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#My Period Story: हमेशा सवाल बना रहा माहवारी पर क्यों बात नही करने देते

मैं पूजा चौहान मेरा बचपन एक गाँव में बिता ! बचपन से ही  हमको  टीवी में केवल रामायण और महा भारत जैसे धार्मिक सीरियल देखने कि अनुमति थी कोई भी फिल्म या अन्य प्रोग्राम आने पर हमको टीवी के सामने से हटा दिया जाता  और उसके अलावा आये दिन घर और परिवार में हर बार छोटे बड़े धार्मिक अनुष्ठान होते ही रहते थे मेरी परवरिश ऐसे ही माहोल में हुई है आज भी जीवन में कई सी चीज़े है तो मुझे सोचने के लिए विचलित करती है जो धर्म, धारणा और तथ्य को लेकर मुझे सोचने के लिए मजबूर करती है   आज भी जीवन मैं कई बार मुझे क्यों …? क्या ….? और कैसे …? जैसे प्रश्न घेर लेते है जो मुझे मुद्दे की तह तक सोचने को  विवश कर ही देते है ………………

ऐसे ही कई सारे प्रश्नों में से एक है माहवारी !

मुझे आज भी याद है 16 मई का वो दिन जब मेरी क्लास 9th परीक्षा परिणाम आना था और मुझे स्कूल के लिए जाना था कई दिनों बाद मैं स्कूल जाकर अपने सभी साथी और सहेलियों से मिलने वाली थी और परीक्षा के परिणाम आने पर मुझे हर बार कि तरह  घर पर भी कुछ  स्पेशल मिलने वाला था ख़ुशी और आश्चर्य वाली इसी मनोस्थिति में जब नहाने गई तो मैने कुछ और ही दृश्य देखा जो आज से पहले मेरे लिए बिलकुल अनजान और अनसुना सा था में बहुत घबरा गई मैने तुरंत चिल्लाया और मम्मी को आने को कहा मम्मी ने मुझे कुछ अपने ही अनकहे शब्दों में चीजों को समझाया और मुझे स्कूल के लिए तेयार किया उस दिन मैं स्कूल  चली गई पर उस दिन लगा जैसे मेरी मम्मी मुझे बहुत सी बात करना चाहती थी और बहुत कुछ था जो शायद अब मुझे समझाना भी था उनको पर, उस दिन वो मुझे  चाहते हुए भी जैसे मुझे ज्यादा  कुछ नहीं कह पाई और फिर मेरे भी मन में 100 तरह के सवाल थे जो में पूछना चाहती थी पर न जाने वो क्या चीज़ थी जो मम्मी को और मुझे रोक रही थी ना ही ज्यादा कुछ मम्मी कुछ कह पा रही थी और ना ही में कुछ पूछ पा रही थी फिर स्कूल गई आज मेरी सभी सहेलीयों ने एक नई पूजा को देखा हर बार जो बहुत बात करती, खिलखिलाकर हंसती, और उछल खुद सी करती लडकी आज चुप चाप और सहमी सी थी  अपनी सहेलियों को हर छोटी बड़ी बात बताने वाली लड़की पता नहीं आज कुछ छुपा रही थी मन में बहुत सी बाते थी पर न जाने क्यों वह  चोरो कि तरह वह सहेलियों को बताना तो  दूर खुद से नहीं सामना कर पा रही थी जैसे तैसे खुद को सम्भाला और रिजल्ट कार्ड लिया और चुप चाप घर आ गई | आज घर पर भी कुछ स्पेशल नहीं मिला और ना  ही मैंने जानने कि कोशिश  की कि आज ऐसा क्या हुआ जो हर चीज़, हर एक इन्सान, घर, स्कूल  सभी बातें अचानक सब कुछ बदल सा गया या मुझे ही बदला बदला सा लग रहा था घर आई तो फिर मम्मी से सामना हुआ मम्मी ने बताया ये तेरे सोने के बिस्तर है अब 4 दिन तुझे इसी  पर सोना है, जब भी भूख लगे तो खाने के लिए रसोई घर में नही जाकर मम्मी या दीदी को बोल कर खाना यही मंगवा लू पानी पिने कि एक