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How can we control “Rapes” in India

How we can stop rapes in india

रेप अथवा बलात्कार ,अथवा यौन शौषण।
ये शब्द जैसे ही हमारे दिमाग में आता है, या ऐसी कोई घटना, जैसे ही हमारे नजर में आती है,

तो तुरंत एक पुराने और रूढ़िवादी समूह का गुस्सा, पोर्न, या महिलाओं के पहनावे, की तरफ,
व पितृसत्तात्मक समूह का गुस्सा, महिलाओं के घर के बाहर कामकाजी होने पर, झलक पड़ता है।

रेप को रोकने के लिए, सबसे पहले रेप को समझना ज्यादा जरूरी है।

तो आइए समझते है कि-

(Introduction of Rape)

आखिर रेप क्या है ?

(मेरे अनुसार)
किसी महिला या पुरुष के द्वारा, किसी महिला या पुरुष को , बिना उसकी इजाजत के, छूना या संबंध बनाना, या संबंध बनाने की कोशिश करना रेप होता है।

क्या बलात्कार को हम (forceful-sex) जबरदस्ती के द्वारा किया गया सेक्स, या अप्राकृतिक सेक्स,भी कह सकते है?

क्या बलात्कार को imperfect sex भी कहा जा सकता है?

तो फिर ये परफेक्ट,और प्राकृतिक या, नॉर्मल सेक्स होता क्या है?

आइए समझते है-
(Introduction of normal sex )

किसी भी पुरुष या महिला,का किसी भी पुरुष या महिला के साथ, उसकी रजामंदी के साथ किया गया सेक्स

या ऐसा सेक्स जिसके शुरुआत से, और अंत तक होने वाली सभी क्रियाओं, जैसे पोजिशनिंग, किसिंग, टचिंग और अन्य सब में भी, दोनों पार्टनर्स की पुरी सहमति हो।
तब वह सेक्स असली मायनों में, नॉर्मल सेक्स होता है।

किसी महिला या पुरुष को, सेक्स के लिए राजी करके, उसकी इच्छा के विपरीत पोजिशनिंग, किसिंग व टचिंग या ऐसा कुछ जिसके लिए आपका पार्टनर इंटरेस्टेड नहीं है।
वो सही मायनों में नॉर्मल सेक्स नहीं है।
बल्कि वो भी एक तरह का रेप ही होता है।

रेप को रोकने का पहला स्टेप है।

(1) • मेंटल, मोरल और सेक्स एजुकेशन-

यदि अपवाद को छोड़ दें, तो एक स्वस्थ मानव शरीर के लिऐ, सेक्स (physical-need) एक शारीरिक जरूरत है।
और इस शारीरिक जरूरत के समय पर, हासिल नहीं होने से, फ्रस्ट्रेशन जैसी समस्याएं व्यक्ति को घेर लेती है।

ये फ्रस्ट्रेशन जब अधिक होकर, दिमाग पर हावी होने लगता है
तब इस फ्रस्ट्रेशन का हाई लेवल,थोड़े कम मेंटल हैल्थी व्यक्ति को, रेप और सेक्स के बीच फर्क करने में, असमर्थ बना देता है, जिसके कारण वह व्यक्ति, इस रेप नामक, फॉर्सफुल-सेक्स जैसी घटना को अंजाम दे देता है।

इसे ऐसे समझा जा सकता है जैसे
कोई दो दोस्त, साथ में अपनी पढ़ाई, कंप्लीट करते है,
पढ़ाई कंप्लीट करते ही उन्हें, अपनी (economical-need) आर्थिक जरूरत को पूरा करने के लिए, रोजगार की जरूरत होती है।
लेकिन रोजगार नहीं मिलता है।
ऐसी स्थिति में, उनमें से एक मानसिक रूप से, अपरिपक्व व्यक्ति, अपनी आर्थिक जरूरत को पूरा करने के लिए, चोरी या अन्य अपराधों, का सहारा ले लेता है,
लेकिन दूसरा व्यक्ति, मानसिक रूप से, परिपक्व होने के कारण, भयंकर परिस्थिति में भी, किसी अनुचित रास्ते को न अपनाकर, मजदूरी करके,या भीख मांगकर, अपनी , आर्थिक जरूरत को पूरा करता है।

