स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और इनमें पढ़ने वाले स्टूडेंट्स किसी भी देश के लिए शान होते हैं। इन्हीं छात्र स्टूडेंट्स पर किसी भी राष्ट्र का भविष्य तय होता है। यही स्टूडेंट्स आगे चलकर देश का नेतृत्व भी करते हैं।
हिंदुस्तान में भी बिल्कुल ऐसा ही होता है। भारत सरकार तमाम स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों पर लाखों-करोड़ों खर्च करती है ताकि स्टूडेंट्स का भविष्य बन सके और हिंदुस्तान भी आगे बढ़े।
पिछले कुछ सालों से देश के बड़े बड़े विश्वविद्यालय जेएनयू, बीएचयू और जामिया में पढ़ने वाले बच्चों को देशद्रोही, एंटी नैशनल, और पाकिस्तान परस्त का टैग दे दिया गया। अपने ही देश के स्टूडेंट्स को किसी और देश का एजेंट बता दिया गया।
NIRF रैंकिंग जारी हुई
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गुरुवार को भारतीय शैक्षणिक संस्थानों की एनआईआरएफ रैंकिंग 2020 जारी की गई। ओवरऑल कैटेगरी में आईआईटी मद्रास पहले और बेंगलुरु का IISC दूसरे स्थान पर रहा।
जबकि विश्वविद्यालयों की कैटेगरी में आईआईएससी बेंगलुरु टॉप पर रहा। जेएनयू, बीएचयू और जामिया देश के टॉप 10 बेस्ट विश्वविद्यालयों में शामिल रहें।
जेएनयू और जामिया का होना खास है
जेएनयू और जामिया दोनों दिल्ली में ही हैं। जेएनयू से जामिया मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर है। दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ जमकर प्रोटेस्ट शुरू हुआ, जिसमें हज़ारों स्टूडेंट्स ने भाग लिया।
प्रोटेस्ट करने वालों स्टूडेंट्स की मांग थी कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को वापस लिया जाए। 15 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भारी बवाल और जमकर तोड़फोड़ हुई। जिसमें कई स्टूडेंट्स घायल हो गए।
जामिया की पुस्तकालय तक को नहीं छोड़ा गया। जामिया की तरफ से कहा गया कि दिल्ली पुलिस ने पुस्तकालय को तहस-नहस किया है। बाद में CCTV के ज़रिये ऐसे बहुत से वीडियोज़ सामने आए, जिनमें दिल्ली पुलिस को तोड़फोड़ करते देखा गया।
नवम्बर 2019 में जेएनयू में फी हाइक के खिलाफ शुरू हुआ प्रोटेस्ट
स्टूडेंट्स फी बढ़ने के खिलाफ थे। स्टूडेंट्स ने राष्ट्रपति भवन जाने के लिए मार्च शुरू किया लेकिन दिल्ली पुलिस उन्हें जाने से रोकने के लिए कोशिश में लग गई।
लाठी चार्ज हुई जिसमें हज़ारों स्टूडेंट्स घायल हो गए। जामिया के बाद जेएनयू में भी नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रोटेस्ट हुआ।
टॉप टेन में आने वाले JNU व जामिया के स्टूडेंट्स को देशद्रोही बताया गया
देश के दो बड़े विश्वविद्यालयों में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ जमकर प्रोटेस्ट होने के बाद, CAA का समर्थन करने वालों ने जामिया और जेएनयू के स्टूडेंट्स को गद्दार और देशद्रोही बता दिया। यही नहीं, इनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग कर दी।
साथ ही साथ जेएनयू और जामिया को बंद करने तक की बात कर दी। किसी ने इन स्टूडेंट्स को पाकिस्तानी कहा, किसी ने आतंकवादी कहा तो किसी ने एंटी नैशनल तक कहा दिया। हद तो तब हो गई जब कुछ सरकार में बैठे लोगों ने कहा कि ये स्टूडेंट्स देश के टैक्स का पैसा बर्बाद कर रहे हैं।
आज उसी सरकार के केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जेएनयू और जामिया को भारत की टॉप 10 बेस्ट यूनिवर्सिटीज़ में रखा है। सरकार की ओर से यह उन लोगों के लिए झटका है, जो जामिया और जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज़ को बंद करने की बात करते आ रहे हैं।
बहरहाल, यह उन लोगों की जीत है जो एंटी नैशनल का टैग मिलने के बावजूद अपनी यूनिवर्सिटी का नाम ऊंचा करने में लगे हुए हैं। यह उन लोगों की हार है, जो इसे देशद्रोहियों की यूनिवर्सिटी बताते थे।