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3 मिनट में खत्म हुआ 19 साल से फैला विकास दुबे का डर

विकास दुबे

विकास दूबे मारा गया ! कहना आसान पर इस वाक्य के जरिए हम कहीं ना कहीं सोचने को मजबूर हो रहे है कि क्या वाकई में वह भागते हुए मारा गया या फिर जान बूझकर मार दिया गया.

8 दिन पहले कानपुर के चैबेपुर गांव में 8 पुलिसवालों की इस शख्स ने जिस तरीके से नृशंस हत्या की थी, उससे तो यह सबको ज्ञात था कि यह देश के किसी भी कोने में छुप जाएं ,इसका हश्र वहीं होना है जो हर गुंडे का होता आया है.

मौत या हत्या सवाल बरकरार

वहीं, इसकी मौत सोचने पर मजबूर करती है कि जिस समय इसने अपने आातंक का सम्राज्य बनाने की शुरुआत की थी. कानपुर में तब क्यों नहीं इस अपराधी को उसके अपराध के लिए बक्शा गया. जिस तरह यह उज्जैन में पकड़ा गया. उस तरह यह साल 2001 में भी पकड़ा जा सकता था जब इसने 2001 में भाजपा के प्रदेश स्तर के बड़े नेता संतोष शुक्ला की दिनदहाड़े हत्या की थी. यदि उस समय इसे इसका अंजाम याद दिला दिया जाता तो आज इस तरह इसकी मौत पर इतनी बहस बाजी नहीं होती.

19 साल की जुर्म की दुनिया 3 मिनट में खत्म

वहीं कल जब यह उज्जैन में पुलिस के जरिए पकड़ा गया तो विकास दुबेकी की मां ने कहा भी वह हर साल सावन में महाकाल के दर्शन के लिए जाता है पर जबकि वह जानता था कि पूरे देश की पुलिस इसे ढूढंने में लगी तो भी 2001 से जुर्म की दुनिया में आने और 19 साल राज करने पर वह इस तरह की बूवकूफी करेगा. जब पुलिस जगह जगह उसके गुर्गों की तलाश कर इंनकाउटर मे मार रहीं है, ऐसे में वह इस तरह का कदम उठाएगा.

कैसे मरा विकास दुबे

कहा जा रहा है कि उज्जैन से कानपुर लाने के बीच में यूपी पुलिस के साथ गाड़ी में बैठे विकास दुबे वाली गाड़ी पलट गई व घायल पुलिसवालों की गोली उठाकर वह भागने लगा. तभी पुलिस ने उसे चेतावनी पर वह नही सुना पुलिस पर गोली चलाई , वहीं पुलिस ने भी जवाबी कर्रवाई के दौरान पुलिस की गोली लगने से वह घायल हुआ और अस्पताल में दाखिल करवाने के बाद उसकी मौक हो गई और उशकी के साथ 19 साल से बिकरु गांव में विकास का भय भी खत्म हुआ.

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