बिल्कुल सेम पैटर्न, सेक्स और रेप पर भी लागू होता है।

एक मानसिक रूप से, अपरिपक्व व्यक्ति, अपनी सेक्स रूपी, शारीरिक जरूरत (physical-need) को पूरा करने के लिए, रेप का सहारा ले लेता है

जबकि मानसिक रूप से, परिपक्व व्यक्ति, अपनी सेक्स रूपी शारीरिक जरूरत (physical-need) को पूरा करने के लिए, या तनाव को कम करने के लिए, रेप का सहारा न लेकर, मास्टरबेशन,या योग, या अन्य कोई और, रास्ता ढूंढ लेता है।

इसलिए रेप या बलात्कार को कंट्रोल करने के लिए।
पहला स्टेप है-
टीन-एजर्स के लिए,कंप्लीट सेक्स-एजुकेशन और मेंटल-एजुकेशन उपलब्ध कराना।
चाहे वो टीन-एजर्स स्कूल जाता हो, या नहीं जाता हो।

क्योंकि सेक्स एजुकेशन, लोगों को सेक्स और रेप के बीच फर्क करना सिखाएगा।

और मेंटल एजुकेशन, रेप जैसी घटना के प्रति, लोगों के दिमाग में नफरत पैदा करेगा।

देश में होने वाली, रेप की सभी घटनाओं में, कुछ फ़ीसदी घटनाएं, सेक्स-एजुकेशन व मेंटल-एजुकेशन के अभाव में होती है।

इसलिए उन कुछ फ़ीसदी, घटनाओं को, देश का मेंटल और सेक्स एजुकेशन मजबूत करके रोका जा सकता है।

(2) • पोर्न का पुनःअवलोकन –

 

रेप को रोकने के लिए,दूसरा स्टेप-
पोर्न को प्रतिबंधित करने के बजाय
पोर्न में बदलाव या सुधार करना है

पोर्न सेक्स को समझने,का या सेक्स को समझकर, अपनी सेक्स लाइफ को बेहतर बनाने का, एक रास्ता है।

लेकिन लंबे समय से, लोगों के नजरअंदाज किए जाने के कारण
ये सिर्फ एक, बिजनेसमॉडल बन कर रह गया है

जिससे, पोर्न, अपने उद्देश्य और जिम्मेदारी से भटक गया है

जिसके कारण अब पोर्न सिर्फ, लोगों के दिमाग में सेक्स को गलत तरीके से, परिभाषित करने का जरिया भर रह गया है।

वर्तमान पोर्न में, महिला को सेक्स की एक मशीन की तरह दिखाया जा रहा है।
जिसे पुरुष के द्वारा अपनी, इच्छानुसार चाहे जैसे मोड़कर, चाहे जैसी पोजिंसनिंग देकर, अपनी हवस मिटाते देखा जा सकता है।

पोर्न में महिला को सिर्फ, ज्यादा से ज्यादा चीखें निकलवाकर, ज्यादा से ज्यादा धन कमाने के एक ऑब्जेक्ट की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।

जिसके कारण सेक्स में महिला की, भूमिका गलत ढंग से, स्टैब्लिश होकर, समाज तक पहुंच रही है।

इसलिए हमे इस नजरिए को बदलने के लिए, पोर्न को बंद करने के, बजाय उसकी स्क्रिप्ट राइटिंग, में सुधार की मांग करनी है।

