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क्या डोनाल्ड ट्रम्प दोबारा से अमेरिका के राष्ट्रपति बन पाएंगे?

हाल-फिलहाल में ऐसा चुनाव आ रहा है जिसकी दुनियाभर में चर्चा है, अमेरिका का राष्ट्रपति का चुनाव। डोनाल्ड ट्रम्प यह चुनाव दूसरी बार लड़ रहे हैं। क्या इस बार भी वे इसमें जीत हासिल कर पाएंगे? यह बड़ा सवाल है, क्योंकि फिलहाल हो रहे ज़्यादातर सर्वे में वो पिछड़ते नज़र आ रहे हैं, तो कौन होगा अमेरिका का अगला राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प या जो बाइडेन?

फिलहाल अमेरिका में कोरोना और दंगो के वजह से राजनीति अपने चरम पर है, तो क्या अब डोनाल्ड ट्रम्प अब पराजय की कगार पर है?

ट्रम्प पराजय के कगार पर?

कोरोना की वजह से लॉकडाउन होने के कुछ दिनों पहले ही ट्रम्प भारत आए थे। तब वह काफी खुश लग रहे थे लेकिन यहां से अमेरिका लौटने के बाद उनकी दिक्कतें बढ़ती ही गईं। अमेरिका में कोरोना का कहर शुरू हुआ। ट्रम्प पर कोरोना को ज़्यादा गंभीरता से ना लेने का आरोप लगा। बेरोज़गारी भी तेज़ी से बढ़ने लगी और उसी में जॉर्ज फ्लॉयड के घटना के बाद पूरे देश में आक्रोश का माहौल बन गया।

डोनाल्ड ट्रंप का भारत दौरा

इस साल की शुरुआत में लग रहा था कि ट्रम्प आसानी से दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाएंगे, मगर कोरोना और दंगो के वजह से अब उनके रास्ते में मुश्किलें काफी बढ़ गयी है।

इन सबकी शुरुआत कोरोना के बढ़ते प्रभाव की वजह से हुई। जहां सारे देश लॉकडाउन कर रहे थे, तब ट्रम्प ने लॉकडाउन को नकारा कह दिया। उनपर ऐसा आरोप लगा कि उनको इस बीमारी की गंभीरता नज़र नहीं आई। देशभर में करीब 39 लाख कोरोना के मामले और एक लाख 40 हज़ार से ज़्यादा कोरोना से मौते होने के बाद अब ट्रम्प कह रहे हैं कि हालात और भी गंभीर हो सकते हैं।

ट्रम्प को मास्क ना लगाने को लेकर भी घेरा गया, इसलिए उनके समर्थक भी बिना मास्क के घूम रहे थे। आखिर जुलाई के मध्य में, उन्होंने मास्क पहना वो भी तब जब उन्हें अस्पताल जाना था। कोरोना का कहर बढ़ने के लिए ट्रम्प चीन और WHO को ज़िम्मेदार ठहरा रहे थे। उन्होंने बार-बार कहा कि चीन और WHO के वजह से अमेरिका में ऐसे हालात है।

धीरे-धीरे अमेरिका में जिन राज्यों में डेमोक्रेटिक पार्टी की सत्ता है, उन्होंने लॉकडाउन घोषित किया लेकिन ट्रम्प ने उनका भी विरोध किया। जिस तरह से ट्रम्प ने कोरोना के हालातों को संभाला है, उस हिसाब से उनको मिलने वाला समर्थन काफी कम हो चूका है। यह फिलहाल किए गए सर्वेक्षणों में पता चला है। इसका अंज़ाम सीधा होने वाले चुनाव में हो सकता है, ऐसा कहा जा रहा है।

लॉकडाउन के बीच ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आंदोलन ने पकड़ा जोर

अमेरिकन ब्लैक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद विरोध में हिंसा भड़क उठी थी और लोग लॉकडाउन और महामारी के बीच वर्णभेद के खिलाफ रास्तों पर उतर आए थे। काफी जगह आंदोलन हुए और यह विवाद काफी दिनों तक चला। “ब्लैक लाइव्स मैटर” इस नाम से चले इस विवाद पर हज़ारों ब्लैक और व्हाइट लोगों ने अपना प्रतिरोध दर्ज़ कराया। कई जगह आंदोलन हुए और कई जगह हिंसा, लूट, तोड़फोड़ भी हुई थी।

इस बीच ट्रंप ने कहा, “अगर इसी तरह की झड़प होती रही, तो सैन्य बल को प्रयोग किया जाएगा।” इस वजह से हिंसा और भड़क उठी थी। ट्रम्प समर्थक ज़्यादातार गोरे लोग एक हो जाए इसलिए यह हिंसा जानबूझकर बढ़ाई जा रही हैं। इस आंदोलन के दौरान लगातार ट्रंप पर यह आरोप लगते रहै हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर

मजबूत अर्थव्यवस्था और रोज़गार निर्मिति के मुद्दे ट्रम्प ने चुनाव के वक्त उठाए थे लेकिन जुलाई तक पूरी तस्वीर बदल गई। पिछले 14 सफ्ताह में करीब 4 करोड़ 70 लाख लोगों ने बेरोज़गार हो चुके हैं।

अमेरिका में न्यूयॉर्क, लॉस एंजेलिस जैसे बड़े शहरों में बेरोज़गारी का दर 20 फीसदी हो गया है। मतलब इन शहरों में हर 5 व्यक्ति के बाद एक व्यक्ति बेरोज़गार है। देशभर का बेरोज़गारी का दर करीब 10 फीसदी हो चुकी है। यह दर 2008-09 के मंदी के दर से भी दोगुना है।

हर सर्वे में लगभग एक ही बात

अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव आने वाले नवंबर में होने वाला है और चुनाव से पहले लोकप्रियता देखने के लिए काफी बार सर्वे होता है।इस सर्वे में अबतक देखा गया है कि पिछले सात महीनो में ट्रम्प का अस्वीकृति का दर लगातार बढ़ता जा रहा है और स्वीकृति का दर घटता जा रहा है। जबकि बाइडेन का स्वीकृति दर बढ़ता जा रहा है।

लगभग सारे बड़े सर्वे में देखा जा रहा है कि शुरुआत में लाइट वेटेड दिखने वाले बाइडेन की लोकप्रियता फिलहाल बढ़ती जा रही है। वैसे अमेरिका में चुनाव प्रकिया काफी उलझी हुई है। इस वजह से 3 महीने पहले ही विजेता घोषित करना थोड़ा मुश्किल है।

खैर, अब देखना यह है कि आनेवाले चुनाव में जो बाइडेन जीतते है या फिर एक बार फिर से पिछले चुनाव की तरह सारे सर्वे को गलत साबित कर डोनाल्ड ट्रम्प बाज़ी मार जाते हैं।

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