गिलास जमीन पर रखी ओए मम्मी ने कह दिया अब से मटकी के हाथ नहीं लगाना है न  जाने कितने ही नियम हर शाम परिवार के साथ संध्या आरती में ना जाने, सुबह 4 बजे उढ़कर नहाना, 4 दिन के पहनने के कपड़े खुद धोना, किसी के घर नही जाना छत पर नहीं जाना ना जाने कितने ही नियम बता दिए मम्मी ने पर आज से ही  इतने नियम क्यों बताये जा रहे है और क्यों इनका पालन करना जरुरी है ये ना मम्मी ने बताया और ना ही दीदी ने बताया हां मम्मी जब भी खाना देने आती और पानी पिलाने आती तो तबियत पूछ जाती और बता जाती अब तु बड़ी हो गई है तुझे आज से अपना ख्याल खुद रखना है खाने पिने में अच्छी अच्छी चीज़े खाने से स्वाथ्य ठीक रहता है इससे कमजोरी नहीं आती मम्मी कि ये बाते मुझे बता रही थी कि मुझे कुछ बीमारी हुई है जो कुछ दिन में ठीक हो जाएगी और में पहले कि तरह रसोई घर और पूजा घर में जा पाऊँगी और 3 दिन बाद मम्मी ने एक दिन हिम्मत कि और मुझे अच्छा स्पर्श और बुरा स्पर्श का पाठ पठाया उस दिन मम्मी ने जो बात कि लगा ही नहीं ये मम्मी बता रही है लगा मानो में अपनी स्कूल की किसी सहेली के पास बेठी हु फिर मेरे मन में भी जो सवाल थे रख दिए क्या ये बीमारी दीदी को और आपको भी हुई थी ? मैं इस बीमारी से कितने दिनों में ठीक हो जाउंगी ? अगर ये बीमारी है तो क्यों मुझे एक कमरे में ही रखा गया है ? क्यों मुझे हर बार कि तरह अस्पताल नहीं ले जाया जा रहा ? क्यों मुझे  बीमारी में इतने नियमों का पालन करना है ? मम्मी ने मुझे हर मेरे हर सवाल का जवाब दिया और बताया ये बीमारी नहीं है ये माहवारी है ये हर महीने आती है और अब से तुमको भी आएगा और रही बात नियमों कि पालना कि तो ये सब इसलिए बनाये गये है कि एक औरत इन दिनों में बहुत कमजोर हो जाती है तो उसको आराम कि जरुरत होती  है और इसलिए उसका हर जगह जाना वर्जित कर दिया जाता है घर का काम नहीं कराया जाता  इसी ही बहुत सी सवाल मैं पूछती गई और मम्मी बताते गये उस समय बताई गई मम्मी कि हर एक बात मेरे लिए शाश्वत सत्य बन गई और जीवन के हर मोड़ पर कई सवाल मन में आते…… कोई इसे पवित्रता से जोड़ता है तो कोई इसे अभिशाप मानता  ! जबकि ये एक प्रकिया है रूम टू रीड में आने के बाद मैने माहवारी को बहुत अच्छे तरह से जाना ये क्या है क्यों है मुझे कई सारे प्रश्नों के जवाब मिले कई धारणा है जिनका मैने खुद अपने घर पर खंडन किया है और मेरी मम्मी के साथ मेरी इस चीज़ को लेकर एक स्वस्थ चर्चा होती है   आज उनकी भी सोच में बदलाव आया है | अब हमारे घर में इसको अपवित्र नहीं माना जाता है |

मैं अपने GEGEP गर्ल्स से कई बार माहवारी  को लेकर बात करती हु गर्ल्स अपने मम्मी और अन्य सदस्यों से बात करती है इसके अलावा  समुदाय में भी कई बार हम बात करते है तो लोगो कि धारणा में बदलाव आता है और में अपने समाज अन्य साथी सहेलियों  के साथ माहवारी पर उनके विचार सुनती हु और उनको धारणा और तथ्य के बीच फर्क करने के लिए प्रेरित करती हूँ |

पूजा चौहान

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