Site icon Youth Ki Awaaz

क्या है कोरोना का ‘दिल्ली मॉडल’ जिससे दिख रही है सुधार की गुंजाइश?

kejriwal delhi hospital heathcare during corona

कोरोना वायरस के कारण जहां पूरे देश में त्राहि-त्राहि मची हुई है, वहीं ऐसी भयानक स्थिति में राजधानी दिल्ली में परिस्थितियों में सुधार देखने को मिल रहा है। पहले जहां दिल्ली में जून महीने में आंकड़ों में काफी तेज़ी देखने को मिल रही थी, वहीं अब जुलाई के महीने में यह ग्राफ नीचे की ओर आता हुआ दिख रहा है।

ऐसे में, इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी हो जाता है कि आखिर दिल्ली सरकार ने वह कौन से महत्वपूर्ण कदम उठाए जिनसे ऐसे सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इससे सभी राज्यों को एक उदाहरण के तौर पर भी देखना चाहिए।

अस्पतालों में बेड्स का बढ़ाया जाना

जून की शुरुआत में  दिल्ली में निजी अस्पतालों की संख्या महज आठ थी, जिनमें कोरोना संक्रमितों का इलाज हो रहा था। जिनमें कुल 700 बेड्स ही थे। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में जिनमें कोरोना का इलाज हो रहा हो 2500 बेड्स कोरोना मरीज़ों के लिए थे।

दिल्ली कोरोना के मामलों में आई है कमी, प्रतीकात्मक तस्वीर

corona virus vaccineतेज़ी से बढ़ते मामलों के कारण बेड्स की कमी होने लगी जिसके बाद निजी अस्पतालों में बेड्स की संख्या बढ़ाने की कोशिश शुरू की गई। राज्य सरकार ने आदेश जारी किया कि निजी अस्पतालों को जिनके पास 50 से अधिक बेड हैं, उन्हें 40 फीसदी बेड कोरोना संक्रमित मरीज़ों के लिए आरक्षित करने थे। इससे स्वतः ही कोरोना संक्रमित मरीज़ों के लिए निजी अस्पतालों में बेड्स की संख्या 700 से बढ़कर 5000 हो गई।

होम आइसोलेशन को दिया महत्व

क्वारंटाइन सेंटरों की अपेक्षा दिल्ली सरकार ने  कोरोना पॉजिटिव रोगियों के लिए होम आइसोलेशन को बढ़ावा दिया है। ऐसा उन मरीज़ों के लिए किया गया जिनमें में कोई लक्षण नहीं थे या फिर हल्के-फुल्के लक्षण थे।

प्रतीकात्मक तस्वीर

गौरतलब है कि ऐसे मरीज़ों के कुल मामले 80 फीसदी थे। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया कि होम आइसोलेशन के दौरान मरीज़ के घर मेडिकल टीम जाए और उन्हें होम आइसोलेशन के बारे में पूरी जानकारी दे। स्वास्थ्य कर्मचारियों को रोज़ाना मरीज़ों का फोन पर हाल-चाल पूछने के निर्देश दिए गए।

इससे इस बात की तस्दीक की गई कि मरीज़ अपने घरों में ही स्वस्थ हो सकते हैं। इसके साथ ही मरीज़ के परिवार वालों को भी दो सप्ताह के लिए घर में ही क्वारंटाइन किया गया और उन्हें सख्त चेतावनी दी गई कि वे बाहर ना जाएं, जिससे बीमारी ना फैल सके।

बड़े होटलों की ली गई मदद

दिल्ली सरकार ने बड़े होटलों को निजी अस्पतालों से जोड़ा जिससे अस्पतालों की बेड की क्षमता बढ़ाई जा सके। ऐसा करने से निजी अस्पतालों में बेड्स की संख्या 5000 से बढ़कर 7000 हो गई।

वर्तमान समय में दिल्ली में 15,000 से अधिक कोरोना मरीज़ों के लिए बेड उपलब्ध हैं, जबकि इस बढ़ी हुई क्षमता का अधिकांश हिस्सा अभी भी खाली है। 15,000 से ज़्यादा बेड्स में सिर्फ 38 फीसदी बेड्स ही भरे हैं।

तेज़ गति से टेस्टिंग और मरीज़ों को आइसोलेट करना

कोरोना संकट के शुरुआती समय से ही दिल्ली में टेस्टिंग की गति बहुत तेज़ है। जून के अंत तक दिल्ली में देश के किसी अन्य राज्य के मुकाबले सबसे अधिक कोरोना टेस्ट किए जा रहे थे।

प्रतीकात्मक तस्वीर, तस्वीर साभार: पिक्साबे

जून की शुरुआत में कोरोनो वायरस हॉटस्पॉट बन रहे क्षेत्रों के लिए एक रणनीति के तहत काम शुरू किया गया था। जून के पहले सप्ताह में जहां प्रति दिन 5,500 टेस्ट किए गए, वहीं जुलाई के पहले सप्ताह में यह आंकड़ा 21,000 टेस्ट प्रति दिन था।

जांच बढ़ने के साथ ही स्पष्ट है कि कोरोना संक्रमितों के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई। कोरोना पॉजिटिव मरीज़ों को ढूंढकर उन्हें आइसोलेट किया गया। हर दिन हज़ारों की संख्या में मरीज़ों को क्वारंटाइन किया गया। शायद इसका परिणाम है कि दिल्ली पहले से बेहतर स्थिति में नज़र आ रही है।

Exit mobile version