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दिल्ली के एम्स में तकरीबन 480 कोरोना वॉरियर्स पाए गए पॉजिटिव

देश में 23 मार्च से लॉकडाउन लागू है और बीते एक जून से ही इसे चरणबद्ध तरीके से खोला जा रहा है। देश कोरोना वायरस के तीसरे चरण यानी कम्युनिटी स्प्रेड में ना पहुंच जाए इसलिए लॉकडाउन लगाया गया था।

इस बीच देश में कोरोना के मामले तकरीबन 2 लाख के पार हो चुके हैं और केंद्र से लेकर राज्य सरकारें सब इससे निपटने की ज़द्दोज़हद में लगे हुए हैं। कोरोना की मार इस वक्त अगर कोई सबसे ज़्यादा झेल रहा है तो वे हमारे देश के डॉक्टर्स, पुलिस वाले और सैनीटाईजेशन स्टाफ आदि हैं जिन्हें हम कोरोना वॉरियर्स कहते हैं।

दिल्ली एम्स का हाल फोटो साभार: गेटी इमेजेज

क्या वॉरियर्स कहने भर से हो जाएगा काम?

इन कोरोना वॉरियर्स की हिमम्मत बढ़ाने और इनके काम की सराहना करने के लिए देश के प्रधानमंत्री कभी देश की जनता से थाली या ताली बजाने को कहते हैं, तो कभी दीयें जलाने को कहते हैं। इनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए नए-नए कानून तक बना दिए जाते हैं लेकिन क्या सिर्फ ताली बजाना, दीयें जलाना और इन पर हमला करने वालों पर एन.एस.ए लगा देना ही काफी है?

देश में कोरोना के दो लाख मामलों में कुछ गिनती इन वॉरियर्स की भी है। महाराष्ट्र इस वक्त कोरोना की मार सबसे ज़्यादा झेल रहा है और इसी के साथ राज्य की पुलिस भी इस वायरस की चपेट में आ चुकी है। महाराष्ट्र में तकरीबन 1500 पुलिस वाले कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं और यह संख्या लगातार बढ़ भी रही है।

महाराष्ट्र पुलिस है कोरोना के चपेट में फोटो साभार: गेटी इमेजेज

बिगड़ते जा रहे हैं एम्स के हालात

वहीं दिल्ली का एम्स हॉस्पिटल तो जैसे कोरोना वॉरियर्स का हॉट-स्पॉट बन चुका है। दिल्ली के एम्स में तकरीबन 480 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें से 19 डॉक्टर और 38 नर्स हैं। इन 19 डॉक्टरों में भी 2 डॉक्टर फैक्लटी मेंबर हैं और बाकी के 17 रेजिडेंट डॉक्टर्स हैं। इनके अलावा 74 सिक्योरिटी स्टाफ, 75 हॉस्पिटल अटेंडेंट्स, 54 सैनिटेशन स्टाफ, 14 लेबोरेटरी और ओ.टी स्टाफ भी इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं।

एम्स में अब तक कुल तीन कोरोना वॉरियर्स की इस वायरस के कारण मौत भी हो चुकी है। सिर्फ दिल्ली का एम्स ही नहीं बल्कि अप्रैल में हिंदू राव, बाबू जगजीवन, राम मैमोरियल और दिल्ली कैंसर इंस्टीट्यूट जैसे अस्पतालों के स्टाफ भी इस वायरस की चपेट में आ चुके थे।

एम्स में वॉरियर्स की इस हालत के कारण वहां की नर्स यूनियन काफी समय से हड़ताल पर हैं। उनकी शिकायत है कि हॉस्पिटल में कोरोना वॉरियर्स के लिए इंतेज़ामात ठीक नहीं हैं। उनका कहना है कि अथॉरिटीज़ द्वारा जो पी.पी.ई. किट्स उन्हें दी जा रही है, वह अच्छी क्वालिटी का नहीं है। वे बेहद सब-स्टैंडर्ड की हैं।

दिल्ली एम्स का हाल फोटो साभार: गेटी इमेजेज

कोरोना वारियर्स हो रहे हैं बदइंतज़ामी के शिकार

ऐसे में, जब देश के कोरोना वॉरियर्स बदइंतज़ामी की इतनी गहरी मार झेल रहे हैं तो फिर देश की आम जनता के लिए हालात ठीक कैसे माने जा सकते हैं? कैसे सरकार देश को खोलने के बारे में सोच भी पा रही है? अभी तो सरकारें कह रही हैं कि उनके पास अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में बेडों की सुविधा है लेकिन वो यह भूल रही हैं कि देश अभी तक लॉकडाउन में था और अब हालात ज़्यादा बदत्तर हो सकते हैं क्योंकि लॉकडाउन धीरे-धीरे खोला जा रहा है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी माना है कि अभी हमारे देश के पास जितने भी संसाधन और लोग काम पर लगे हैं, वह पर्याप्त नहीं है। हमें और भी अस्पतालों और लोगों की ज़रूरत है। उनकी ज़्यादा से ज़्यादा शिफ्ट्स लगाने की ज़रूरत है लेकिन यदि इन वॉरियर्स को संपूर्ण और उचित संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए तो देश में कोरोना के मामले बढ़ते ही जाएंगे।

वहीं, दूसरी तरफ हमारे कोरोना वॉरियर्स की संख्या धीरे-धीरे कम होती जाएगी। जिन्हें कोरोना से लड़ने में दूसरों की मदद करनी है, वे लोग खुद इससे लड़ रहे होंगे। ऐसे में, देश इस वायरस की सबसे खतरनाक स्थिति में पहुंच सकता है।

सैनेटाइजेशन के काम लगा कोरोना वॉरियर फोटो साभार: गेटी इमेजेज

सरकार को गंभीरता से सोचना होगा

सरकार को सोचना चाहिए कि कैसे इन वॉरियर्स को कोरोना से बचाया जाए। इन्हें सिर्फ वॉरियर्स कहना ही काफी नहीं है, बल्कि मानना भी पड़ेगा। जब सेना देश की सीमाओं पर लड़ती है तो उसके पास लड़ाई के लिए ज़रूरी सभी हथियार होते हैं।

ऐसे ही इस वक्त जो लड़ाई लड़ी जा रही है वो देश के भीतर लड़ी जा रही है और उसमें हमारे ये वॉरियर्स ही हमें जीत दिला सकते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि इन्हें भी ज़रूरत के सारे और सही मानकों वाले उचित सुरक्षा किट सरकार द्वारा मुहैय्या कराया जाए।

कोरोना वॉरियर्स फोटो साभार: गेटी इमेजेज

अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश अभी कोरोना से प्रभावित देशों की सूची में सातवें स्थान पर है लेकिन वो समय भी दूर नहीं होगा जब यह प्रथम स्थान पर पहुंच जाएगा। भारत जैसे ज़्यादा जनसंख्या वाले देश को उस स्थिति में पहुंचने के लिए बहुत ज़्यादा वक्त भी नहीं लगेगा।

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