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ऑक्सफ़ोर्ड के साथ चीन भी वैक्सीन की दौड़ में

 

कोरोना महामारी का कहर जबसे दुनिया पर बरस रहा है तब से बड़े-बड़े देश इसका तोड़ ढूंढने में जुटे हैं। लेकिन अभी तक इसके वैक्सीन की दौड़ में ब्रिटेन और चीन सबसे आगे नज़र आ रही हैं। ब्रिटेन की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और चीन के तीन अलग-अलग डेवलपर वैक्सीन के सबसे अधिक व सफल ट्रायल कर चुके हैं। अगर ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की बात करें तो दुनिया भर में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के वैक्सीन को बहुत उम्मीद भरी नज़रों से देखा जा रहा है। ऑक्सफ़ोर्ड ने अपने वैक्सीन का तीसरे फेज़ का ट्रायल का ट्रायल पूरा कर लिया है। इस ट्रायल के सफल परीक्षण के बाद अब ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी बड़े पैमाने पर चौथे चरण के परीक्षण की तैयारी में है। जिसका एक बड़ा हिस्सा भारत में ट्रायल होगा। 

 

कितने चरणों से होकर गुजरता है एक वैक्सीन

किसी भी वैक्सीन को तैयार करने से पहले उसकी जांच पांच चरणों में की जाती है 

 

  1. प्री-क्लिनिकल ट्रायल- इस ट्रायल के तहत किसी भी वैक्सीन को चूहों या बंदरो पर इसका ट्रायल किया जाता है।
  2. सेफ्टी ट्रायल (फेज़-1)- इस ट्रायल में 100 से 500 लोगों पर वैक्सीन की सेफ्टी जांची जाती हैं कि लोगों पर इसका उपयोग सेफ है या नहीं। 
  3. सेफ्टी और इम्यून (फेज़-2) – इस चरण में 500 से 1000 लोगों पर इसका प्रयोग कर यह अध्ययन किया जाता है कि वैक्सीन का सेफ होने के साथ इम्यून सिस्टम पर क्या असर डाल रही है।
  4. बड़े पैमाने पर परीक्षण  करना (फेज-3) – इस ट्रायल में 10,000 या उससे अधिक लोगों पर इसका ट्रायल किया जाता है। 
  5. अप्रूवल (फेज़ -4) – इस फेज़ में उस देश की संबंधित रेगुलेटरी संस्था इसके परीणामों के आधार पर इसके उत्पादन को मंजूरी देती है। 

कब शुरू हुए ह्युमन ट्रायल 

ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने दूसरे चरण के ट्रायल की शुरुआत 23 अप्रैल को शुरू हुए थे। अब जब दूसरे चरण के ट्रायल पूरे हो चुके हैं तो ऑक्सफ़ोर्ड के वैज्ञानिकों का कहना है कि वह ट्रायल के लिए एक हफ्ते के अंदर ही तीसरे चरण के ट्रायल के लिए आवेदन कर देंगे। मंजूरी मिलते ही हम बड़े स्तर पर ट्रायल शुरू कर देंगे। 

कैसे काम करेगा ऑक्सफोर्ड का AZD1222

यह सर्दी के वायरसchAdOx1 CoV-19 को मोडिफाइड कर उसे कमज़ोर करके बनाया गया वैक्सीन है। यह वायरस चिम्पांजी को होने वाला इंफेक्शन है जिससे चिम्पांजी को अमूमन सर्दी हो जाती है। यह वायरस बॉडी में जाकर बहुत तेजी से इम्यून सिस्टम में मौजूद छोटे छोटे प्रोटीन( जिन्हें एंटी बॉडी भी कहा जाता है) बहुत तेजी से विकसित करता है यह एंटीबॉडी कोरोना वायरस को निष्क्रिय करता है। 

 

