Site icon Youth Ki Awaaz

“आसान नहीं था मेरे लिए डिप्रेशन से उबरना”

ट्रिगर वॉर्निग- इस लेख में आत्महत्या का ज़िक्र है।


सुशांत सिंह राजपूत की मौत की खबर और डिप्रेशन की चर्चा इस तरह होने लगी जैसे यह बहुत आम बात है। टीवी, यूट्यूब, पॉडकास्ट हर जगह सिर्फ सुशांत और डिप्रेशन के कारण के साथ-साथ निदान की बात चल रही है।

मुझे पहले दिन कुछ अजीब नहीं लगा, किसी की मौत होना आम बात है लेकिन डिप्रेशन में इस तरह अपनी ज़िंदगी खत्म करना सही नहीं है।

मैंने सुशांत की 50 इच्छाएं भी पढ़ीं। उनमें से अधिकांश इच्छा मेरी भी हैं और मैं उन्हें पूरा किए बिना अपनी लाइफ खत्म करने वाली नहीं हूं।

शाम के वक्त जब मैंने व्हाट्सएप्प के ज़रिये सुशांत के मृत शरीर की फोटो देखी, तो मेरा सबसे पहला रिएक्शन अपनी सर पर छत की तरफ था, जहां से फांसी लगाई जा सकती है।

कैसे मैंने आत्महत्या के ख्याल को मन से दूर किया

फैमिली संग कामना।

मेरा ध्यान दो साल पहले की एक घटना पर गया, जब मैं एक अन्य रूम में पढ़ाई किया करती थी। पूरी तरह डिप्रेस्ड थी, मन में सिर्फ सुसाइड का ख्याल था और उस दिन भी छत की तरफ देखा था। शायद मैंने सूझबूझ का परचय दिया और ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया। यदि फैसला लिया होता तो आज इस मुद्दे पर नहीं लिख रही होती।

दरअसल‌, मैंने उस वक्त सोचा कि क्या ज़रूरी है, डिप्रेशन में रोना और ज़िंदगी खत्म कर लेना या किसी तरह से इस ख्याल को दिमाग से दूर करना? मैंने अगले 5 मिनट में सारी किताबें एक बैग में पैक की और घर आ गई। यदि उस समय यह फैसला नहीं लिया होता तो सुचमच मैं अपनी ज़िंदगी खत्म कर चुकी होती।

सुशांत की मृत तस्वीरें देखी मैंने। पूरी रात मेरे दिमाग में सुसाइड और डिप्रेशन पर डिस्कशन चल रहा था, जो बार-बार मुझे सुसाइड पर ज़्यादा ध्यान देने के लिए मजबूर करता रहा। ऐसा क्या बदल गया दो दिनों में जिसने मुझे इतना बेचैन कर दिया।

मीडियाकर्मियों को संवेदनशील होने की ज़रूरत

WHO की रिपोर्ट कहती है कि इसकी ज़िम्मेदारी मीडिया रिपोर्टिंग की है। सुसाइड, खासकर सेलिब्रिटी सुसाइड पर खासा ध्यान रखा जाना ज़रूरी है।

सुसाइड पर ज़्यादा ध्यान देने के बजाये, लोगों को प्रशिक्षित करने पर ज़ोर लगाएं। सेंसेशनल भाषाओं का इस्तेमाल ना किया जाए। साथ में यह बताया जाए कि ऐसे विचारों से निदान कैसे पाया मिले?

जिन जगहों पर सुसाइड हुआ है, उसकी फुटेज और रिपोर्टिंग ना की जाए और उन्हें दोहराया न जाये। सुसाइड की प्रक्रिया बताने से बचें।

शब्दों के चयन पर ध्यान दें। फोटोग्राफ और वीडियो फुटेज का सावधानी से इस्तेमाल हो। उन्हें वायरल करना नुकसानदेह है। सेलिब्रिटी सुसाइड रिपोर्टिंग पर नियंत्रण रखें।

बात डिप्रेशन या अवसाद की

यह सभी के जीवन की बहुत आम अवस्था है। हर व्यक्ति किसी ना किसी रूप से डिप्रेस्ड ज़रूर पाया जाता है लेकिन डिप्रेशन की इंटेंसिटी को भांप पाना मुश्किल है। एक व्यक्ति की परिस्थिति को दूसरा समझ पाए, यह ज़रूरी नहीं है। हर अवसाद पीड़ित व्यक्ति की आकांक्षाएं होती हैं कि दूसरा उसे समझे और ऐसा होना नामुमकिन है।

पीड़ा आपके लिए बहुत गंभीर हो सकता है लेकिन दूसरों के लिए नहीं! इसका एक साफ उदाहरण है कि आपने प्यार में धोखा या ठोकर खाई है, तो आपके लिए यह बहुत बड़ा मुद्दा हो सकता है, मौत का कारण भी बन सकता है लेकिन आपके माता-पिता, समाज या दोस्तों के लिए यह अत्यंत छोटी या निम्न बात होगी।

लोग अक्सर ‘MOOV ON’ करने की सलाह देते हैं लेकिन पीड़ित व्यक्ति के लिए प्यार मुहबत, धोखे, दिवालियापन, अति प्रिय व्यक्ति से दूरी आदि से ‘MOOV ON’ करना आसान नहीं होता है।

ऐसे में यदि कोई व्यक्ति है, जो आपको डिप्रेशन से मुक्ति दिला सकता है, तो वह व्यक्ति आप खुद हैं लेकिन अधिकांश लोग खुद को ना चुनकर खुदकुशी का चुनाव करते हैं।

Exit mobile version