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“पापा, आप अपनी अगली पीढ़ियों के लिए इतने ही आज़ाद ख्याल बने रहना”

पिता एक ऐसा शब्द है जिसके बोलने में चाहे कितना भी खुरदुरापन रहा हो लेकिन मन में एक तरावट हमेशा बनी रहती है। हमने अपने मन में पिता की एक ऐसी छवि गढ़ ली है जिससे पिता सुनकर ही लगता है, जैसे एक सख्त लहजे में लिपटा प्रेम का कोई लिहाफ हो।

मैंने अपने पिता को हमेशा मुस्कुराता हुआ ही पाया, मैं नहीं जानती लोग कैसे अपने पिता से कुछ कहते, सुनते, उन्हें गले लगाते, उनके कांधें पर सर टिकाते हुए झिझक सकते हैं। मैं ऐसे कितने ही मित्रों, परिचितों को जानती हूं जो अपने पिता की मौजूदगी में सहज नहीं रह पाते, बेशक वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं लेकिन उन्होंने कभी एक-दूसरे से बैठकर दो बातें तक नहीं की हैं।

लेकिन मेरे पिता ने हम भाई-बहनों को तितलियों की तरह उड़ना, उनमें सपनों के खूबसूरत रंग भरना दोनों ही बखूबी सिखाया है। काश हर पिता अपने बच्चों को इतना मज़बूत बना पाए, खासकर अपनी बेटियों को जिससे उन्हें अपने सपनों, अपनी सहज भावनाओं के टकराव में अपनी ही खुशियों का गला ना घोंटना पड़ जाए।

प्रतीकात्मक तस्वीर

मैं अपने पिता से क्या कहना चाहती हूं.? शायद कुछ भी नहीं! क्योंकि पापा ने कभी मुझे कुछ कहने से रोका ही नहीं, बल्कि मुझे कुछ भी बोलने, अपने हक के लिए हर किसी से झगड़ पड़ने तक की आज़ादी दी है। मेरे हज़ार सवालों के जबाब दिए हैं।

इसके बावजूद मैं कुछ कहना चाहती हूं, पापा आप ज़माने की फिक्र कभी ना करना, आप ऐसे ही रहना इतने ही खुशदिल और अपनी अगली पीढ़ियों के लिए इतने ही आज़ाद ख्याल बने रहना। मैं नहीं जानती लोग हमें (आपके बच्चों)  यूं , बेखौफ और थोड़ा बेफिक्र देखकर क्या सोचते हैं। हमें लेकर आपको, ज़माने को क्या कहते हैं?

लेकिन मैं ऐसे बहुत सारे लोगों को बखूबी जानती हूं जो मुझसे यह कहते नहीं थकते। वाह! काश हमारे पापा भी तुम्हारे पापा की तरह होते ही होते, जो हमारे गिरने, सम्भलने, फड़फड़ाने पर कभी एतराज़ नहीं करते। पापा बेशक यह हो सकता है कि हम उतने अच्छे बच्चे नहीं हों जितना होना चाहिए था लेकिन आप उतने ही अच्छे पिता हैं जितने अच्छे पिता की हर बच्चे को ज़रूरत होती है।

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