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क्या इंसान अपनी ‘इंसानियत’ खो बैठा है?

मानव समूह क्या सही में सुसंस्कृत है। केरल की उस घटना, जिसमें एक हथिनी के विस्फोटक से भरा अनानास खाकर घायल होने से उसकी मौत हो गई, से सभी का दिल-दिमाग आहात हो गया और होगा भी क्यों नहीं?

किसी मूक पशु के साथ इस प्रकार की क्रूरता का व्यवहार आखिर क्यों किया गया?  यह मनुष्यता एवं सभ्यता के लिए अशोभनीय और निंदनीय ही है। क्या हमें  किसी पशु के साथ ऐसा क्रूर व्यवहार करने का अधिकार है?  क्या हम मानवता को खो बैठे हैं?

आए दिन होती हैं ऐसी हत्याएं

हम जिस सभ्यता और संस्कृति की दुहाईया देते हैं वह अहिंसक हैं या हिंसक हमें यह सोचना पड़ेगा। शोषण किसी भी प्रकार का हो हमें आवाज़ उठानी चाहिए। अक्सर मैंने देखा है कि भारत में प्रतिरोध के स्वर अलग-अलग होते हैं। यह इसलिए कि समाज शोषण करने वालों और शोषित तबके में बंटा हुआ है।

जो शोषक हैं वे कुछ-न-कुछ प्रीविलेग होते हैं, शोषित हमेशा से अभाव में ही होते हैं। भारत के मानव समूह में ऐसा कोई समूह ही नहीं है, बल्कि जो होता है वह किसी-ना-किसी जाति, धर्म, प्रदेश या भाषा का होता है और अंतिम में वह इंसान होता है। यहां इंसान का ही कोई मूल्य नहीं है तो पशु का क्या होगा? यह विचारणीय है। हम इंसान हैं यह हम सिद्ध नहीं कर सकते हैं। यहां आए दिन कितने ही लोगों की जाति, धर्म, प्रदेश अथवा भाषा के नाम पर हत्याएं होती है।

केरल जैसी ही घटना मुंबई में भी हुई

केरल में जो घटना घटित हुई वह नहीं होनी चाहिए थी, उस विषय में दुख होना लाज़मी है लेकिन उस घटना पर रोने वाले और उस घटना के आड़ में जाति, धर्म, प्रदेश, भाषा, पार्टी एवं संस्कृति को घुसाने वाले लोगों से सवाल है कि चार रोज़ पहले मुंबई में महक खान और आस्मा मेंहदी नामक दो गर्भवती महिलाओं को हॉस्पिटल वालों नें प्रवेश नहीं दिया।

उनको ऐसी स्थिति में अनेक हॉस्पिटलों में घूमना पड़ा, फिर भी उन्हें कहीं भर्ती नहीं किया गया। उसमें से आस्मा मेंहदी नामक गर्भवती महिला ने समय पर मेडिकल ट्रीटमेंट ना मिल पाने के कारण ऑटोरिक्शा में ही दम तोड़ दिया।

तो अब उस आस्मा और उसके पेट में जो बच्चा था उसे किस प्राणी समूह में रखा जाए जिसके न्याय के लिए आप पेटीशन्स साइन करेंगे?

मुझे यहां दोनों घटनाओं में समान शोषण दिखाता है लेकिन आज जो लोग केरल कि घटना पर राजनीति करना चाहते हैं, वे ना इंसान को अहमियत देंगे और ना ही पशुओं कों। जब तक यह शोषणपरक मानसिकता नहीं बदलेगी तबतक ना जाने कितनी हथिनी और कितनी ही आस्मा मारी जाएंगी।

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