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“काश सुशांत की मौत पर रोने वाले बॉलीवुड ने उन्हें कभी अपना समझा होता”

sushant singh rajput

sushant singh rajput

बॉलीवुड एक अंधकार से भरी दुनिया है, जहां नेपोटिज़्म से अलग यदि किसी ने पनपने की कोशिश की तो उसको चुपचाप इस दुनिया से निकाल बाहर फेंक दिया जाता है। यदि वह बाहर नहीं निकला तो उसे अंदर ही अंदर घुट-घुटकर मरने के लिए मजबूर किया जाता है।

वैसे मुझे बॉलीवुड की फिल्में और अभिनेता कभी पसंद नहीं आए, ना ही मैं देखना पसंद करती हूं। इस गंदगी में कोई है भी नहीं पसंद करने के लायक। थोड़ी सच्चाई बताऊं तो मुझे बस सलमना खान पसंद हैं, वो भी सिर्फ शायद आकर्षण की वजह से।

बॉलीवुड में ना जाने कितनों ने दम तोड़े

बॉलीवुड जैसी जगह में जाने कितने लोगों ने ऐसे ही दम तोड़ा है। अफसोस यह है कि कभी इसके पीछे का सच बाहर नहीं आया। इसलिए इससे ज़्यादा फर्क भी नहीं पड़ा। सलमान की अच्छी प्रशंसक होने के नाते मैंने हर किसी के सामने उनकी गलतियों और खामियों को छुपाने की ही कोशिश की है।

लेकिन सुशांत की मौत ने दिल और दिमाग को अंदर तक हिलाकर रख दिया है। उसका वह हंसता हुआ और मौत के बाद का एकदम शांत चेहरा आखों के सामने से ओझल ही नहीं हो पाया।

सुशांत जैसे कलाकार को बाहरी समझना अन्याय क्यों नहीं है?

सुशांत को बॉलीवुड की फैमिली से बाहर का समझना, पार्टीज़ में ना बुलाना, उसको प्रोडक्शन से ब्लॉक कर देना क्या न्यायसंगत है?

उसको मुश्किल वक्त में अकेले छोड़ देना फिर अब उसके मरने पर नाटक करना! वाह गज़ब के कलाकार हैं आप बॉलीवुड के अंदर वालों। सच तो यह है कि सुशांत इन सबसे कहीं आगे था।

बॉलीवुड अपने परिवार में जगह नहीं देते- सुशांत

सुशांत सिंह राजपूत। फोटो साभार- Getty Images

सुशांत पहले भी इंटरव्यू में कह चुके थे कि उनको बॉलीवुड अपने परिवार में जगह नहीं देता है।‌ यहां तक कि उनको पार्टीज़ में भी नहीं बुलाया जाता है। इतना ही नहीं, बल्कि शुरुआती दौर में सुशांत के साथ कोई भी एक्ट्रेस काम तक करना नहीं चाहती थी। इसके पीछे की वजह यह थी कि वो किसी फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं आते थे।

सही‌ बात है वो किसी फिल्म के हीरो के भाई नहीं थे, किसी डायरेक्टर या प्रोड्यूसर के बेटे नहीं थे। वो थे तो अपने दम पर सबको टक्कर देने वाले और अकेले अपने दम पर अपने अभिनय से काम हासिल करने वाले लेकिन यह ज़्यादा हो ना सका। उस हंसते हुए चहरे को इस गंदगी भरी दुनिया ने जीते-जी मुर्दा बना दिया था।

जब उन्हें सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी अपने दोस्तों की तो वो अकेले रहे। जो आज उनके लिए संवेदना भरे ट्विट्स कर रहे हैं, वे असल में उनके हत्यारे ही हैं।

आज मैं इस बात को एकदम सच मानती हूं कि बॉलीवुड की इस गंदी दुनिया में रहने वाले, अच्छे मुखौटी चेहरे लगाने वाले फिल्मों की तरह ही असल ज़िन्दगी में भी अपनी झूठी शान के साथ जीना पसंद करते हैं।

ऐसे में अगर उनसे आगे कोई निकलने की कोशिश करता है, तो वे उसकी मौत का इंतज़ार करते हैं फिर उस पर झूठी संवेदना दिखाते हैं। यही वजह है कि मुझे इन झूठे लोगों से और इनकी इस झूठी गंदी दुनिया से नफरत है और हमेशा रहेगी।

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