समय है, गुज़र जाएगा
होगा बिहान, तिमिर को चीरकर
जब काले भयानक बादल छंट जायेगें
और परिंदो को खुला आसमान नजर आएगा।।
समय है …..
होगा बिहान, तिमिर को चीरकर
जब काले भयानक बादल छंट जायेगें
और परिंदो को खुला आसमान नजर आएगा।।
समय है …..
सामना करना पड़ेगा इन मुश्किलों का
ये तुम्हारी हैं, किसी और की नहीं
चिंता न करो किंचित मात्र भी
ये प्रारब्ध है, होकर रहेगा
बच न पाए स्वयं भगवान भी जब
मनुज क्या इससे बच पायेगा।।
समय है…..
ये तुम्हारी हैं, किसी और की नहीं
चिंता न करो किंचित मात्र भी
ये प्रारब्ध है, होकर रहेगा
बच न पाए स्वयं भगवान भी जब
मनुज क्या इससे बच पायेगा।।
समय है…..
क्या हुआ अगर अधेरी रातें कुछ लंबी भी हुई तो
क्या हुआ जब राहें सुगम न रही तो
याद रख उन चौदह बरस को
याद कर उस वन गमन को
तुम मुसाफिर हो उन संस्कृतियों के
इन्हें यू ही कैसे भूल जाएगा।।
समय है…..
……………….. देवेन्द्र प्रताप तिवारी