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क्या “न्यूनतम मजदूरी अधिनियम रिफॉर्म” को लेकर योगी आदित्यनाथ ने झूठ बोला है ?

लॉकडाउन के चलते कोरोना काल में ‘विपरीत पलायन’ का दंश झेलते प्रवासी मज़दूरों की गाथा आप सब ने सुनी ही होगी कि किस तरह पैदल चलते चलते सैकड़ों मज़दूर ज़िंदगी को अलविदा कह गए।
 
 
 
लेकिन सियासत तो लाशों पर भी अपनी रोटी सेंक लेती है इस बार भी यही हुआ प्रवासी मज़दूरों की इतनी दयनीय स्थिति पर जब विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा तो सरकार के ज़िम्मेदारान भी सियासी पैतरों से बाज़ नहीं आए और ऐसे वक़्त में भी जनता को ग़ुमराह करने की कोई कसर नहीं छोड़ी।
 
16 मई 2020 को News18 इंडिया के लॉकडाउन अधिवेशन में किशोर अजवाााणी के साथ  साक्षात्कार में  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उन्होंने श्रम कानूनों का रिफॉर्म कर दिया है और अब सभी  कंपनियों को न्यूनतम वेजेस देना अनिवार्य होगा। आपको बता दें कि इस देश में न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम 1948 में लागू हुआ था पर उत्ततारप्रदेश इसे अब लागू करने की बात कर रहे हैं।
 
योगी आदित्यनाथ ने  यह भी कह कहा कि किसी भी कम्पनी को मज़दूरों को 10 घण्टे से ज़्यादा काम कराने की छूट नहीं होगी जबकि कारखाना अधिनियम 1948 और औधोगिक विवाद अधिनियम1947 इस देश के श्रमिकों और मज़दूरों से आठ घण्टे काम कराने का दम भरते हैं।
 
 
जिससे साफ ज़ाहिर होता है कि श्रम क़ानून रिफॉर्म को लेकर योगी आदित्यनाथ ने झूठ बोला है। 
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