मरीजों में दिखे बुखार और सिरदर्द जैसे साइड-इफेक्टस 

जिन मरीजों अभी तक यह ट्रायल किया गया है उनमें वैक्सीन के परीक्षण के बाद बुखार और सिरदर्द जैसे साइड-इफेक्टस देखनें में आए हैं। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोई ख़तरनाक साइड-इफेक्टस नहीं हैं इन्हें पैरासिटामॉल खा कर ठीक किया जा सकता है। 

भारत की होगी अहम भूमिका 

ऑक्सफोर्ड यूनिर्वसिटी की वैक्सीन बनने की प्रक्रिया में भारत भी अह्म भूमिका निभा रहा है। पीटीआई के अनुसार सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने वैक्सीन के लाइसेंस और ट्रायल के लिए अप्लाई किया है। आगे सीरम इंस्टीट्यूट ने बताया कि पूणे फर्म वैक्सीन की डोज़ बनाने व बेचने वाली सबसे बड़ी फर्म होगी। हमने बायोफार्मासूटीकल कंपनी से साझेदारी की है हम मिलकर ऑक्सफोर्ड वैक्सीन बनाएंगे। अभी तक की जानकारी के मुताबिक भारत में इस वैक्सीन का नाम कोविडशील्ड होगा। 

ऑक्सफोर्ड यूनिर्वसिटी के बाद चीन की यह तीन कंपनियां है सबसे आगे 

सबसे पहले तो चीन की कैनसिनो बायोलॉजिक्स की उन कम्पनियों में से एक है जिसने मई में पहले ट्रायल के पूरे नतीजे पेश किए थे। ह्यूमन ट्रायल कंपनी ने काफी तेज़ी से किया। इस कारण कंपनी काफी चर्चा में भी रही थी। कंपनी ने अब तक तीन में से दो ट्रायल पूरे कर लिए हैं और तीसरे चरण का ट्रायल अभी जारी है। इस कंपनी ने चीन की आर्मी के साथ मिल कर वैक्सीन तैयार किया है। कंपनी ने वैक्सीन का Ad5-nCOV रखा गया है। शोधकर्ताओं ने सोमवार को कहा कि कैनसिनो वैक्सीन का परीक्षण 508 लोगों पर किया गया है। परीक्षण के दौरान मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता का विकास हुआ। इसके अलावा वैक्सीन ने एंटीबॉडी के साथ शरीर में टी-सेल भी विकसित किए। 

चीन में एक और साइनोफार्मा सीएनबीजी  कंपनी के वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हो चुका है। विश्व स्वास्थय संगठन  में रजिस्ट्रेशन के बाद इस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल की शुरूवात यू.ए.ई के शेख अब्दुल्ला बिन मोहम्मद अल हमद ने की। यू.ए.ई में करीब 200 देशों को लोग रहते है  इसलिए यहां पर वैक्‍सीन के ट्रायल की अनुमति दी गई है। यूएई के अधिकारियों के मुताबिक, इस ट्रायल में 15 वॉलंटियर हिस्‍सा ले रहे हैं।

चीन में एक और वैक्‍सीन के तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हो गया है। इस टीके का निर्माण चीन की कंपनी साइनोफार्म सीएनबीजी ने किया है। डब्ल्यूएचओ में रजिस्ट्रेशन के बाद इस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल की शुरुआत यूएई के शेख अब्‍दुल्‍ला बिन मोहम्‍मद अल हमद ने की। यूएई में करीब 200 देशों के लोग रहते हैं, इसलिए यहां पर वैक्‍सीन के ट्रायल की अनुमति दी गई है। यूएई के अधिकारियों के मुताबिक, इस ट्रायल में 15 वॉलंटियर हिस्‍सा ले रहे हैं। 

चीन की सिनोवेक कंपनी  ने भी अपनी वैक्सीन Corona Vac के दूसरे फेज के ट्रायल में सफलता हासिल कर ली है। ट्रायल के सभी नतीजे पॉजीटिव रहे। तीसरे फेज के ट्रायल ब्राजील और बांग्लादेश में होने है। कंपनी का कहना है कि साल के अंत तक  वैक्सीन का  प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा।  

 

 

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