अहिंसा की बोली बोलो
यही सुख की कुंजी है,
अहिंसा का मार्ग है लंबा
अहिंसा परमो धर्म है।
सत्य,अहिंसा की राह पर
चलना हमें सिखाया,
प्यार भरा सब में
गांधीवाद का परचम लहराया।
हिंसा की अग्नि से
झुलस रही मानवता,
वीरों के वचनों की
अब तो समझो सार्थकता ।
सम्राट अशोक ने पढ़ाया “धर्म ” का पाठ
वहीं अकबर ने”सूल:-ए-कुल” का,
गांधी की आवत ने दिया
अहिंसा का बिगुल बजा।
मौत खड़ी थी, गोड़से के रूप में ,
तीन गोली में गए सिधार
जाते – जाते कर दिया
आनेवाली पीढ़ी को होशियार ।
जलियांवाला बाग में
आँसू हुए न व्यर्थ
छेड़ कर “सत्यागृह” की मुहिम
ले लिया उन्होने एक व्रत ।
सत्य, अहिंसा के बल पर
जन-जन को जागरूक किया,
साबरमती के संत ने
अपना कमाल दिखा दिया ।
मन में बापू को बसाकर
बढ़ाएंगे उनकी विरासत को आगे,
सपनों के भारत की राह पर
एक बार फिर से अग्रसर होकर दिखाएँगे ।।