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क्या तमिलनाडु में लॉकडाउन का उल्लंघन सज़ा-ए-मौत है?

तमिलनाडु में एक पिता-पुत्र की पुलिस हिरासत में मौत की खबर ने सबको हिलाकर रख दिया है। दरअसल, तमिलनाडु के तूतीकोरिन ज़िले के सथनकुलम में 58 वर्षीय जयराज और उनके 31 वर्षीय पुत्र बेनिक्स इमानुएल को कोविड-19 महामारी के चलते लॉकडाउन की तय समय सीमा के बाद तक दुकान खोलने के मामले में 19 जून को गिरफ्तार किया गया था।

तीन दिन की पुलिस कस्टडी में पिता-पुत्र दोनों की मौत हो गई। वहीं, इनके परिवार और मित्रों ने उनके शव लेने से इंकार करते हुए कहा कि उन दोनों के साथ बर्बरता हुई है। पहले मामले की जांच की जाए उसके बाद हम शव लेंगे। इसी के साथ मामले में कई सवाल उठ रहे हैं।

पुलिस ने बैनिक्स के दोस्तों को भी हड़काया

58 वर्षीय जयराज और उनके 31 वर्षीय पुत्र बेनिक्स इमानुएल। फोटो साभार- सोशल मीडिया

एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, 18 जून को पेट्रॉलिंग करते वक्त पेट्रॉलिंग हैड ने जयराज और उनके बेटे को समय पूरा होने के बाद दुकान खोलने पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही थी, जिसके ठीक बाद वे दोनों अपनी दुकान बंद कर घर चले गए थे।

लेकिन अगले रोज़ शाम के लगभग 7:45 बजे एसआई बालकृष्ण कुछ और हैड कॉन्सटेबल के साथ जयराज से सवाल-जबाब करने पहुंचे जिसके बाद पुलिस और उनके बीच बहस हुई और बालकृष्णन जयराज को वैन में लेकर पुलिस स्टेशन ले गए।

बैनिक्स के मित्र ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा, “जब हम बैनिक्स के साथ पुलिस स्टेशन पहुंचे और जयराज जी के बारे में जानना चाहा तब उनमें से किसी ने कहा तुम सबको पुलिस रिमांड पर धर लिया जाएगा।” 

बैनिक्स के मित्र आगे कते हैं, “उन्होंने उसके (बैनिक्स) पैरों पर बार-बार लाठी से मारा जिससे खून बहने लगा। जब उनके पिता ने उन्हें रुकने को कहा तब पुलिस ने उनके साथ भी ठीक यही किया। उन दोनों के शरीर से लगातार खून बह रहा था। हम सुबह 7 बजे के लगभग जब उन्हें अस्पताल ले गए, तब वे खून से लथपथ थे और दर्द की वजह से कुछ भी बोलना उनके लिए मुश्किल था।”

जयराज के मित्र ने क्या कहा?

जयराज के मित्र मनिमरन ने कहा, “जब हमने उन्हें देखा तो वे बुरी तरह घायल थे। पुलिस उनसे सवाल कर रही थी लेकिन वो कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं थे। हम अगले ही दिन उनकी जमानत करवाने वाले थे लेकिन उससे पहले ही हमने दोनों को खो दिया।”

वहीं, परिवार और मित्र के सवाल मजिस्ट्रेट को भी सवालों के कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब सथकुलम पुलिस ने बी सर्वन्न  को बगैर किसी फिज़िकल और मेडिकल टेस्ट के रिमांड की अनुमति किस आधार पर दी?

जांच के आदेश दिए गए हैं

बैनिक्स की बहन ने कहा, “मेरे पिता और भाई को बहुत क्रूरता के साथ मारा गया है। उनके साथ बहुत ज़्यादा क्रूरता की गई है। मैं इसे शब्दों में नहीं बता सकती। मैं अपनी माँ को भी यह सब नहीं समझा सकती।”

परिवार और मित्रों ने कोर्ट से मांग की है कि इस घटना को ध्यान में रखते हुए जांच की जाए तभी वे उनका क्रियाकर्म करने के लिए तैयार होंगे।

वहीं, इस घटना के बाद मद्रास उच्च न्यायलय ने तमिलनाडु पुलिस से इसकी रिपोर्ट मांगी जिसमें साफ है कि पुलिस कस्टडी में दोनों की मौत हुई है। मदुरई उच्च न्यायलय बेंच में पी एन प्रकाश और बी पुगलन्दी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए खुद ही मौत की वजह पर रिपोर्ट मांगी है और उनका कहना है कि जनता को पता होना चाहिए कि कोर्ट इस पर खुद संज्ञान ले रही है।

अरुण बालगोपालन ने कहा, “हम इस घटना को बहुत ही गंभीरता से ले रहे हैं और इसकी पारदर्शिता को बनाए रखते हुए दो उपनिरीक्षकों और हवलदार को सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही इंस्पेक्टर की बदली कर दी गई है।”

मदुरई बेंच ने शुक्रवार को कोविलपट्टी मजिस्ट्रेट को जेल से केस संबंधित सीसीटीवी और मेडिकल रिपोर्ट्स इकट्ठा करने का आदेश दिया।

क्या लॉकडाउन का उल्लंघन करना इतना बड़ा अपराध है?

लेकिन प्रश्न फिर जस का तस वहीं खड़ा है कि क्या कोई न्यायिक प्रक्रिया इस बर्बरता का न्याय हो सकती है? यदि हां, तो आज से पहले हुई इस तरह की घटनाओं का न्याय क्या है? क्या दो-चार पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर देने से न्याय हो जाएगा। पुलिस, प्रशासन या इस कड़ी से जुड़ा कोई भी अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बीच इस क्रूरता को कैसे चुन सकता है?

क्या लॉकडाउन का उल्लंघन इतना बड़ा अपराध है कि किसी की जान ली जा सके? फिर सरकारों की संवाद रैलियां, जिनमें पुलिस हाथ बांधे खड़ी नज़र आ रही है, उससे किस तरह का सवाल करना जायज़ होगा? यह कोई पहली या आखरी घटना नहीं है जिसकी न्यायिक जांच की जाएगी। पुलिस की भूमिका हम हाल ही में हुए दिल्ली दंगों और जेएनयू कैंपस में भी देख चुके हैं।

जिनके हाथों में हमारी सुरक्षा के लिए लाठी है, क्या वो लाठी इतनी डरावनी है कि हमारे भरोसे को ही तोड़ दे? पुलिस, प्रशासन, सरकारें और न्यायपालिका यदि सब अपने ही तौर से चलने को तैयार हैं, फिर हमें किसी न्याय की ज़रूरत नहीं होगी लेकिन उसके लिए पहले न्याय की सब व्यवस्था खत्म करना होगी।

जयराज और बैनिक्स के साथ क्या हुआ, यह एक लंबी जांच और न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है। शायद मैं लिखकर भूल जाऊंगी और आप सब पढ़कर लेकिन उनका क्या जिन्हें यह सब साबित करने में अपनी एड़ियां साल-दर-साल घिसनी पड़ जाएंगी?


संदर्भ- द क्विंट

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