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सीनियर IAS अफसर विनी महाजन बनीं पंजाब की पहली महिला मुख्य सचिव

महिलाओं के संदर्भ में अच्छी खबरें आती हैं, तो पितृसत्ता के पोषकों की भौहें तन जाती हैं। इस बार पंजाब से आई एक अच्छी खबर ने कुछ ऐसा ही किया है। जी हां, पंजाब कैडर की 1987 बैच की आईएएस अधिकारी विनी महाजन पंजाब की पहली महिला चीफ सेक्रेटरी चुनी गई हैं।

विनी महाजन के पति दिनकर गुप्ता पंजाब के डीजीपी हैं। विनी ने दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से मूल शिक्षा लेने के बाद लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में स्नातक की डिग्री हासिल की।

कोविड-19 के संकट नियंत्रण में अहम भूमिका

विनी महाजन। फोटो साभार- सोशल मीडिया

दिल्ली यूनिवर्सिटी की तरफ से उन्हें रेक्टर्स प्राइज़ से नवाज़ा जा चुका है। आईआईएम कोलकाता ने उन्हें रोल ऑफ ऑनर से भी सम्मानित किया है।

इनके पिता को मैन ऑफ इंटेग्रिटी के नाम से जाना जाता था। विनी महाजन भारत सरकार की सेवा में सचिव का पद संभालने वाली पंजाब कैडर की एकमात्र अधिकारी हैं।

वो पंजाब में निवेश प्रोत्‍साहन, उद्योग एंव वाणिज्‍य, आईटी, प्रशासनिक सुधार और जन सुनवाई जैसे विभागों की मुख्‍य सचिव रही हैं।

उन्‍होंने ‘Health Sector Response & Procurement Committee’ की चेयरमैन के तौर पर कोविड-19 के संकट के नियंत्रण में अहम भूमिका निभाई है।

पंजाब में महिला साक्षरता दर पुरुषों के मुकाबले कम

भारत में आज भी शिक्षा को एक महत्वपूर्ण आयाम नहीं माना जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालात और भी बदतर हैं। यही कारण है कि भारतीय लोगों में शिक्षा के अभाव को देखा जा सकता है।

इस बात की सबसे विचारशील स्थिति महिलाओं के साथ है। यदि महिलाओं और पुरुषों की शिक्षा पर गौर की जाए तो  महिलाओं की स्थिति अधिक दयनीय निकलकर सामने आएगी।

पंजाब में शिक्षा के आंकड़ों को देखने पर पाएंगे कि शिक्षित पुरुष 80.44% हैं, जबकि शिक्षित महिलाएं 70.73% हैं। यह गहन समस्या है, जिसके विषय में लोगों को जागरुक होना ज़रूरी है।

पितृसत्ता के पोषकों की मुश्किलें तेज़

आजकल के पिता को ऐसे पिता से सीख लेनी चाहिए। देखिए, आज कैसे एक महिला ने अपना कन्धा कुछ पितृसत्ता के पुजारियों से ऊंचा कर लिया। ज़्यादातर भारतीय पुरुषों के विचार यही रहते हैं कि लड़की है तो इसको पढ़ने की क्या ज़रूरत? आज हम देख सकते हैं और गर्व से सीना ऊंचा कर सकते हैं कि विनी आज किस मुकाम पर हैं।

विनी की उपाधियों को गिनते-गिनते आपके हाथ थक सकते हैं मगर उन्होंने खुद को कामयाब बनाने के लिए अपने निश्चय को कभी थकने नहीं दिया। वो मिसाल हैं और एक ऐसा चिराग उन महिलाओं के लिए, जो कहीं ना कहीं किसी अंधेरे में अपने अस्तित्व को नज़रअंदाज़ कर रही हैं।

हमें उनकी आवाज़ बनते हुए चीख-चीखकर सबको बताना है। यह एहसास दिलाना है कि महिलाओं को कमज़ोर बनाया जाता है, वरना उनसे बलवान शायद ही इस दुनिया में कोई होगा।


संदर्भ- http://pbdisinvest.nic.in/

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