एक समस्या और है, जैसे भारत में पोर्न शायद नही बनता है।

जितना भी पोर्न भारत में, देखा जाता है, उसका अधिकतम फ़ीसदी , दूसरे देशों का होता है।
जिसकी भाषा के इंग्लिश, होने के कारण
इंग्लिश भाषा में, अज्ञान लोगो को
सिर्फ चीखें ही, समझ में आती है।

जो कि लोगो की मनोवृत्ति में, सेक्स को अलग तरह से , परिभाषित कर रही है।

इसलिए पोर्न हर देश का, अपनी भाषा में होना चाहिए।
भारत में पोर्न को,ज्यादा जोर , सेक्स के प्रकार दिखाने के बजाय, सेक्स क्या है?
इस पर देना चाहिए।

पोर्न में सिनेमा की तरह, सेंसरशिप शायद नहीं होती है।
यदि होती भी होगी तो, इतनी इफेक्टिव नहीं होती है
इसलिए पोर्न को, अपने उद्देश्य से भटकाकर, सिर्फ बाजार बना दिया है।

इसलिए पोर्न में, सेंसरशिप की भी, ब्यवस्था होनी चाहिए
जिसके द्वारा हर वीडियो के रिलीज होने से, पहले, वीडियो की, वास्तविक सेक्स और देश में सेक्स कानूनों के आधार पर जांच हो।

यदि किसी पोर्न वीडियो में, महिला का किरदार निभा रही अभिनेत्री के साथ, अमानवीय तरीके से सेक्स होना पाया जाए।
तो महिलाओं के द्वारा सड़क पर, उस वीडियो का विरोध होना चाहिए।

खराब पोर्न होने के कारण, पोर्न को बंद कर देने से, लोगों की मेंटेलिटी में सेक्स का मतलब समझ में नहीं आएगा।

बल्कि खराब पोर्न का, सड़कों पर खुल कर बात करते हुए, विरोध करने से ही
लोगों की मेंटेलिटी में, सेक्स का सही मतलब समझ में आयेगा।

खराब पोर्न की वजह, से पोर्न को प्रतिबंधित करना
तो पोर्न की खराबी पर, पर्दा डालने जैसा है।

पोर्न को खराबी के कारण, पोर्न को प्रतिबंधित करना, तो पोर्न की खराबी से, जनता को जानबूझकर अज्ञान रखने जैसा है है।

जब आपको ‘चाय’ या “मैगी’ बनानी होती है, तब आप इंटरनेट पर सर्च कर लेते है कि, चाय कैसे बनाएं?

यहां तक कि आपको, बम बनाने तक की, रेसिपी
या डांसिंग क्लास, कोचिंग क्लास, यहां तक कि
अपने हेयर-स्टाइल को बढ़िया बनाने के, नुस्खे भी , इंटरनेट पर मिल जाते है

यदि कोई सेक्स से अनजान व्यक्ति, इंटरनेट पर यदि सर्च करे, कि सेक्स कैसे करें?
या सेक्स लाइफ को और बेहतर कैसे बनाए?
तो आप ऐसा क्यों चाहते है? कि उस सेक्स से अनजान व्यक्ति को दिखाने के लिए, इंटरनेट पर कुछ भी उपलब्ध ना हो!

इसे पढ़ते हुए आपके मन में, सवाल चल रहा होगा,
कि क्या कोई व्यक्ति सेक्स से भी, अनजान हो सकता है?

हां जी बिल्कुल होता है
आप डेली मेल नाम की वेबसाइट के द्वारा की गई इस ख़बर को देखकर, आसानी से अंदाजा लगा सकते है ?

