हेलो फ्रेंड्स मै तनूजा कुमावत हूँ | एक ऐसा अनुभव एकदम अंजाना था मैं पीरियड समझती नहीं थी| कभी उसका नाम तक नहीं सुना था जब मुझे पहली बार पीरियड आए तुम्हें डर गई थी यह क्या हो रहा है क्यों हो रहा है मेरे जैसे क्या यह सभी लड़कियों के साथ होता है फिर मुझे अपनी एसएम दीदी कि वह बातें याद आई जो उसने हमारी कक्षा में बताइ| मैंने अपनी मम्मी को कहा तो मम्मी ने कहा इसमें डरने की कोई बात नहीं है और मम्मी ने कहा कि पेड़ लगा लो हां यह जरूर ध्यान रखना तुम्हें मंदिर में नहीं जाना है अचार और रसोईघर पानी का मटका हाथ से नहीं लगाना है मेरे मन में ख्याल आया कि मम्मी ऐसा क्यों बोल रही है आचार तो किसी भी वजह से खराब हो सकता है मसालों की वजह से भी जैसा दीदी ने बताया था ऐसी अनेक धारणाओं के कारण आज हमारे समाज में औरतों को नुकसान पहुंचाया जाता है और वह घुट घुट के अपनी जिंदगी जीती है मैं अपने स्कूल में पीरियड को कैसे मैनेज करती हूं यह सिर्फ मैं ही जानती हूं बार-बार डर लगा रहता है कि कहीं कपड़ों पर दाग नहीं लग जाए जब लोग डाउन लगा तो सारी दुकानें बंद थी कहीं पर सामान नहीं मिल रहे थे जहां मिल रहे थे वह बहुत महंगे थे बड़ी मुश्किल से हमने पेड़ का इंतजाम किया लेकिन यह जरूर सीख मिली कि हमें अपनी जरूरत की चीजों को घर में रखना जरूरी है ताकि हमें जरूरत होने पर इसका उपयोग किया जा सके|