Site icon Youth Ki Awaaz

फेयरनेस क्रीम के विज्ञापनों से कब खत्म होगा रंगभेद?

Fairness Cream ads

Fairness Cream ads

“एक अच्छा इंसान होना वरदान है गोरा होना नहीं क्योंकि गोरा हो या काला हर कोई इंसान ही है”

अभी कुछ दिन पहले मैंने यूट्यूब में एंग्री प्रश का एक वीडियो देखा। एंग्री प्रश उस विडियो में फेयरनेस क्रीम के नाम पर चल रहे रंगभेदी कार्यक्रम को एक्सपोज़ कर रहे थे। क्योंकि जिस विज्ञापन की आलोचना उन्होंने की, उस विज्ञापन में यह बताया गया था कि काला होना पाप है और गोरा होना वरदान।

हालांकि यह बिल्कुल गलत बात है। काला और गोरा कुछ नहीं होता है। आखिर हम उस देश में रहते हैं जहां भगवान कृष्ण की पूजा होती है जो सांवले रंग के थे।

भारत की फिल्म इंडस्ट्री को देख लें तो कई ऐसी एक्ट्रेस हैं जिनका रंग गोरा नहीं है, मगर वो आज के ज़माने की सबसे कामयाब अदाकारा हैं। इसमें खुद दीपिका पादुकोण और काजोल भी शामिल हैं। इसके अलावा अजय देवगन भी भारत के सबसे बड़े एक्शन सुपरस्टार है जिनकी फिल्में देखने के लिए भारत का हर इंसान लाइन में खड़ा हो कर टिकट लेता है जबकि उनका रंग भी सांवला ही है।

विज्ञापन के ज़रिए गोरे काले का अंतर दिखाने की कोशिश

रंग का खूबसूरती से क्या लेना देना?

रंग का खूबसूरती से कोई लेना देना नहीं हैं लेकिन फेयरनेस क्रीम वाले ऐसा दिखाते हैं जैसे सांवला होना ही कोई गुनाह हो। मुनाफे की सोचना यह कॉर्पोरेट वालों का हक है लेकिन उसके लिए ऐसी चीज़े दिखा कर रंगभेद का समर्थन बिलकुल गलत है। मेरी सबसे पसंदीदा हॉलीवुड फिल्मों में से एक है बैड बॉयज। इस फिल्म के दोनों ही मुख्य किरदार रंग से काले हैं जिसमें विल स्मिथ मेरे पसंदीदा किरदार हैं और मैंने उनकी कई फिल्में देखी हैं।

अभी अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद प्रियंका चोपड़ा की भी काफी आलोचना हुई। वजह यही थी कि पहले उन्होंने भी फेयरनेस क्रीम का प्रचार किया था।

हालांकि प्रियंका चोपड़ा को देखें तो वो सांवली तो नहीं हैं लेकिन गोरी भी नहीं हैं, फिर भी बॉलीवुड और हॉलीवुड में अपनी अदाकारी का लोहा मनवा चुकी हैं। उनको तो खुद आगे बढ़कर इन फेयरनेस क्रीमों की आलोचना करनी चाहिए थी कि जो भी यह प्रचार चल रहा है, गलत है। सांवले या काले होने में कोई बुराई नहीं है।

हास्यास्पद और निर्तथक होता है इन विज्ञापनों का कंटेंट

मुझे याद है कुछ साल पहले मैंने फेयरनेस क्रीम का एक ऐड देखा था जिसमें एक लड़की सिंगिंग ऑडिशन के लिए जाती है, मगर रंग सांवला होने की वजह से रिजेक्ट हो जाती है। फिर उसके पिता नाराज़ हो जाते हैं और बॉयफ्रेंड भी छोड़कर चला जाता है। इसके बाद उसकी मां अचानक से आती हैं और जैसा हिंदी फिल्मों में दिखाया जाता है कि बिजली कड़कती है, तेज़ हवा चलती है, लड़की रोती है।

ऐसे में, उसकी मां एक फेयरनेस क्रीम लाती है लड़की लगा कर झट से खूबसूरत बन जाती है फिर उसी ऑडिशन पर वो कांटेस्ट भी जीत जाती है। बॉयफ्रेंड से लेकर पिता तक सब खुश हो जाते हैं। फेयरनेस क्रीम के विज्ञापन ऐसे कंटेंट से भरे पड़े हैं।