(ख़बर को विस्तार से पढ़ने के लिए,आप लिंक पर जा सकते है)
https://www.dailymail.co.uk/news/article-6095075/Clueless-couple-struggled-pregnant-told-doctor-having-anal-sex.html

उपर दी गई ख़बर सेक्सुअल अज्ञानता का सिर्फ, एक उदाहरण है

मैं खराब पोर्न के, सपोर्ट में नहीं हूं, लेकिन मै सही पोर्न के विरोध में भी नहीं हूं।

क्या आप जानते है, आपसे पहले की पीढ़ी ने, पोर्न जैसा “सेक्स संबंधी मार्गदर्शन” (sexual- guidence)नहीं मिलने के कारण
कितनी घाटियां सेक्स लाइफ को जिया है।

इस घटिया सेक्स लाइफ में, पुरुषों पर तो शायद कोई ज्यादा प्रभाव पड़ा हो, पर महिलाओं की एक बड़ी आबादी ने, एक लंबा समय बिना ऑर्गेज्म फिलिंग के बिताया है।

आपको याद है ना ?
बेंगलुरु साउथ सीट से बीजेपी सांसद, तेजस्वी सूर्या के द्वारा तारिक फतेह का हवाला देते हुए किया गया ये ट्वीट।

जिसमे वो 95 % अरबी महिलाओं के,100 सालों से भी ज्यादा समय से, सेक्स के दौरान, ऑर्गेज्म को, प्राप्त नहीं कर पाने की बात कह रहे है।

P h o t o by Google

इस ट्वीट में सूर्या ने, कहीं भी पोर्न के अभाव में ऑर्गेज्म को, प्राप्त न कर पाने की बात नहीं की है।

लेकिन किसी महिला का, ऑर्गेज्म तक ना पहुंच पाना, उस महिला के पुरुष साथी, की सेक्स संबंधी अज्ञानता को ही तो, दर्शाता है।

अगर महिलाओं की सेक्सुअलिटी (sexuality) को समाज के सामने, खुले रूप में रखने का काम यदि कोई कर सकता है, तो वो सिर्फ पोर्न है।

सेक्स को समझाने का, सही काम, प्राचीन समय से भारत में खजुराहो के मंदिर के द्वारा भी तो किया जा रहा है

 

Photo by Google

बस पोर्न इसी खजुराहो, मॉडल का अपडेटेड और एडवांस्ड फॉर्मूला है।

और अंत में मै यही, दोहराना चाहूंगा कि,
पोर्न,कभी रेप के लिए जिम्मेदार नहीं है
बल्कि खराब पोर्न, रेप के लिए, जिम्मेदार हैं।

 (3) • प्री-मैरिड सेक्स को, सामाजिक
मान्यता देकर

photo via internet)

जैसा कि सेक्स प्रत्येक व्यक्ति,की शारीरिक जरूरत होती है।
भारत में प्राचीन समय में, बाल विवाह की प्रथा रहने के कारण, ये सेक्स संबंधी शारीरिक आवश्यकता, समय के साथ या समय से पूर्व ही, प्राप्त हो जाती थी।

जिसको,पुराने समय में, रेप जैसे , अपराध में कमी होने का, मुख्य कारण माना जा सकता है।

मैं इस बात के माध्यम से, बाल विवाह का बिल्कुल समर्थन नहीं कर रहा हूं,

लेकिन बाल विवाह को, प्राचीन समय में, कम बलात्कार की घटनाओं का, कारण माने जाने में, मुझे कोई गुरेज नहीं है।

भारत सरकार के, द्वारा वर्तमान समय में वाल विवाह को, अन्य देशों की तरह प्रतिबंधित किया जा चुका है।

जिसके कारण लोगो, का विवाह , शरीर में सेक्सुअल हार्मोन्स के सक्रिय हो, जाने के सालों वाद होता है।

जिसके कारण, महिलाओं के प्रति, यौन शौषण के, अपराध में, वृद्धि हुई है।

मैं वाल- विवाह के समर्थन में, बिल्कुल नहीं हूं।

वाल-विवाह बच्चों के लिए, किसी सजा से कम नहीं है।

अन्य देशों में भी, बाल विवाह को , प्रतिबंधित किया जा चुका है,

परन्तु वहां के समाज ने, प्री मैरिड सेक्स को अपना लिया है।

भारतीय, समाज को भी, प्री मैरिड सेक्स को अपना लेना चाहिए।

क्योंकि
किसी व्यक्ति के शरीर में, हार्मोन्स के एक्टिव होने का , एक निश्चित समय होता है।
जिसको आप किसी कानून के, साथ बदल नहीं सकते।

