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“भारत में टिक टॉक बैन होने से मेरा मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होगा”

भारत एक बड़ा बाज़ार है, जहां कंपनियां अपने-अपने क्षेत्र में मार्केट पर कब्ज़ा करना चाहती हैं। युवाओं में काफी लोकप्रिय एप टिक टॉक ने भारतीय बाज़ार में एक तरह से अपना कब्ज़ा जमाया हुआ था।

मगर भारत ने टिक टॉक समेत 59 चीनी एप्स पर पाबंदी लगाने का फैसला लिया है, जिससे बाद हर तरफ इसको लेकर चर्चा हो रही है।

एंटरटेनमेंट पर पड़ेगा असर

अगर टिक टॉक की बात करें तो भारत में यह 61 करोड़ बार डाउनलोड हो चुका है। पूरी दुनिया के 30 प्रतिशत यूज़र्स भारत में रहते हैं, जिससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि टिक टॉक मनोरंजन में काफी बड़ी भूमिका निभा रहा था।

टिक टॉक का विकल्प आने में अभी देर लग सकती है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि मित्रों एप को उसकी जगह पर इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन मित्रों एप अभी नया है।

इस एप में ज़्यादा कंटेंट नहीं है और ना ही ज़्यादा यूजर्स हैं। अगले कुछ दिनों में पता चल जाएगा कि मित्रों एप, टिक टॉक की जगह ले सकता है या नहीं। इन सबके बीच मेरी एक व्यक्तिगत चिंता है, वो यह कि मैं भले ही टिक टॉक पर वीडियोज़ नहीं बनाता था मगर देखता तो था!

अब इस एप के भारत में बैन हो जाने से ज़ाहिर तौर पर मेरा मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होगा। जब भी वक्त मिलता था मैं मज़ेदार वीडियोज़ देख लेता था।

टिक टॉक स्टार्स अब क्या करेंगे?

यह काफी पेचीदा सवाल है, क्योंकि इस टिक टॉक के ज़रिये छोटे गाँवों से लेकर मेट्रो सिटी तक हर किसी ने अपनी पहचान बनाई है। कई लोगों की कमाई का साधन भी टिक टॉक बना रहा। एक संभावना यह भी है कि कई सारे टिक टॉक यूजर्स और टिक टॉक सेलिब्रिटीज़ डिप्रेशन यानी अवसाद का शिकार हो सकते हैं।

इस चीज़ से हर किसी को बचना चाहिए फिर वह टिक टॉक सेलिब्रिटीज़ हों या सामान्य यूजर्स। इस बात पर विचार होना चाहिए कि टिक टॉक के बाद हम अपना हुनर किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर कैसे लाएं।

टिक टॉक की कमाई पर पड़ेगा बहुत बड़ा असर

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Getty Images

जब 30 प्रतिशत टिक टॉक यूज़र्स भारत से आते हैं फिर तो स्वाभाविक है कि यह एप भारत से करोड़ों रुपये कमाता होगा। इस कमाई पर काफी बड़ा असर पड़ेगा।

पिछले साल जब टिक टॉक पर प्रतिबंध लगाया गया था, तब सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहत दी गई थी। उस वक्त कंपनी ने कहा था कि अगर कंपनी बंद हो जाती है तो हर दिन 3.5 करोड़ का घाटा होगा। यानी साल भर में 12 सौ करोड़ से अधिक। उस वक्त टिक टॉकके 12 करोड़ यूज़र थे।

कुछ महीने पहले जब यूट्यूब और टिक टॉक के बीच में सोशल मीडिया वॉर हुआ था, उस वक्त भी टिक टॉक को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। एप की रेटिंग अचानक से गिर गई थी।

भारतीय लोग हो जाएंगे बेरोज़गार

चीन के जिन एप्स पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनके भारत के ऑफिस में जितने भी भारतीय लोग काम करते हैं, शायद उन सभी को या फिर उनमें से बहुत से लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। इन कर्मचारियों की संख्या कई हज़ार हो सकती है।

लॉकडाउन के कारण करोड़ों लोग पहले से ही बेरोज़गार हो गए हैं। इस संख्या में और थोड़ी वृद्धि हो जाएगी। इसकी संभावना काफी कम है कि सरकार इनकी नौकरी को लेकर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें।

चीन के 59 एप पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह संख्या बहुत बड़ी है लेकिन जिस तरह से कोरोना के साथ जीने की बात कही जा रही है, उसी तरह हमें भी इन एप्स बदले अन्य वैकल्पिक साधनों पर ज़ोर देना होगा।

एक एप यूज़र के तौर पर मैं यह कह सकता हूं यह बदलाव धीरे-धीरे होगा। अन्य विकल्पों के बारे में भी सोचा जाएगा।

एप पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कितना उचित है?

यह सवाल इसलिए पूछा जाना चाहिए, क्योंकि केंद्र सरकार ने चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने से पहले यह कहा है कि इनके ज़रिये राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

चीन में नियम के अनुसार अगर किसी कंपनी में चीन का इन्वेस्टमेंट है, तो उस कंपनी का डाटा भी चीनी सरकार को दिया जाता है। इस तरह से देखें तो अन्य कई ऐसे एप्स हैं, जिनमें चीनी कंपनियों की साझेदारी है।

जैसे- बाईजू, ड्रीम 11, हाइक, फ्लिपकार्ट, मेक माय ट्रिप, ओयो, पेटीएम, पॉलिसी बाज़ार, स्विगी, ज़ोमैटो और डेलीहंट।

व्यापक तौर पर इस निर्णय के क्या प्रभाव होंगे यह देखने के लिए कुछ समय इंतज़ार करना पड़ेगा। गौरतलब है कि टिक टॉक को गूगल प्ले स्टोर से हटाया जा चुका है मगर जिनके मोबाइल में पहले से ही यह मौजूद है, वे बिना किसी रोक-टोक के प्रयोग कर पा रहे हैं।


संदर्भ- जनसत्ता, बिज़नेस टुडे

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