मैंने कई सिंगिंग शो देखें हैं। बड़ों के भी और बच्चों के भी एक में भी मुझे ऐसा कोई उद्धरण नहीं मिलता है जहां रंग की वजह से किसी को निकाला गया हो और ना ही तो किसी शो के ऑडिशन में ही किसी को विनर बना देते हैं। मैंने कई सांवले रंग के लोगों को उन्हीं शो में बड़ी खूबसूरती से गाते हुए देखा है। इस तरह का प्रचार ना सिर्फ रंगभेद को को प्रचारित करता है, बल्कि सिंगिंग शोज़ के बारे में झूठी खबरें भी फैलता है और उनकी छवि को बदनाम करता है।

विज्ञापन की प्रतीकात्मक तस्वीर

विज्ञापन के नाम पर गलत धारणाओं का हो रहा है समाज में प्रसार

इसके अलावा एक और हास्यास्पद बात इनके कंटेंट में यह होती है जो एंग्री प्रश ने भी अपने वीडियो में कही, मतलब सात दिन में लड़की इतनी गोरी हो जाती है कि बच्चे उसे लाइट बनाकर अंधरे में पढ़ाई करते हैं। कई विज्ञापनों में तो लड़की गोरी होते ही आईएएस ऑफिसर या मिस यूनिवर्स बन जाती है।

हमें तो बचपन से सिखाया गया है कि कामयाबी जल्दी नहीं मिलती है। उसके लिए संघर्ष करना पड़ता है। अब्राहम लिंकन गोरे थे लेकिन 20 साल का कड़ा संघर्ष करने के बाद वो अमेरिका के राष्ट्रपति और एक महान वकील बने थे। वहीं इन फेयरनेस क्रीम के विज्ञापनों में गोरे होते ही तरक्की हो जाती है। इस समय में इससे ज़्यादा अतार्किक कुछ नहीं हो सकता है।

हर विज्ञापन में एक आदमी या औरत होंगे जो कहेंगे कि मैं पहले सांवला था या सांवली थी तो कोई बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रैंड नहीं थे। सभी मुझे चिढ़ाते थे, मगर जबसे यह चमत्कारी क्रीम लगाई मेरे आगे पीछे लोगों की लाइन लग गई।

इस तरह पैसे के चक्कर में समाज में यह ज़हर फैलाया जा रहा है और सांवला होना कोई अभिशाप है ऐसा बताया जाता है। जिस तरह हाइट बढ़ाने वाले प्रोडक्ट्स का विज्ञापन गलत है। उसी तरह फेयरनेस क्रीम के वो विज्ञापन जो काले होने को गुनाह बताते हैं वो भी गलत हैं। इन सब विज्ञापनों पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए।

बॉलीवुड में इसके खिलाफ उठी है आवाज़

मैं बॉलीवुड के दो लोगों की तारीफ करना चाहूंगा, एक हैं मेरी पसंदीदा फिल्मों में से एक हैप्पी भाग जाएगी में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाने वाले अभय देओल और दूसरी मलंग फिल्म के ज़रिए बॉलीवुड में अपनी नई पहचान बनाने वाली दिशा पटानी।

अभी पिछले दिनों अभय देओल ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में सवाल पूछा कि क्या अब भी बॉलीवुड के लोग फेयरनेस क्रीम का प्रचार करेंगे? वहीं दिशा पटानी ने ट्विटर पर लिखा कि सभी रंग खूबसूरत हैं।

इसके अलावा उन्होंने फिल्म बाला में भूमि पेंडेकर ने एक काली लड़की का किरदार निभाया जिसमें उन्हें अपने सांवले रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता है, बल्कि वो गर्व करती हैं कि उसकी वजह से अपने पसंद के लड़के से उनका विवाह होता है।

रंगभेद फैलाने वाले विज्ञापनों को कर देना चाहिए बैन

सिर्फ फेयरनेस क्रीम ही नहीं, बल्कि उन साबुनों का प्रचार भी बंद कर देना चाहिए जो यह रंगभेद फैला रहे हैं जिसे मैंने कई बार टीवी ऐड में देखा है।

मैंने खुद कभी कोई फेयरनेस क्रीम नहीं लगाई हालांकि सर्दियों के मौसम में त्वचा को फटने से बचाने के लिए कुछ क्रीम का इस्तेमाल ज़रूर करता हूं। अगर कंपनियां सर्दियों में त्वचा को फटने से बचाने के लिए या रूखा होने से बचाने के लिए क्रीम बनना चाहते हैं तो बेशक बनाए उसकी मनहाई नहीं है लेकिन इन विज्ञापनों के ज़रिए काला होना गुनाह है और गोरा होना वरदान जैसी धारणाएं ना बनाए तो बेहतर होगा।

इन विज्ञापनों को छोटे बच्चे भी देखते हैं उन बच्चों को अभी दुनिया समझनी हैं। ऐसे में हम उनको क्या सीखा रहे हैं? इन विज्ञापन बनाने वालों को यह भी सोचना चाहिए।

Exit mobile version