विवादित नक्शे से जुड़ा सीमा विवाद अभी खत्म भी नहीं हुआ कि नेपाल अब भारत के मरम्मत कार्य में अड़ंगा लगा रहा है। इतिहास में ऐसा पहली बार ऐसा हो रहा है जब नेपाल भारत को मरम्मत कार्य करने से रोक रहा है।
नेपाल पूर्वी चंपारण ज़िले के लाल बकिया नदी पर मरम्मत कार्य करने की अनुमति नहीं दे रहा है। इतना ही नहीं, मधुबनी ज़िले के कमला नदी पर भी नेपाल मरम्मत करने नहीं दे रहा है।
आमतौर पर हर साल मॉनसून आने से पहले बिहार सरकार अति संवेदनशील और बाढ़ ग्रस्त इलाकों में मरम्मत कार्य करती है, जिस पर नेपाल में कभी कोई आपत्ति दर्ज़ नहीं कराई है।
नेपाल के नकारात्मक रवैये से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है
बिहार नेपाल से करीब 700 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। बीते कुछ महीनों से नेपाल अपने नए विवादित नक्शे से भारत के साथ तनावपूर्ण रिश्ते बना चुका है। कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के साथ बिहार में मॉनसून की शुरुआत हो गई है जिससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होने की आशंका बनी है।
इन नदियों के अलावा दूसरी घटना गंडक बराज से जुड़ी है। इस बराज पर कुल 36 गेट जिनमें से 18 नेपाल की तरफ से खुलती है, जिस पर नेपाल ने बैरियर लगा रखा है।
अगर ऐसे ही नेपाल द्वारा गंडक बराज की गेट नहीं खोली गई तो आसपास के गाँवों में बाढ़ आ सकती है। इससे पूर्वी चंपारण और आसपास के ज़िलों पर सबसे ज़्यादा खतरा बना रहेगा।
नेपाल सीमा से सटी नदियों को लेकर जारी की जा चुकी है चेतावनी
इधर गंडक और बागमती जैसी नदियों में लगातार जलस्तर बढ़ रहा है। इसको लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने बिहार को चेतावनी दी है और किसी गंभीर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है।
मामला इतना गंभीर है कि खुद बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा कह रहे हैं कि उन्होंने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा और इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।
समूचे भारत में बिहार इकलौता राज्य है, जहां पर सबसे ज़्यादा बाढ़ की आशंका बनी रहती है। बिहार की तकरीबन 73% आबादी इससे प्रभावित रहती हैं। 38 में से 30 ज़िले ऐसे हैं, जिनमें बाढ़ की स्थिति कभी भी उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में नेपाल का यह कदम कई लाख लोगों को बेघर कर देगा।
बाढ़ ने बिहार के लोगों को कई बार किया है बेघर
बिहार में बाढ़ ने कई बार लाखों लोगों को बेघर किया है। साल 2008 में कोसी नदी में आई बाढ़ ने जमकर तबाही मचाई थी। बिहार सरकार और विश्व बैंक की साझी रिपोर्ट के मुताबिक, इस बाढ़ में करीब 33 लाख लोग बुरी तरह प्रभावित हुए थे।
493 से अधिक लोगों की मौतें हुईं, 3500 से अधिक लोग लापता हुए। बिहार के 5 ज़िलों के कुल 412 पंचायत और 993 गांव इस भीषण बाढ़ की चपेट में आए। इस बाढ़ ने किसानों के कई लाख हेक्टेयर फसल को बर्बाद कर दिया।
इसके अलावा कई हज़ार किलोमीटर की सड़कों को तहस-नहस कर दिया। अभी तक ये इलाके बाढ़ से पूरी तरह उबर नही पाए हैं, कई स्थानों पर अब भी निर्माण कार्य जारी है।
ऐसे में किसी तरह की आपदा से निपटने के लिए बिहार सरकार को निर्माण कार्य करने की पूरी छूट मिलनी चाहिए। मॉनसून के तेज़ होने से पहले नेपाल से बातचीत कर संवेदनशील इलाकों में मरम्मत पूरा करना चाहिए।
संदर्भ- नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण