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रक्तांचल: 80 के दशक के शराब और खनन माफियाओं की रंज़िश की कहानी

Raktanchal Review

Raktanchal Review

कास्ट– क्रांति प्रकाश झा, निकितिन धीर, रोंजिनी चक्रवर्ती, दया शंकर पांडे, विक्रम कोचर, कृष्णा बिष्ट, रवि खानविलकर

निर्देशक-रिमल श्रीवास्तव

लेखक– सर्वेश उपाध्याय, शशांक राही

मूवी टाइप– एक्शन, क्राइम

वेब चैनल– MX प्लेयर

रेटिंग– 3/5

रिलीज़ की तारीख– 28, मई, 2020


रक्तांचल वेब सीरीज़ का पोस्टर। फोटो साभार- सोशल मीडिया

आप पूर्वांचली हैं और पूर्वांचल के गैंगवॉर को नहीं जानें तो क्या जानें? आज कल रियल बेस्ड क्राइम सीरीज़ को काफी पसंद किया जा रहा है जिसे देखते हुए एमएक्स प्लेयर अपने दर्शकों के लिए “रक्तांचल” का पहला सीज़न लेकर आया है।

रक्तांचल, जो कि सच्ची घटनाओं पर आधारित शो है जिसकी कहानी उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल में 80 के दशक की है। जब माफियाओं का राज हुआ करता था तब खून-खराबा होना कुछ आम बात थी। तो क्या है पूरी कहानी यह भी जान लेते हैं।

कहानी की शुरुआत 1984 से होती है जिसमें आप सीधे पहुंचते हैं आबकारी विभाग। जहां शराब के टेंडर का आवंटन होता दिखाया जा रहा है।

कई ठेकेदार विभाग के अधिकारी का इंतज़ार कर रहे होते हैं कि शायद उन्हें इस बार का टेंडर मिल ही जाए लेकिन उससे पहले ही वसीम खान यानी कि कहानी के विलेन के कुछ आदमी आते हैं।

अधिकारियों के मुंह पर पैसा मारते हैं और टेंडर ले लेते हैं। इतने में ही विजय सिंह (क्रांति प्रकाश झा) आकर गुंडों पर गोलीबारी करते हैं और टेंडर ज़बरदस्ती ले लेते हैं।

कहानी में कुछ खास दम नहीं दिखा

क्रांति प्रकाश झा और निकितिन धीर।

कहानी का पहला सीन भले ही आपको दमदार लगे लेकिन कहानी में कुछ खास दम दिखा नहीं है। वह इसलिए क्योंकि कहानी वही घिसी-पिटी बदले की आग वाली घटना पर आधारित है। कहानी में “बाप का… भाई का.. सबका बदला लेगा तेरा फैज़ल” वाली बात नहीं है।

अगर बैकग्राउंड में जाएं तो असल कहानी तब शुरू होती है जब विजय सिंह कलेक्टर बनना चाहते हैं और वसीम खान जिन्हें 80 के दशक का माफिया दिखाया गया है, उनके गुंडे विजय के पिता की हत्या कर देते हैं।

इसके बाद विजय एक-एककर वसीम और उनके साथियों को मारना शुरू कर देते हैं। दिलचस्प बात यह है कि विजय सिंह, वसीम खान से ज़्यादा ताकतवर बनकर सभी माफियाओं को खत्म करने की सोचते हैं लेकिन विजय सिंह के आदमी कम हैं, जो वसीम खान के गुंडों का सामना कर सकें फिर भी विजय सिंह खुद सबको मारते हैं।

सनकी का किरदार जान डालता है

सनकी के किरदार में विक्रम कोचर।

कहानी में वसीम और विजय के अलावा और भी कुछ किरदार हैं। जैसे- भ्रष्ट नेता पुजारी सिंह और साहेब सिंह जो अपनी गद्दी के लिए कुछ भी कर सकते हैं। यदि मैं अपनी बात करूं तो मुझे विक्रम कोचर का कैरेक्टर “सनकी” काफी पंसद आया।

उन्होंने अपने किरदार को भरपूर तरीके से जीया है। सीरीज़ में वो निडर और रोमांटिक भी दिखे लेकिन अंत में दिल टूटते ही ढाएं-ढाएं गोलियां बरसाने लगे।

सीरीज़ के अंत की बात

अंत की बात करें तो वसीम खान, सनकी और विजय सिंह के भाई, चाचा, सीमा और कट्टा ही बचते हैं। कहानी का अंत जिस तरह होता है उससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अगले सीज़न में शायद विजय सिंह की लव-स्टोरी भी दिखाई जाए।

कुछ दिलचस्प बातें

कमज़ोर कड़ियां

क्या रक्तांचल देखनी चाहिए?

अगर आप एक्शन और क्राइम में दिलचस्पी रखते हैं, तो ज़रूर देखनी चाहिए। क्रांति प्रकाश और विक्रम कोचर का किरदार आपको पसंद आएगा। वहीं, अगर आप कुछ नई कहानी देखना चाहते हैं, तो शायद आप मेरी तरह संतुष्ट ना हों।

कहानी का अगला सीज़न आना तो तभी संभव हो गया था जब अंत में गोली लगने के बाद विजय सिंह नदी में बहकर वहां पहुंच जाते हैं, जहां उन पर उनकी प्रेमिका की नज़र पड़ती है।

वो उन्हें बेहोशी की हालत में देखती है। अब विजय सिंह बेहोश थे या मर चुके थे, यह तो अगले सीज़न में ही पता चलेगा और तब तक इंतज़ार करना ज़रूरी है।

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