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झारखण्ड मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय से उठी न्याय की मॉंग। छात्रो की उठी ट्विटर पर आवाज ।।

कहते है कि विद्यार्थी देश की धड़कन होते है। सोचिए जब डॉक्टर को डाक्टरी नहीं करने दिया जाएगा , एक इंजीनियर से उसका हक छीन लिया जाएगा, एक आम स्नातक छात्रो को किसानों से मत्स्य विज्ञान समझाने को कह दिया जाएगा , एक आम स्नातक को किसानों को कृषि विज्ञान समझाने को कह दिया जाएगा । होगी ना स्थिति भयावह , उठेगी ना प्रोफेशनल बच्चो की आवाज जो वास्तव में किसी सरकारी पदो के हकदार हो ।

                कुछ ऐसी ही बात उठी है झारखण्ड मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय से। प्रोफेशनल छात्र जो मत्स्य स्नातक होने जा रहे है , उन्हे अब भविष्य की चिंता सताने लगी है।

                  बात ऐसी है कि बिरसा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के अन्तर्गत झारखंड में 2017 में फिशरीज कॉलेज खोला गया । जो कि एक बहुत ही शानदार निर्णय थी नीली क्रांति के क्षेत्र में । लोगो को विश्वास जगी और लोग वास्तव में यही सोचे कि हम अपने बच्चो को इसमें दाखिला दिलाकर मत्स्य पदाधिकारी बनायेगे । पर यहां कुछ बदलाव करना बाकी रह गया जिससे कि बच्चो को अपने भविष्य की चिंता होने लगी और उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके एक बड़ा मोर्चा खोल दिया है ।

                   उनकी मांगों में से कुछ मांगे ये है:-

1)झारखण्ड में सामान्य B.Sc(3 वर्ष) वाले भी हमारे मत्स्य विभाग की सरकारी पदो में शामिल हो जाते हैं जहां सिर्फ प्रोफेशनल B.F.Sc(4 वर्ष) वालो को प्राथमिकता दी जानी चाहिए । 

2)फिशरीज के बच्चो को ही सारे मत्स्य विभाग के सरकारी पोस्ट के लिए शामिल किया जाए ।

3)मत्स्य विभाग के पदो को JPSC परीक्षाओं से निकालकर वॉक इन इंटरव्यू की प्राथमिकता की जाए बिहार राज्य तथा देश के अन्य राज्यों की तर्ज पर।

हेमंत सोरेन की सरकार विशेषकर छात्रों की मांगों को सबसे पहली देखती है । मुद्दे की बात ये है कि क्या सरकार वास्तव में छात्रों की बातो को सुनती है या नहीं…?

 

इनमे से कुछ छात्रों से हुई बातचीत का सार निम्न है।

प्रभात सुमन ने बोला – we are professionals fishery science student , हमलोग किसानो को अच्छे से चीजो को समझा सकते है । साथ ही विज्ञान को जोडकर जय जवान , जय किसान , जय विज्ञान को वास्तव में साकार कर सकते है। सरकार इस दिशा में कदम उठाए  ।

अनुराग सिंह ने बोला – राइट पर्सन इन राइट जॉब की  जरूरत है। इसके लिए बीएफएससी करना ही होगा अन्यथा झारखंड fisheries sector मे नही बढेगा ।

प्रणय राय ने बोला – हमलोग exclusive Bfsc चाहते है अन्यथा Normal Bsc or Professional BFSc में कोई अंतर नहीं रह जाएगा।

शिव कुमार यादव ने कहा कि : हमलोग 4 साल चीजों को पढ़ते है , जबकि B.Sc (zoology) वाले ६ महीना । अब आप समझ ले।

 

दिवाकर कुमार ने कहा कि अभी तक चल रहा था जिनका अधिकार, अब करेेेंगे उनका बहिष्कार ,
गूंज उठेगा हाहाकार ,जब आएगा नीली क्रांति का वार

शादाब आलम ने कहा कि एक आदमी को मछली पकड़ने का तरीका सिखाएं और आप उसे जीवन भर के लिए खिलाएं। B.F.Sc छात्र वह व्यक्ति हैं जो मछली पकड़ना सिखाते हैं।

नवीन कुमार ने कहा कि झारखंड को आगे बढ़ाना है तो मत्स्य विज्ञान को अनन्य बनना है।

विजय कुमार ने कहा क्यूँ नहीं मिलता हमको अधिकार
इसका उत्तर दे सरकार..!

अंकित कुमार ने कहा – हम सब का एक ही नारा है,
मत्स्य छात्रों के साथ हो रहे अन्याय को हराना है।

 

 

साथ ही ओंकार कुमार महतो, निकिता विश्वास , रिंकी कुमारी , शालिनी सुंडी, स्वाति कच्छप, सुकृति मंडल ,मधु कुमारी , वर्षा अग्रवाल ,रोहित कुमार दास ,आदिती गुप्ता ,सौमी ,प्रियंका कुमारी , सुगंध , संगीता बेक, श्रेया आनंद , देबोस्मिता, जया भार्गव , सुशांत कुजूर , किशुन सोरेन, सन्नी प्रकाश , सिंकी सिन्हा ,पूजा सिन्हा ,  अंजलि शर्मा ,राजीव रंजन, ऋषाल सिंह , श्रुति श्री ,निधि पंडित , पूजा मिश्रा , सुजाता कुमारी ,पुनीत , सूरज सिंह ,  विकास पासवान,  बिलास कुमार, अंशु सुरेन , निशांत कुमार,दीपक तिग्गा, रूकसार प्रवीण तथा अन्य लोगों ने बढ़कर हिस्सा लिया। 

 

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