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“खालीपन और अधूरापन कब डिप्रेशन में बदल गया पता ही नहीं चला”

हर रात उस लाल रंग की दीवार के सहारे लगकर मैं छत को निहारती रहती हूं। शायद वह छत भी कहना चाहती है कि
डर लगता है मुझे अकेलेपन से! मैं उस अकेले कमरे में कभी फर्श पर होती हूं तो कभी अपनी सोच के सहारे अर्श पर।

सुबह से दिनभर चेहरे पर एक नकली हंसी लिए चलना पड़ता है। सब कहते हैं कि तुम्हें क्या परेशानी है? सब तो है तुम्हारे पास! तुम ज़्यादा सोचती हो और उम्मीद रखती हो।

क्या वे ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि मैं एक लड़की हूं और कई लड़के भी मेरे मित्र हैं? बचपन से ही यह कह दिया जाता है कि लड़कों के पास जाकर अपनी बातें बताओगी तो वे तुम्हरा फायदा उठाएंगे।

आजकल की इस दौड़-भाग वाली दिनचर्या में हमारी ज़िन्दगी में नाम मात्र के बहुत लोग हैं, जिनसे हम संपर्क में रहते हैं मगर असल में कोई नहीं है जिसे अपनी बात बताई जा सके। आपके दोस्तों को लगता है कि आप खुश हैं लेकिन हर रात अपने कमरे को बंद करके जब आप रो रहे होते हैं, तो वहां कोई नहीं होता कमरे में!

आप कितनी ही रातों तक खुद को दुःख पहुंचाते हैं। क्या यह सब इसलिए कि आप आप लड़की हो? या फिर लोग आप पर हंसकर आपको जज करने लगेंगे इसलिए खुद को दुख पहुंचाते हैं?

डिप्रेशन में लोग बाहर से हमेशा खुश लगते हैं, क्योंकि वे अपने से पहले दूसरों की खुशियों को जानना-समझना चाहते हैं। कभी यदि उन्हें उन जैसा कोई दिखता है, तो वे उसे उसी तरह संभालते हैं जैसा वे खुद चाहते हैं लेकिन इस बीच कहीं ना कहीं वे और अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं।

यहां तक कि कई दफा अपनी ज़िंदगी खत्म करने की सोचते हैं। वे कभी यह ज़ाहिर ही नहीं कर पाते हैं कि वे क्या सोच रहे हैं? आप ऐसे लोगों से घिरे हो जो या तो आपकी उम्र से ज़्यादा बड़े हैं या फिर आपकी उम्र से छोटे हैं। ऐसे में उनके सामने कम्फर्टेबल होना मुश्किल हो जाता है।

खालीपन और अधूरापन आपको सोच के किस गहरे समंदर में डुबो देता है, यह पता ही नहीं चलता है। यह कब डिप्रेशन में बदल जाता है, बिल्कुल भी पता नहीं चलता है। इसलिए अवसाद से ग्रसित लोग बाहर से खुश दिखते हैं।

वे खुद नहीं जानते हैं कि उनके साथ हो क्या रहा है। आप जब भी बात करते हैं तो आपकी ज़ुबान में मरने के ख्याल आते हैं। लोग आपसे दूर हो जाते हैं या आप खुद दूरी बना देते हैं।

कोई कभी यह जान ही नहीं पाता है कि आप क्या सोच रहे हैं या आप क्या चाहते थे? क्योंकि शायद किसी के पास इतना वक्त ही नहीं था कि वे आपको सुनें। हां, आपके मरने के बाद वे यह ज़रूर कहेंगे कि काश मुझे बता देती कि क्या हुआ था।

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