कोविड-19 के वैश्विक संक्रमण काल और लॉकडाउन के बीच फंसे प्रवासी मज़दूरों के बच्चों और बाल श्रमिकों पर विशेष ध्यान देने का यह समय है। इस समय जब बाल श्रम कानून के उल्लंघन में तेज़ी संभावित है, तब सरकारें बच्चों से काम कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का बहाना ना करें।
इसके विपरीत यह सतर्कता और बच्चों को श्रम, दुर्व्यवहार और शोषण से बचाने के लिए किए जाने वाले विशेष उपायों का समय है। यदि बच्चों के नियोक्ताओं ने उन्हें ऐसे ही सडक पर छोड़ दिया है और लॉकडाउन के दौरान उनकी वे कोई देखभाल नहीं कर रहे हैं, तो वे दूसरा अपराध कर रहे हैं।
ऐसे न्योक्ताओं को बिना कार्रवाई के नहीं छोड़ा जा सकता है। ऐसी स्थिति में श्रम विभाग, बाल कल्याण समितियों और चाइल्ड लाइन के माध्यम से सरकार को इन बच्चों की देखभाल करनी चाहिए। तेलंगाना में अपने कार्यस्थल से छत्तीसगढ़ के अपने गाँव में तीन दिन चलने के बाद अपनी जान गंवाने वाली वाली बारह साल की लड़की जमालो मडकाम का दुखद मामला हम सबके सामने है।
ऐसे कई मामले और सामने आए हैं, जिनमें बच्चों को भारी बैग और वयस्कों के साथ कई किलोमीटर तक पैदल चलते हुए दिखाया गया है। कर्फ्यू में छूट के घंटों के दौरान सड़कों पर बच्चों को कचरा बैग, सब्ज़ियां, फल और अन्य सामान बेचते हुए देखना मुश्किल है।
कई और भीख मांगने के माध्यम से कुछ पैसे प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। ये सभी ज़्यादातर प्रवासी समुदायों या दैनिक वेतन भोगियों के बच्चे हैं। यह पहले से ही अनुमान है कि कोविड-19 अधिक बच्चों को श्रम के लिए प्रेरित करेगा। बच्चों को पहले से ही श्रम में प्रवेश करने या तस्करी होने का अधिक खतरा है, क्योंकि लॉकडाउन में स्कूल बंद हैं।
बाल श्रम विरोधी अभियान CACL ने बाल श्रम कानूनों के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ अधिक सतर्कता और कड़ी कार्रवाई तथा बाल श्रम के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाते हुए प्रभावित बच्चों के संरक्षण के लिए तत्परता से काम करने को लेकर सरकार और समुदाय से आगे आने की अपील की है।
बाल श्रम विरोधी अभियान से जुड़े संस्थाओं द्वारा बाल श्रम में लगे बच्चों की निगरानी की जा रही है। यह जानकारी CACL के नैशनल एडवोकेसी कन्वीनर अशोक झा ने नेैशनल डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर पर हुई ऑनलाइन परिचर्चा के बाद साझा की।
सीएसीएल के मध्यप्रदेश स्टेट कन्वीनर राजीव भार्गव ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि इस संक्रमण काल में हम देखें कि बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन ना हो। इसलिए वर्तमान स्थिति में बाल श्रम के खिलाफ कानून का क्रियान्वयन अत्यंत प्राथमिकता में होने की आवश्यकता है।