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“माँ, तूने तो कहा था इंसान बहुत अच्छे हैं। फिर उन्होंने हम दोनों को इतनी बेदर्द मौत…….

“मां, तूने तो कहा था इंसान बहुत अच्छे हैं। फिर उन्होंने हम दोनों को इतनी बेदर्द मौत क्यों दी? एक हाथी के बच्चे की पुकार जो अभी बाहरी दुनिया में आया भी नहीं था।”

एक बच्चे का मां से संवाद

“मां! मां! मैं कब आउंगी बाहर की दुनिया में?
कब देख पाउंगी अपनी आंखों से तुझे?
मां, तू कहती है ना इंसान इस दुनिया के राजा हैं तो मैं उन्हें कब देख पाउंगी?
मां, बताओ ना।”

मां का भावुक उत्तर

बेटा, थोड़ा सब्र कर, थोड़ा ठहर जा।
जल्द ही इस दुनिया में तेरे कदम होंगे।
मेरे जिगर के टुकड़े तू जल्द ही मेरी आंखों के सामने होगी।    हां और तुझे मैं जल्द ही अच्छे इंसानो से मिलवाऊंगी वो तुम्हे प्यार करेंगे, तुम्हारी भूख मिटायेंगे।

मां तू भूखी होगी

मां, तूने दो दिन से कुछ नहीं खाया है।
इसी वजह से मुझे भी कुछ खाने को नहीं मिला।
और अब मुझे बहुत जोर से भूख लगी है।
मां तू कह रही थी ना, इंसान अच्छे होते हैं वो हमे खाना भी देते हैं।
तो मां जाओ ना उनके पास और जो देंगे वो खा लो ना।

अच्छा बाबा, चलो इंसानो की बस्ती में चलते हैं और कुछ खाने को ढूंढते है।

 

Credit: Unknown,Instagram

“यह बातचीत एक हथनी और उसके बच्चे के बीच की है, वो बच्चा जो अभी इस दुनिया में आया तक नहीं था। खाने की तलाश में हथनी निकल पड़ती है इंसानो की बस्ती की ओर बड़ी उम्मीदें लेकर।”

चलिए फिर क्या हुआ देखते हैं

बेटा! बेटा! सुन रही हो ना मुझे? मैं पहुंच गयी, इंसानो की बस्ती में, अब  चलो खाना ढूंढती हूं।

एक बच्चे की ईश्वर से प्रार्थना

मां! मां! इंसान मिले तुम्हें क्या या अभी हमारे सामने दिख रहे हैं?

नहीं बेटा! आजकल इंसान अपने घरों से बहुत कम निकलते है,
वो बेचारे महामारी की मार झेल रहें है, इसी कारण डरें हैं सहमे है। मेरी प्रार्थना यही है कि वो इंसानो की पीड़ा हर लें और दुनिया को इस महामारी से मुक्ति दें।

हां मां, मैं भी भगवान से प्रार्थना करूंगी कि मैं जब आऊं दुनिया में तब तक सब कुछ ठीक हो जाए और ताकि मैं जल्दी-जल्दी इंसानो को देख सकूं।

अंततः भोजन की तलाश पूर्ण हुई

बेटा, अब ज्यादा देर भूखे नही रहेंगे हम।
इंसान हमारे खाने के लिए अनानास रख गए हैं।

मां, तू सच्ची कहती है इंसान बहुत अच्छे होते है।
पर मां मुझे कुछ अच्छा नही लग रहा,
कुछ अनजाना-सा डर लग रहा है।

अरे बेटा, कुछ नही होगा अब तो खाना भी मिल गया।
हम दोनो की भूख अब मिट जायगी।
इंसानो पर मुझे भरोसा है, अच्छा खाना देते हैं।

Credit: Facebook

मां! मां! मां! कहां हो तुम?
क्या हो रहा है?
मुझे इतनी जलन क्यों महसूस हो रही?
मां मेरा दम क्यों घुट रहा है?
मां, ठीक हो ना तुम?

हहहहह हहहहह हहहहहहह!!!!!
बेटा! बेटा! मेरा मुंह बहुत जल रहा है।
मुझसे सहा नही जा रहा।
तू घबरा मत, मैं हूं ना।
तुझे कुछ नही होने दूंगी।
मैं तालाब की तरफ भाग रही हूं।
ताकि इस मुंह में लगी आग से बच सकूं।

मां! मां! यह कैसे हुआ?
क्या था उस अनानास में?
तेरा मुंह कैसे जला?
इंसानो ने क्या किया था उसमे?

बेटा! मैं गलत थी,
तुमसे झूठ बोला,
हर इंसान अच्छा नहींं होता।
बेटा यह इंसानी दुनिया हम जीवों को जीने नहीं देगी।

मां, सुन रही हो ना!
तुम ऐसा क्यों कह रही हो।
और मुझे सांस कम आ रही है मां

मुझे घुटन हो रही है!

मां कहाँ हो तुम?
मां? मां? मां?
मां, तुझे क्या हो गया?
तू मुझसे अब बात क्यों नहीं कर रही?
क्या मैं, अब कभी बाहर नहीं आ पाउंगी?
क्या मैं अब कभी तुझे देख नहीं पाउंगी?
क्या इंसानो को भी नहीं देख पाउंगी?
मां! मां! बोलो ना कुछ।
मुझे सांस नही आ रही।

मां…… मां……म…मम…………

“अब हाथी के बच्चे को उसकी मां कभी जवाब नहीं दे पायेगी, न ही वो मासूम बेचारी जवाब कर पायगी।”
मैं किसी मनगढ़ंत कहानी नहीं कह रहा बल्कि यह इंसानियत पर कलंक लगाने वाली घटना, भारत के सबसे पढ़े लिखे राज्य के साक्षर लोगों ने की है या यूं कहूं कि पढ़े लिखे जाहिल गवारों ने की है।

आखिर उस मासूम से जीव की गलती क्या थी,
यही की वो कुछ मतलबी इंसानो की बस्ती में आश लेकर आई थी?
अखिर मिल क्या गया उन लोगों को यह करके,
कम से कम उन्हें एक बार यह भी ख्याल नहीं आया होगा की वो अकेली नहीं उसकी एक औलाद भी है जिसे बाहर की दुनिया का इंतज़ार है?
क्यों इतने भूले-बिसरे फिर रहे हैं लोग,
समझ नहीं आये इतना क्यों गिर रहें हैं लोग।

सोचा था 2020 इंसानो को सबक सिखाएगा,
उनका प्रकृति के प्रति लगाव बढ़ाएगा।

पर कुछ इंसानो ने भी यह सिद्ध कर दिया की एक कुत्ते की दुम टेढ़ी कभी सीधी नहीं हो सकती।
कब समझेंगे ऐसे लोग या यूं कहूं कि धरती के बोझ।
किस बात का गुरूर है,
देख नहीं रहे छोटा सा कीटाणु कितने कर रहे इसको चूर हैं।

यह एक साथ कोरोना, साइक्लोन, टिड्डी दल, भूकंप यह सब प्रकृति का हम पर गुस्सा है,
या शायद हम पर आने वाली किसी और बड़ी विपदा का हिस्सा है।
वक्त रहते हमे समझना होगा की इस धरती पर इंसानो का भी उतना ही हक़ है जितना की और जीव जंतुओं का।

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