्यक है सदगुरु कबीर जहां भारत में स्त्री और शूद्रों के बीच सामाजिक जागरूकता और अंधविश्वास के खिलाफ प्रचार-प्रसार के जनक माने जाते हैं।

कबीर को भारतीय समाजिक समानता के आंदोलन के जनक भी कहा जाता हैं सदगुरु कबीर ने हिंदू मुस्लिम के बीच में धार्मिक एकता पर बल दिया और सांप्रदायिक सौहार्द को कायम करने का महान कार्य किया उनके पंक्तियों में आज से 600 वर्ष पहले के धर्मनिरपेक्ष भारत का तस्वीर निखर कर सामने आता है ।

सदगुरु कबीर विरचित संतमत आंदोलन का यह प्रभाव था कि भारत में तुकाराम संत रविदास संत गाडगे संत कारक संत पलटू संत दरिया संत बसवन्ना इत्यादि शुद्र परिवार में जन्म ने वाले लोगों ने भारत के शुद्र कहे जाने वाले जनमानस में समता सद्भावना और स्वाभिमान का अलख जगाने का काम किया।

सदगुरु कबीर के संतमत आंदोलन का ही परिणाम था कि शूद्र और अछूत कहे जाने वाले परिवारों से भारत में महात्मा फुले और बाबासाहेब डॉक्टर आंबेडकर और बाबू जगजीवन राम जैसे महान समाज सुधारक भी निकल कर सामने आए जिनमे से आगे चलकर बाबासाहेब डॉक्टर अंबेडकर जैसे विद्वान भारतीय संविधान के निर्माताओं में से प्रमुख बने।

भाई रे दो जगदीश कहां से आया
कहू कोने बौराया।
अल्लाह राम कलीमा केशव
हरि हजरत नाम धराया।।

गहना एक कनक ते गहना
यामे भाव न दूजा।
कहन सुनन को द्वि करि थापे
एक नमाज एक पूजा।।

वही महादेव वही मोहम्मद
ब्रह्मा आदम कहिए।
को हिंदू को तुरुक कहावै
एक जिमी पर रहिए।।

बाग नमाज पढै़ वै कुतबा
वो मुलना वो पांडे।
बेगर-बेगर नाम धराए
एक मिट्ठी के भांडे..।।

सदगुरु कबीर साहेब

बाबा साहेब बाबू जगजीवन राम के पिता कबीर पंथी थे इस लिए उन पर सद्गूरू कबीर का असर ज्यादा था। बाबा साहैब पर सद्गूरू कबीर का ही प्रभाव था जिसके कारन बाबा साहब ने देश की महिलाओं और वंचितों को उनका संवैधानिक मानवाधिकार देने का काम किया ।

जो कथित धार्मिक ग्रंथों और धर्म उनको वंचित करने वाले थे अर्थात धर्म जो स्त्रियों और वंचितों को शिक्षा और अन्य संसाधनों से वंचित करने वाला था उन सभी कुरीतियों को दूर करके भारतीय संविधान के द्वारा समता और संप्रभुता सद्भावना मानवता का अधिकार दिया।

सद्गुरु कबीर साहेब के प्रकट दिवस पर आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं और विनती करता हूं कि सदगुरु कबीर के सपनों के भारत का निर्माण करने के लक्ष्य को साध कर सभी लोग जाति धर्म संप्रदाय को पीछे रखकर आगे आए और भारत को जातिवाद संप्रदायवाद मुक्त धर्मनिरपेक्ष समृद्ध भारत बनाएं।

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