जब आपने अपने समाज में, दूसरे देशों की तर्ज पर, करियर, पढ़ाई और कानून के, नाम पर, विवाह की ओसतन आयु को, लगभग तीस वर्ष कर दिया है।
लेकिन आपने अपने देश में, प्री मैरिड सेक्स को , आज भी, एक पाप की तरह ही स्टैब्लिश कर रखा है।

जिस तरह आप जापान के ट्रैफिक सिस्टम पर, इंडिया का ट्रैफिक नहीं चला सकते

उसी तरह, बाल विवाह से मुक्त, नए समाज में, आप सिर्फ शादी के बाद सेक्स जैसे पुराने विचार नहीं चला सकते।

यदि आपको, दूसरे देशों की तरह, अच्छे स्वास्थ्य, और अच्छे करियर के लिए, बाल विवाह को, प्रतिबंधित करना
है तो, आपको
प्री मैरिड सेक्स को, किसी पाप की तरह नहीं, बल्कि प्री मैरिड मैरिड सेक्स को भी, नॉर्मल सेक्स की, तरह ही मान्यता देनी पड़ेगी।

समाज के द्वारा प्री मैरिड सेक्स पर, गैर कानूनी प्रतिबंध के कारण
आज लड़के अपने रूम, हस्थ-मैथुन कर रहे है
और लड़कियां अपने रूम में, हस्थ – मैथुन कर रही है।

इसे सेक्सुअलिटी के एक भयंकर लॉस, की तरह देखा जा सकता है।

आज आप सिर्फ चार लडको के द्वारा, किसी लड़की के बलात्कार की ख़बरें सुनते है।

और यदि समाज प्री-मैरिड सेक्स के प्रति अपना नजरिया नहीं बदलेगा,तो बो दिन दूर नहीं है जब आप
चार लड़कियों के, द्वारा किसी लड़के के रेप की खबर सुनेगें।

 

(4) • सेक्स वर्कर्स को, सम्मान देकर

भारत की 2011 की जनगणना के, अनुसार भारत का लिंग अनुपात बहुत ज्यादा, असंतुलित है।

जिससे हम समझ सकते है, कि इस असंतुलित लिंग अनुपात में, प्रत्येक व्यक्ति के, सेक्स रूपी शारीरिक जरूरत की, पूर्ति होना बहुत असंभव है,

लेकिन इस समस्या से, सुलझने के लिए, समाज में सेक्स वर्कर, का कॉन्सेप्ट , प्राचीन समय से ही प्रचलित रहा है।

लेकिन, समाज द्वारा, प्राचीन समय से ही, सेक्स वर्कर को, बाकी प्रोफेसन की तरह, सम्मान की बहुत कमी रही है।

बल्कि सेक्स वर्कर को, नैतिक और सामाजिक अपराधी की, तरह देखा जाता रहा है।

जो कि बहुत गलत है।

क्योंकि, सिर्फ़ सेक्स वर्कर ही, एक ऐसा समाधान है जो
असंतुलित लिंग अनुपात और, प्रत्येक व्यक्ति के सेक्स रूपी, शारीरिक आवश्यकता के बीच एक संतुलन बनाए रख सकता है।

(मै भाषीय रूप से,ज्यादा अनुभवी नहीं हूं
जिसके कारण आपको, इस लेख में, शब्दों के प्रयोग, और सेंटेंस में वाक्य दोष की, खराबी मिल सकती है)

नोट : इस लेख में इस्तेमाल सभी, चलचित्र Google से लिए गए है।

– gauravgupta3g

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